ऑक्सफोर्ड रिसर्च ने भारत के लॉकडाउन को बताया काफी सख्त
८ मई २०२०ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस को लेकर अलग-अलग देशों द्वारा लगाए गए लॉकडाउनों का अध्ययन किया है. इस अध्ययन में इन देशों के लॉकडाउन के 17 अलग-अलग पहलुओं पर रिसर्च की गई है. अध्ययन से पता चला है कि भारत द्वारा लागू किया गया लॉकडाउन कई पैमानों पर बाकी कई देशों से अच्छा साबित हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कोरोना वायरस के शुरुआती चरणों में सबसे सख्त तरह का लॉकडाउन अपने यहां लागू किया.
किन पैमानों पर हुआ है अध्ययन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों का अध्ययन करने के लिए एक ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रेस्पॉन्स ट्रैकर बनाया हुआ है. इस ट्रैकर के साथ 100 लोगों की एक टीम काम कर रही है जो 17 अलग-अलग संकेतकों पर सरकार के रवैये की जानकारी ट्रैकर में फीड करती है. इन 17 संकेतकों को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहले हिस्से में बंद के संकेतक हैं जिनमें स्कूलों को बंद करना, दफ्तरों को बंद करना, सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द करना, सार्वजनिक परिवहन रद्द करना, घर पर रहने के सख्त नियम बनाना शामिल हैं.
दूसरे हिस्से में आर्थिक नीतियों से जुड़े संकेतक हैं. जैसे लोगों को न्यूनतम आय देना और दूसरे देशों की मदद का प्रावधान शामिल है. तीसरे हिस्से में चिकित्सा सुविधाओं से जुड़े संकेतक शामिल हैं जैसे टेस्टिंग और आपातकालीन सुविधाओं में सरकार द्वारा किया जा रहा नया निवेश. इस अध्ययन में देशों को 100 में से अंक दिए गए हैं. भारत, रूस, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, बोलिविया आदि इस ट्रैकर में सबसे ज्यादा स्कोर वाले देशों में शामिल हैं. इस अध्ययन में ये भी देखा गया कि कौन से देश विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन ठीक से कर रहे हैं.
क्या पता चला इस अध्ययन से?
इस अध्ययन से पता करने की कोशिश की गई है कि लॉकडाउन की स्थिति से किसी भी देश में कोरोना से होने वाली मौतों पर कितना असर पड़ता है. इस अध्ययन से पता चला है कि कई देशों में लॉकडाउन में सख्ती के साथ ही मौत के आंकड़ों का ग्राफ फ्लैट होता चला गया. जैसे इटली, स्पेन, फ्रांस और चीन ने लॉकडाउन में सख्ती की तो यहां होने वाली मौतों की संख्या में कमी आती चली गई. हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और बारत में अभी ऐसा होता नहीं दिख रहा है. यहां लॉकडाउन में सख्ती के बाद भी मौत का ग्राफ फ्लैट नहीं हुआ है.
लॉकडाउन की सख्ती के हिसाब से मौत के आंकड़ों में हुए सुधार की बात की जाए तो देशों का एक क्रम निकलकर आता है. इस क्रम में फ्रांस, इटली, ईरान, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, स्वीडन, मेक्सिको, कनाडा, बेल्जियम, आयरलैंड, अमेरिका, तुर्की, इस्राएल, चीन, भारत और स्विट्जरलैंड निकलकर आते हैं.
अगर लॉकडाउन लगाने का फैसला करने की बात की जाए तो यहां भारत काफी आगे रहा है. इस अध्ययन में शामिल अधिकतर देशों ने अपने यहां 500 से ज्यादा मामले सामने आने पर लॉकडाउन लगाया जबकि भारत ने 320 मामले सामने आने पर ही लॉकडाउन लगा दिया. 22 मार्च को पहली बार लगाए गए जनता कर्फ्यू तक भारत में चार लोगों की मौत हुई थी. संक्रमण और मौत के मामले में सबसे बाद में लॉकडाउन स्पेन ने लागू किया. सबसे उदार लॉकडाउन स्वीडन और ईरान ने अपने यहां लागू किया.
ऐसे शुरू हुई ढील भारत में
भारत ने 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में ढील देना शुरू किया. 3 मई के बाद से देश के सभी जिलों में उनमें आए मामलों की संख्या के आधार पर अलग-अलग जोन में बांट दिया. सबसे सुरक्षित ग्रीन जोन को माना गया है जहां पर कुछ पाबंदियों के अलावा जनजीवन अब सामान्य हो गया है. ऐसे क्षेत्र जहां पर कोरोना के असर में गिरावट आई है उन्हें ऑरेंज जोन बनाया गया है. यहां पर कई शर्तों के साथ थोड़ी ढील लॉकडाउन में दी गई है.
जिन क्षेत्रों में कोरोना का प्रकोप पहले जैसा या बढ़ा है उन्हें रेड जोन और कंटेनमेंट जोन घोषित किया है. यहां लॉकडाउन का पहले की तरह ही सख्ती से पालन करवाया जा रहा है. हालांकि बीते कुछ दिनों में भारत में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली तीनों शहर कोरोना वायरस से फिलहाल बुरी तरह प्रभावित हैं. राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु अभी सबसे ज्यादा मामलों वाले राज्य बने हुए हैं. गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ छोटे राज्यों में कोरोना का कोई नया मामला नहीं आया है. केरल और छत्तीसगढ़ में भी संक्रमण के सक्रिय मामलों की संख्या 100 से नीचे है.
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