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समाज

बेरूत धमाके के बाद देश में असंतोष, सड़कों पर उतरे लोग

७ अगस्त २०२०

बेरूत धमाके के बाद देश की जनता सरकार से नाराज होकर सड़कों पर उतर आई है. उसका कहना है कि सरकार और सिस्टम कुछ नहीं कर रहा है. गुरूवार को सैकड़ों लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

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तस्वीर: Reuters/M. Azakir

लेबनान की राजधानी बेरूत में विस्फोट के बाद अब देश की जनता का गुस्सा सरकार के खिलाफ उबाल मार रहा है. शक्तिशाली धमाके के बाद लेबनान सरकार को बढ़ते गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. गुरूवार रात बेरूत में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. लोगों के गुस्से के बीच अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने देश में राजनीतिक सुधार का आग्रह किया है.

धमाके के बाद का सदमा अब लेबनान में गुस्से में तब्दील होते जा रहा है. मंगलवार चार अगस्त को हुए धमाके में अब तक 149 लोगों की मौत हो चुकी है और पांच हजार से अधिक लोग घायल हैं. यह धमाका बंदरगाह पर सालों से पड़े अमोनियम नाइट्रेट की वजह से हुआ. मामले में बंदरगाह के माल गोदाम में विस्फोटक रखने में लापरवाही की जांच की जा रही है. सरकार ने बंदरगाह के कई अधिकारियों को नजरबंद रखने के आदेश दिए हैं.

कई लेबनानियों को लगता है कि यह धमाका सरकारी सिस्टम के सड़ जाने का सबूत है. 1975-1990 के गृहयुद्ध के बाद से लेबनान सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इस कारण लाखों लोग गरीबी में धकेले जा चुके हैं. सरकारी मीडिया के मुताबिक गुरूवार को सुरक्षा बलों ने मध्य बेरूत में दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. कई दर्जन प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जुटे थे. नेशनल न्यूज एजेंसी के मुताबिक प्रदर्शन में कुछ लोग घायल हुए हैं.

इससे पहले गुरूवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने लेबनान का दौरा किया और कहा कि आने वाले दिनों में सहायता के लिए फ्रांस अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन राहत प्रयासों के लिए सम्मेलन आयोजित करेगा. उन्होंने वादा करते हुए कहा, "लेबनान अकेला नहीं है." साथ ही उन्होंने कहा कि देश को अरबों डॉलर के बेलआउट की सख्त जरूरत है और देश अक्टूबर से ही राजनीतिक संकट से घिरा हुआ है. उन्होंने कहा जब तक देश तत्काल सुधारों को लागू नहीं करता वह "डूबता ही रहेगा."

Libanon, Beirut: Emmanuel Macron
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने धमाके वाली जगह का दौरा किया.तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/T. Camus

माक्रों ने लेबनानी नेताओं के बारे में बोलते हुए कहा कि, "उनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है. आने वाले हफ्तों में लेबनान की जनता के साथ रिश्तों को नया आयाम देना होगा जिससे वह प्रगाढ़ हो सके." माक्रों धमाके के बाद लेबनान का दौरा करने वाले पहले विदेशी राष्ट्रपति हैं. उन्होंने बंदरगाह के पास हुए धमाके के स्थल का जायजा लिया, वहां उन्होंने विस्फोट के बाद हुई तबाही देखी. जब वे एक दवा की दुकान का मुआयना कर रहे थे, बाहर खड़ी भीड़ "आतंकी" नेतृत्व के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रही थी. लोग "क्रांति" और "जनता इस शासन का खात्मा चाहती है" के नारे लगा रहे थे.

फ्रांस के प्रति झुकाव

लेबनान के करीब 44,000 लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका देकर "फ्रांस को अगले 10 साल के लिए शासन करने का आग्रह किया गया है." अवाज नाम की वेबसाइट पर धमाके के बाद लोगों ने बुधवार को ऑनलाइन याचिका डाली थी. अवाज एक सामुदायिक याचिका वेबसाइट है. याचिका में लिखा गया है, "लेबनान के अधिकारियों ने साफ तौर पर देश को सुरक्षित और प्रबंधित करने में असमर्थता दिखाई है. विफल होता सिस्टम, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के साथ देश अपनी अंतिम सांस तक पहुंच गया है. हम मानते हैं कि लेबनान को एक स्वच्छ और टिकाऊ शासन स्थापित करने के लिए फ्रांस के शासनादेश में होना चाहिए."

Libanon, Beirut: Emmanuel Macron
माक्रों के सामने रोती हुई एक महिला. तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/B. Hussein

लेबनान की जनता इस कद्र गुस्से में है कि हर कोई सरकार से नाराज नजर आ रहा है. 30 साल के मोहम्मद सयूर कहते हैं, "हम इस तरह से और बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. बहुत हुआ. पूरे सिस्टम को ही जाना पड़ेगा." सड़क पर ही नहीं लोग सोशल मीडिया पर भी अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, जिससे ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में देश में दोबारा विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो सकता है. पिछले साल अक्टूबर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे लेकिन आर्थिक कठिनाइयों और कोरोना वायरस की वजह से वह खत्म हो गए थे.

लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन और प्रधानमंत्री हसन दियाब ने इस हादसे के जिम्मेदार लोगों को जेल में डालने का वादा किया है. एक सैन्य अभियोजक ने कहा है कि बंदरगाह के 16 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है. लेकिन संस्थानों पर देश की जनता का भरोसा कम है और कुछ लोग बेरूत की सड़कों पर निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. रोष और निराशा के बीच विस्फोट ने लोगों के बीच एकजुटता को बढ़ा दिया है.

एए/सीके (एएफपी, एपी)

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