मरकर लौट आने वाले जीव
हर साल जानवरों की दर्जनों प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं. लेकिन कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं जो दोबारा जी उठती हैं या खोजी जाती हैं.
बोवियर का रेड कोलोबस
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इस बंदर को रेड लिस्ट यानी उस सूची में डाल रखा है जिसमें विलुप्तप्राय प्रजातियां होती हैं. लेकिन दिलचस्प बात है कि 2015 से पहले इसे विलुप्त ही माना जाता था. 2015 में ये बंदर कॉन्गो में नजर आए. इसे रोमियो एरर कहते हैं. यानी वो गलती, जबकि कोई प्रजाति जिंदा है और उसे विलुप्त बता दिया जाए.
रंगा मेंढक
ऐसे जानवर जो कथित तौर पर विलुप्त होकर लौट आते हैं, उन्हें लैजरस स्पीशिज कहा जाता है. लैजरस बाइबल के उस चरित्र का नाम है जिसे यीशू ने फिर से जिंदा कर दिया था. ऐसा ही है ये रंगा मेंढक.
फर्नाडीना कछुआ
इस विशाल कछुए को 1906 में विलुप्त मान लिया गया था लेकिन 2019 में प्रशांत महासागर में फर्नाडीना द्वीप पर यह एकमात्र मादा मिल गई. माना जाता है कि उसकी आयु 100 वर्ष से ज्यादा है.
साउथ आईलैंड टाकाहे
यह पक्षी सिर्फ न्यूजीलैंड के दक्षिणी द्वीप पर मिलता है. अंग्रेज जब चूहे, बिल्ली और कुत्ते ले गए तो ये पक्षी खत्म हो गए. लेकिन विलुप्त घोषित किए जाने के 50 साल बाद 1948 में यह पक्षी फिर से मिल गया.
चाकोआन सूअर
यह सूअर पराग्वे, अर्जन्टीना और बोलीविया में पाया जाता है. 1930 में इसे विलुप्त मान लिया गया था पर 1970 के दशक में यह फिर नजर आ गया. वैसे आदिवासी लोगों ने इसे कभी विलुप्त नहीं माना था.
चमकती चिड़िया
कोलंबिया के पश्चिमी आंदेस इलाके में यह चमकती चिड़िया पाई जाती है. इसके वजूद के बारे में शोधकर्ताओं ने बस संग्रहालयों में ही पढ़ा था. फिर 2004 में इसे दोबारा देखा गया. अब इसकी संख्या बढ़ रही है.
हार्लेक्विन मेंढक
वैज्ञानिकों को पता था कि यह मेंढक कोस्टा रिका में होता था और विलुप्त हो गया. लेकिन इसे कोलंबिया में दोबारा 2003 में देखा गया.