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कविता लिखते वक्त कौन सा बल्ब जगाना है, ऐप बताएगा

२ दिसम्बर २०१६

गणित के समीकरण सुलझाते समय जो प्रकाश हमारी मदद करेगा, क्या कविता-कहानी लिखते समय भी वही प्रकाश हमारी क्रिएटिविटी बढ़ाने के काम आएगा?

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Luciafest Mädchen mit Kerzen auf dem Kopf
तस्वीर: Imago

प्रकाश हमारी सोच, रचनात्मकता और कार्यक्षमता पर गहरा असर डालता है. लेकिन गणित के समीकरण सुलझाते समय जैसा प्रकाश हमारी मदद करेगा, क्या कविता-कहानी लिखते समय भी वही प्रकाश हमारी क्रिएटिविटी बढ़ाने के काम आएगा? कोलोन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक ऐसे लाइट कंट्रोल सिस्टम बनाना चाहते हैं, जो भविष्य में हमारे तमाम कामों में मददगार होंगे.

रिसर्च टीम में एक डॉक्टर और एक इंजीनियर हैं. दोनों ही एलईडी के मुरीद हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एलईडी के प्रकाश को सघन किया जा सकता है, इतना ही नहीं, लाइट की ब्राइटनेस को कंट्रोल भी किया जा सकता है. न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वाल्टर-उवे वाइटब्रेष्ट कहते हैं, "हैरानी इस बात पर हुई कि पहले तो हमें समझ ही नहीं आया कि सूरज की रोशनी और कृत्रिम रोशनी का अलग अलग असर न सिर्फ हमारे व्यवहार और अनुभूति पर होता है, बल्कि कलर टेम्प्रेचर भी इसमें भूमिका निभाता है."

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ये खोज कोलोन यूनिवर्सिटी में ही हुई. इसके लिए 50 स्टूडेंट्स पर एक टेस्ट किया गया. सभी स्टूडेंट्स ने टेस्ट में सवालों के जवाब दिए. प्रयोग के समय और सवालों में बदलाव नहीं किया गया, बस सिर्फ एलईडी लाइट बदली गई. लाइट के टेम्प्रेचर को सावधानी से बदला गया. इस दौरान धड़कन जैसे सेहत के पैमानों को इस दौरान सेंसर से दर्ज किया गया.

नतीजा दिखाता है कि एलईडी लाइट के कलर टेम्प्रेचर में किए बदलाव का असर छात्रों के रिजल्ट पर भी पड़ा. भौतिक विज्ञानी प्रो. हार्टमुट बेयरवोल्फ बताते हैं, "वॉर्म, सफेद लाइट में क्रिएटिविटी में इजाफा हुआ. दूसरी ओर तर्क संबंधी चुनौतियों का कोल्ड व्हाइट लाइट में बेहतर हल निकला. इसीलिए एक्जाम में कोल्ड, व्हाइट लाइट बेहतर होगी. और अगर हम क्रिएटिव होना चाहते हैं तो हमारे पास वॉर्म व्हाइट लाइट सोर्स होना चाहिए."

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इस यूनिवर्सिटी में न सिर्फ रिसर्च होती है, बल्कि यहां नई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के लिए भी प्रोटोटाइप तैयार किए जाते हैं. स्थानीय कंपनियों के साथ सहयोग से लाइट कंट्रोल यूनिट बनाई गई है. दफ्तर में या घर में लाइट के कलर को चेंज करने के लिए एक ऐप भी बनाया गया है. इसके जरिये कोई भी व्यक्ति अपने काम काज के हिसाब से लाइट की कलर ट्यूनिंग में ब्राइट व्हाइट, हल्का नीला, लाल या फिर हरा रंग डाल सकेगा. इंजीनियर भविष्य के लिए और भी बेहतर लाइट कंट्रोल सिस्टम डिजायन करने में लगे हैं. वे आर्टिफिशियल लाइट को दिन की रोशनी के साथ मिलाना चाहते हैं ताकि आइडियल लाइटिंग हो सके. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं क्योंकि प्राकृतिक रोशनी का रंग सुबह से शाम तक बदलता रहता है. न्यूट्रल व्हाइट लाइट के साथ इसे मिक्स करने के लिए अभी काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी.