रतन टाटा की जिंदगी के आठ अहम पड़ाव
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. क्या आप भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा के जीवन के कुछ अहम पड़ावों के बारे में जानते हैं?
जन्म और प्रारंभिक जीवन (1937)
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को बंबई (अब मुंबई) में हुआ. वह टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे. उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उन्हें उनकी दादी ने पाला, जिससे उनके जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारी का गहरा प्रभाव पड़ा.
शिक्षा और हार्वर्ड बिजनस स्कूल (1962-1975)
मुंबई में शुरुआती पढ़ाई के बाद वह 1962 में पढ़ने के लिए अमेरिका गए, जहां न्यू यॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से उन्होंने आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल की. इसके बाद 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया.
टाटा समूह के चेयरमैन (1991)
1991 में रतन टाटा ने जे.आर.डी. टाटा के बाद टाटा समूह के चेयरमैन का पदभार संभाला. उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने अलग-अलग कंपनियों को संगठित किया और दुनियाभर में अपने पांव फैलाए. तस्वीर में मुंबई स्थित टाटा स्टील का दफ्तर.
टेटली, जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए. 2000 में ब्रिटेन स्थित टेटली टी और 2008 में जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण टाटा को एक वैश्विक कंपनी के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित हुआ.
टाटा नैनो का लॉन्च (2008)
रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो लॉन्च की, जिसे आम लोगों की पहुंच में लाने के लिए बनाया गया था. भले ही यह व्यावसायिक रूप से उतनी सफल नहीं रही. इसके बारे में एक बार उन्होंने कहा था कि नैनो बनाना गलती नहीं थी, लेकिन उसे सबसे सस्ती कार के रूप में प्रचारित करना एक गलती थी.
टाटा ट्रस्ट्स और समाज सेवा
रतन टाटा को अपनी समाज सेवा के लिए भी जाना और माना जाता है. टाटा समूह ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में कई अहम काम किए हैं. रतन टाटा अक्सर समाज को कुछ लौटाने की अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता जाहिर करते थे.
टाटा समूह से रिटायरमेंट (2012)
रतन टाटा ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं कंपनी से अलग होने का आनंद ले रहा हूं. अखबारों की ओर नहीं देखता हूं और बुरी बातों की चिंता नहीं करनी पड़ती.” लेकिन वह कहते थे कि रिटायरमेंट का मतलब खाली बैठना नहीं बल्कि कुछ और ज्यादा करना है.
अंतरिम चेयरमैन के रूप में वापसी (2016)
साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद रतन टाटा ने 2016 में टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन के रूप में वापसी की, ताकि कंपनी को उस कठिन समय में स्थिर किया जा सके. लेकिन एक साल के भीतर ही उन्होंने नए अध्यक्ष को कंपनी सौंपी और रिटायर हो गए. (वीके/सीके)