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समाजभारत

लांसेट: गति पर नियंत्रण से बच सकती हैं हजारों जानें

आमिर अंसारी
३० जून २०२२

लांसेट ने कई देशों के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद अनुमान लगाया है कि गाड़ी की गति को काबू में रखने से हजारों जानें बच सकती हैं. शोध में भारत का भी जिक्र किया गया है.

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Traffic Jam I Verkehr I Mobilität
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance

185 देशों में 74 अध्ययनों के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद लांसेट का अनुमान है कि बुनियादी ढांचे में बदलाव और गाड़ियों की गति पर नियंत्रण करने से हर साल विश्व स्तर पर अनुमानित 3,47,258 लोगों की जान बचाई जा सकती है. जबकि नशे में ड्राइविंग से निपटने के उपायों से 16,304 लोगों की जान बचाई जा सकती है.

इसी तरह से शोध में भारत के लिए कहा गया है कि सड़कों पर वाहनों की गति की जांच करने के लिए उठाए गए कदमों से सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ सकता है और ऐसे में हर साल 20 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है.

शोध में कहा गया है कि चार प्रमुख जोखिम कारकों जैसे तेज गति, नशे में ड्राइविंग, हेलमेट और सीटबेल्ट के उपयोग नहीं करने से दुनिया भर में हर साल होने वाली 13.5 लाख घातक सड़क दुर्घटनाओं में से 25 से 40 फीसदी को रोका जा सकता है.

शोध में कहा गया, "नए वैश्विक और देश स्तर के अनुमान बताते हैं कि नियमित रूप से हेलमेट और सीटबेल्ट पहनना, गति सीमा का पालन करना और नशे में गाड़ी चलाने से बचने से हर साल दुनिया भर में 3,47,000 से 5,40,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है."

यह अपने आप में पहला अध्ययन है जो देश विशिष्ट चार मुख्य सड़क सुरक्षा जोखिम कारकों को संबोधित करता है.

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शोध के मुताबिक भारत में तेज गति की जांच के लिए हस्तक्षेप से 20,554 लोगों की जान बचाई जा सकती है और क्रैश हेलमेट को बढ़ावा देने से 5,683 लोगों की जान बचाई जा सकती है. वहीं सीटबेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित करने से भी देश में 3,204 लोगों की जान बचाई जा सकती है. भारत के लिए शराब पीकर गाड़ी चलाने का अनुमान उपलब्ध नहीं था क्योंकि या तो शराब के सेवन से होने वाली कुल मौतों का प्रतिशत रिपोर्ट नहीं किया गया या गणना अस्थिर पाई गई.

इसी साल भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने "रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया-2020" नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कुल 1,20,806 घातक दुर्घटनाओं में से 43,412 राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 30,171 राज्य राजमार्गों पर और 47,223 अन्य सड़कों पर हुईं. सबसे चिंताजनक बात ये है कि इन घातक दुर्घटनाओं में सबसे अधिक युवा चपेट में आए.

रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए जिसमें 1,31,714 लोगों की जान गई और 3,48,279 लोग घायल हुए. हर एक सौ सड़क हादसे में 36 लोगों की जान गई जो कि साल 2019 के 33 के मुकाबले कहीं अधिक है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2020 में ट्रैफिक नियम उल्लंघन की श्रेणी के तहत ओवर स्पीडिंग के तहत 69.3 फीसदी लोगों की मौत हुई, जबकि गलत दिशा में गाड़ी चलाने से हुए हादसे में 5.6 फीसदी लोगों की जान गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोटें हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने के कारण हुईं, इसी तरह 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और चोटें सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के कारण हुईं.