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इतिहासयूरोप

मार्को पोलो: एक यात्री, जिसने यूरोप को हैरान कर दिया

क्रिस्टीना बुराक
२५ मार्च २०२४

मार्को पोलो को दुनिया से गए 700 साल हुए, लेकिन आज भी वह एक चर्चित नाम हैं. कौन थे यह इतालियन यात्री, जिन्होंने चीन के मंगोल साम्राज्य तक की अपनी सिल्क रोड यात्राओं का विवरण लिखा? उनकी विरासत विवादों से क्यों घिरी है?

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मार्को पोलो पहले यूरोपियन थे, जिन्होंने न केवल मध्यकालीन चीन की यात्रा की, बल्कि उसका विवरण भी लिखा.
मार्को पोलो सिल्क रोड से यात्रा कर कुबलई खान के साम्राज्य पहुंचे. इस यात्रा और इसके संस्मरणों ने उन्हें मशहूर कर दिया. इस तस्वीर में उनकी यात्रा की एक झलकी दिखाई गई है. तस्वीर: CPA Media Co. Ltd/picture alliance

कल्पना कीजिए, आप 17 साल के हैं और आपने कभी घर से बाहर कदम नहीं रखा है. आपके पिता और चाचा व्यापारी हैं और पूरी जिंदगी कारोबार के सिलसिले में बाहर रहे हैं. इस बार भी अपनी अगली यात्रा पर निकलने से पहले वो घर आते हैं, लेकिन इस बार आप भी उनके साथ सफर पर निकल जाते हैं.

यह यात्रा करीब 24,000 किलोमीटर लंबी होगी और 24 साल तक चलेगी! आपका सामना ऐसी- ऐसी चीजों से होगा, जिनकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी और आप एक शक्तिशाली साम्राज्य के शिखर पर होंगे. अंत में आप पाश्चात्य इतिहास के सबसे प्रसिद्ध यात्रियों में से एक बन जाएंगे.

किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म की कहानी की यह रूपरेखा मार्को पोलो की आत्मकथा है.

सिल्क रोड की यात्रा ने मार्को पोलो को मध्यकालीन यूरोप में काफी प्रसिद्धि दी.
पर्शिया का एक मानचित्र, जिसमें मार्को पोलो को एक कारवां के साथ उकेरा गया है. तस्वीर: akg-images/picture alliance

साल 1254 में वेनिस में जन्मे मार्को पोलो ने 1271 से 1295 के बीच यूरोप को एशिया से जोड़ने वाले मध्यकालीन व्यापार मार्ग सिल्क रोड की यात्रा की. इनमें से 17 साल उन्होंने कुबलई खान के शासन में फलते-फूलते मंगोल साम्राज्य में एक प्रमुख भूमिका निभाई.

इटली वापस आने के बाद, मार्को पोलो ने लेखक रुस्तीकैल्लो द पीजा के साथ मिलकर अपना यात्रा संस्मरण लिखने का निर्णय लिया. उनकी किताब "इल मिलिओने" (द मिलियन), जिसे अंग्रेजी में "द ट्रेवल्स ऑफ मार्को पोलो" के नाम से जाना जाता है, एक मध्यकालीन बेस्टसेलर बन गई. इसे कई भाषाओं में अनुवादित किया गया और राजाओं से लेकर पुरोहितों तक, सभी साक्षर लोगों ने इसे पढ़ा. कहा जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस भी इसकी एक कॉपी अपने साथ लेकर घूमते थे.

मार्को और उनके पिता निकोलो पोलो, कुबलई खान के साथ.
किताब में कागजी मुद्रा के इस्तेमाल और कोयला जलाने का ब्योरा था. इस किताब ने पूर्वी दुनिया के अजूबों से यूरोपियनों को वाकिफ और हैरान किया. तस्वीर: CPA Media/picture alliance

एक विवरण, जिसने यूरोप वासियों को चौंका दिया

मार्को पोलो पहले यूरोपियन व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल मध्यकालीन चीन की यात्रा की, बल्कि उसका विवरण भी लिखा. न्यूयॉर्क के सिटी विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर ह्युंहई पार्क का कहना है कि मुसलमान यात्री नौवीं और 10वीं सदी की शुरुआत से ही चीन की अपनी स्थल और समुद्री यात्राओं का विवरण लिख रहे थे. लेकिन उस दौर में जबकि यूरोप का ध्यान खुद पर केंद्रित था, तब मार्को पोलो पहले यूरोपियन बने जिन्होंने चीन से जुड़ी जानकारियां लोगों तक पहुंचाईं. चीन से जुड़ा विवरण यूरोपीय अपेक्षाओं के मुताबिक नहीं था.  

मार्को पोलो ने मंगोल साम्राज्य को महान शहरों वाली एक महान सभ्यता के रूप में वर्णित किया. पार्क बताते हैं, "बहुत से यूरोपीय चौंक गए. यहां तक कि झूठा कहकर उनकी आलोचना भी की गई."

ताइवान के नेशनल त्सिंग हुअ विश्वविद्यालय में विदेशी भाषाओं और साहित्य की प्रोफेसर मार्गरेट किम बताती हैं कि दूसरे पश्चिमी यात्री गैर-यूरोपीय जगहों के विवरण देने की जिस परिपाटी का हिस्सा थे, उनसे मार्को पोलो का विवरण का अलग था.  

महान यात्री मार्को पोलो का एक पोट्रैट.
मार्को पोलो और उनकी रोमांचक यात्राएं सदियों से लोगों को हैरान कर रही हैं. यह 19वीं सदी में बनाई गई उनकी एक तस्वीर है. तस्वीर: Bianchetti/Leemage/picture alliance

किम बताती हैं, "मार्को पोलो से पहले और बाद में भी जब-जब यूरोपीय यात्रा लेखकों ने विदेशों और विदेशियों का वर्णन किया, तो वो हमेशा नैतिक और धार्मिक मूल्य सिखाते रहे. ये उनके सभी लेखों में निहित रहता है. लेकिन मार्को पोलो ने इस तरह की धार्मिक विचारधारा नहीं दिखाई. अपने लिखे विवरणों में वह ऐसे शख्स मालूम पड़ते हैं, जिसकी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के भूगोल और रीति-रिवाजों में दिलचस्पी है. वह बहुत ही धर्मनिरपेक्ष इंसान हैं."

'साम्राज्यवादी नजर' 

मार्को पोलो के दृष्टिकोण ने उन्हें भविष्य के अन्य यूरोपीय यात्रा विवरणों से अलग बना दिया. ये विवरण मुख्य रूप से जीत हासिल करने की इच्छा और अपनी सभ्यता को बेहतर समझने के भाव से प्रेरित थे.

कुबलई खान अधिकारियों के साथ कारोबारियों द्वारा किए जा रहे भुगतान की निगरानी करते हुए.
मार्को पोलो ने कुबलई खान के नेतृत्व में मंगोल साम्राज्य की तारीफ की है. 15वीं सदी की इस तस्वीर में कुबलई खान को कारोबारियों से लिए जा रहे शुल्क की देखरेख करते हुए दिखाया गया है. तस्वीर: akg-images/picture alliance

पीकिंग विश्वविद्यालय की येंचिंग एकेडेमी के प्रमुख प्रोफेसर झांग लोंग्शी ने बताया, "मार्को, मंगोल शासकों की शौर्यता और संपन्नता से हैरान थे. यह उस समय की बात है, जब पूर्व को मध्यकालीन यूरोप से अधिक धनवान और संपन्न माना जाता था. इसी कारण मार्को का नजरिया उनके बाद आए अन्य यूरोपीय यात्रियों और उग्र उपनिवेशवादियों से अलग था." लोंग्शी यह भी बताते हैं कि आगे चलकर चीन को "पिछड़ा" और "थमा हुआ" बताया गया, जो यूरोप की भव्यता के करीब भी नहीं है.

कुबलई खान के दरबार में मार्को पोलो बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए थे. उनकी पदवी क्या थी, इसपर विवाद रहा है, लेकिन एक व्यापक सहमति रही है कि वह एक प्रमुख प्राशासनिक सेवक थे और राजनयिक जिम्मेदारियां निभाते थे. यही कारण है कि उन्होंने मंगोल साम्राज्य को विदेशी नजरिये से नहीं, बल्कि एक अंदरूनी व्यक्ति की निगाह से देखा था.

किम बताती हैं, "मार्को ने किशोरावस्था में ही वेनिस छोड़ दिया था और उन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे अहम साल एशिया में बिताए. यहीं पर उन्होंने दुनिया के प्रति सोचने-समझने का नजरिया विकसित किया, इसलिए उसे पूरी तरह से पश्चिमी नहीं कहा जा सकता है." किम आगे कहती हैं, "लेकिन उनके पास वो चीज है, जिसे मैं 'इंपीरियल गेज' कहूंगी. उनके नजरिये में दुनिया ज्यादा सभ्य और कम सभ्य लोगों के बीच बंटी है. इसलिए मार्को पोलो की दुनिया में या तो आप बहुत सभ्य हैं, कुछ हद तक सभ्य हैं, या बर्बर हैं."

किम बताती हैं कि पोलो के लिए सभ्यता का सबसे महान केंद्र वह नहीं था, जो यूरोपीय सोचते थे. बल्कि, कुबलई खान का मंगोल साम्राज्य था.

मार्को पोलो की कई तरह की यात्राएं?

पोलो को ऐतिहासिक जानकारी के स्रोत के रूप में कई विवादों का सामना करना पड़ा है, जिसका अधिकांश हिस्सा उनकी पुस्तक से जुड़ा है. इस किताब की कोई भी प्रामाणिक पांडुलिपि नहीं है, बल्कि इसके 140 अलग-अलग संस्करण मौजूद हैं. मार्को पोलो के सह-लेखक रुस्तीकैल्लो की किताब के तैयार होने में भूमिका और इसकी सामग्री पर संभावित प्रभाव को भी इतिहासकार अलग-अलग नजरिये से देखते हैं और इसकी विश्वसनीयता पर संदेह को मजबूती देते हैं.

किम, मार्को पोलो को इस किताब का लेखक और इसके सारांश और शैली के लिए जिम्मेदार मानती थी. उनके अनुसार रुस्तीकैल्लो ने किताब के प्रतिलेखन और प्रसार की निगरानी की होगी. जबकि, झांग मानते हैं कि मार्को पोलो जानकारी का स्त्रोत रहे होंगे, लेकिन किताब की सामग्री को रुस्तीकैल्लो ने आकार दिया होगा.

झांग कहते हैं, "रुस्तीकैल्लो एक रोमांस लेखक थे. उन्होंने असल में पोलो की कहानियों की व्याख्या अपने शब्दों में की होगी, खासतौर पर अद्भुत रंग और विस्तार जोड़कर, जो कि मध्यकालीन पाठकों को आकर्षित करे." झांग आगे कहते हैं कि उस दौर के अन्य यात्रा साहित्यों की तुलना में "द ट्रेवल्स ऑफ मार्को पोलो" में निश्चित रूप से काल्पनिक कहानियां कम हैं.

उस दौर में यूरोप बहुत बंद था. ऐसे में मार्को पोलो और उनकी यात्राओं ने मध्यकालीन यूरोप पर गहरा असर डाला.
साल 1412 की इस पेंटिंग में होरमुस के बंदरगाह पर हो रहे कारोबार को उकेरा गया है. जानवरों को ला रहा एक जहाज बंदरगाह पर आया है. तस्वीर: akg-images/picture-alliance

चीन पर अपेक्षित जानकारी की कमी और पुष्टि करने वाले स्रोतों के अभाव के कारण सिनोलॉजिस्ट फ्रांसिस वुड जैसे कुछ प्रमुख इतिहासकारों ने मार्को पोलो की टिप्पणियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए थे. लेकिन आज इतिहासकार मानते हैं कि मार्को पोलो की टिप्पणियां इतनी सटीक थीं कि उन्हें ख्यालों में नहीं बनाया जा सकता. ना ही केवल दूसरों के विवरण के आधार पर लिखा जा सकता है, भले ही पोलो/रुस्तीकैल्लो ने किताब की प्रस्तावना में स्पष्ट किया है कि उन्होंने अपने यात्रा वृत्तांत में अन्य लोगों के कथन को भी शामिल किया है.

पार्क सहित कई विद्वानों को मार्को पोलो की टिप्पणियों के पुष्ट प्रमाण भी मिले हैं. इनमें चीनी और इस्लामिक स्रोतों के प्राथमिक दस्तावेज भी शामिल हैं, जैसे कि 14वीं शताब्दी के प्रसिद्ध उत्तरी अफ्रीकी खोजकर्ता इब्न बतूता के लेख.

मार्को पोलो: आधुनिक युग के व्यक्ति

आज अपने निधन के 700 साल बाद भी मार्को पोलो का नाम बहुत प्रसिद्ध है. अमेरिकी स्विमिंग पूल गेम, बड़ी फैशन कंपनी, यात्रा व्यवसाय, यहां तक कि "स्नैपचैट फॉर बूमर्स" सब उनके मशहूर नाम का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन मार्को पोलो का महत्व काफी ज्यादा है.

किम के अनुसार, मार्को पोलो दिखाते हैं कि "दुनिया में हमारी कल्पना से परे कई ऐसी चीजें हैं, जो हमें बेचैन और परेशान कर सकती हैं, लेकिन हम इसके अनुकूल हो सकते हैं. इसलिए 'इंपीरियल गेज' किसी संस्कृति या सभ्यता की संपत्ति नहीं है. निश्चित रूप से यह केवल पश्चिम की संपत्ति तो बिल्कुल भी नहीं है."

झांग के अनुसार, मार्को पोलो पश्चिम और चीन के बीच बढ़े हुए तनाव के समय में याद दिलाते हैं कि गैर-शत्रुतापूर्ण सांस्कृतिक संबंध बनाना संभव है. वह कहते हैं, "मार्को पोलो पूर्व और पश्चिम के आपसी रिश्तों का एक वैकल्पिक मॉडल देते हैं, जो आज की दुनिया में हमारे लिए बेहद कीमती है. यह उग्र प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष की जगह आपसी समझ और सहयोग का सिद्दांत है."

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