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राजनीतिवेनेजुएला

ब्रिक्स में शामिल ना किए जाने पर गुस्साया वेनेजुएला

२८ अक्टूबर २०२४

ब्रिक्स में शामिल ना किए जाने के बाद वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा कि उनका देश कभी चुप नहीं रहेगा, चाहे कुछ भी हो. ब्राजील ने वेनेजुएला को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स में शामिल होने से रोक दिया.

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निकोलस मादुरो और व्लादिमीर पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरोतस्वीर: Alexander Nemenov/AFP/AP/dpa/picture alliance

रूस में पिछले हफ्ते हुए ब्रिक्स सम्मलेनके दौरान नए सदस्यों को समूह में शामिल करने का वादा किया गया. लेकिन इसी दौरान वेनेजुएला की सदस्यता पर ब्राजील ने वीटो कर दिया. यह बात वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सख्त नागवार गुजरी और उन्होंने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी.

वेनेजुएला इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सरकार का कहना है कि यह संकट अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का नतीजा है. वेनेजुएला लंबे समय से ब्रिक्स समूह में शामिल होना चाहता था.

टूट गई उम्मीद

पिछले हफ्ते रूस के कजान शहर में हुए शिखर सम्मेलन में ब्राजील ने वेनेजुएला की सदस्यता को रोक दिया. इस फैसले पर वेनेजुएला ने कड़ी नाराजगी जताई और इसे "शत्रुतापूर्ण" और "अनैतिक" करार दिया.

कजान से लौटते समय मादुरो ने सरकारी टेलीविजन पर कहा, "कोई भी वेनेजुएला को रोक नहीं सकता, न आज, न कल, न कभी." हालांकि उन्होंने ब्राजील का नाम नहीं लिया.

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा लंबे समय से मादुरो के सहयोगी रहे हैं. लेकिन जुलाई 28 के विवादित चुनाव के बाद उनके रिश्ते खराब हो गए हैं.

विपक्ष का दावा है कि मादुरो ने चुनाव में धांधली की और असली विजेता एडमुंडो गोंजालेज उर्रुतिया थे. गोंजालेज ना सिर्फ चुनाव हार गए बल्कि जब उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट जारी हुआ तो वह सितंबर में स्पेन भाग गए.

लूला के सलाहकार और पूर्व विदेश मंत्री सेल्सो अमोरिम ने कहा कि वेनेजुएला के खिलाफ यह फैसला विश्वासघात के कारण लिया गया है. मादुरो ने लूला से वादा किया था कि वह चुनाव के विस्तृत नतीजे प्रकाशित करेंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ.

‘लूला दा सिल्वा ने नाटक किया'

वेनेजुएला के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को आरोप लगाया कि ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल न होने के लिए एक दुर्घटना का बहाना बनाया.

वेनेजुएला के अटॉर्नी जनरल, तारिक विलियम साब ने सोशल मीडिया पर कहा, "ब्राजील के नजदीकी स्रोतों ने मुझे जानकारी दी कि राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने एक कथित दुर्घटना का नाटक किया ताकि वे ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल न हो सकें और यह वेनेजुएला के खिलाफ वीटो लगाने की एक चाल थी."

एक ब्राजीलियाई अधिकारी ने बताया था कि लूला ने अपने घर पर चोट लगने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर कजान की यात्रा रद्द कर दी थी. तीन दिन बाद उन्हें काम पर लौटने के लिए फिट घोषित किया गया. ब्राजील के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कजान में देश का प्रतिनिधित्व किया.

वेनेजुएला का एक और काला सोना

साब ने कहा कि दुर्घटना के बारे में अफवाहें एक वीडियो से सही साबित होती दिख रही हैं, जिसमें लूला को स्वस्थ, हंसते हुए और बिना किसी चोट के देखा गया है. उन्होंने कहा, "इसकी जांच होनी चाहिए."

मादुरो ने कहा कि उन्होंने कजान में करीब 30 देशों के अधिकारियों से मुलाकात की और सभी ने उनकी "बड़ी चुनावी विजय" की तारीफ की.

नए देशों की सदस्यता पर विवाद

ब्रिक्स में पहले से ब्राजील, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका और चीन शामिल थे. 2024 में इथियोपिया, ईरान, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें जुड़ गए हैं. ब्रिक्स समूह अब दुनिया की 45 फीसदी जनसंख्या और 35 फीसदी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है. यह आंकड़ा क्रय शक्ति के आधार पर है, जिसमें चीन की आर्थिक ताकत आधे से अधिक है.

वेनेजुएला और पाकिस्तान जैसे कई नए देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं जबकि दूसरा पहलू यह है कि कई देश ब्रिक्स में शामिल होने से झिझक रहे हैं. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया. दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश का प्रतिनिधित्व सऊदी विदेश मंत्री ने किया.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उश्कोव ने क्राउन प्रिंस की गैरहाजरी का कोई कारण नहीं बताया. रूस ने पिछले महीने कहा था कि उसने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भेजा है.

जनवरी में रॉयटर्स ने खबर छापी थी कि सऊदी अरब ब्रिक्स की सदस्यता को लेकर उलझन में है और अभी भी इसमें शामिल होने पर विचार कर रहा है. अधिकारी के मुताबिक अभी तक ब्रिक्स की सदस्यता के निमंत्रण का जवाब नहीं दिया गया है. अर्जेन्टीना जैसे कई देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने में झिझक दिखाई है.

चीन के साथ सऊदी अरब के बढ़ते संबंधों ने अमेरिका में चिंता पैदा कर दी है, जो लंबे समय से सऊदी अरब का सहयोगी रहा है. हालांकि हाल के वर्षों में उनके रिश्ते कुछ तनावपूर्ण रहे हैं. उश्कोव ने कहा, "ब्रिक्स एक ऐसी संरचना है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता." उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी देश अन्य देशों पर दबाव बना रहे हैं कि वे इस संगठन में शामिल न हों.

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)