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बृहस्पति की कक्षा में जूनो

५ जुलाई २०१६

पांच साल की यात्रा के बाद अंतरिक्ष यान जूनो को बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किया जाना है. अभियान का मकसद सौरमंडल के निर्माण के बारे में साक्ष्य जुटाना है.

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NASA Juno Sonde am Jupiter Illustration
तस्वीर: NASA/JPL-Caltech

सोमवार की अमेरिकी समय के मुताबिक शाम 8 बजकर 18 मिनट पर बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किए जाने के लिए जूनो के इंजनों को स्टार्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद के 35 मिनट बेहद अहम रहेंगे और शोधकर्ता कैलिफोर्निया में स्थित नासा की जेट प्रोपल्जन लैबोरेट्री से इस पर नजर बनाए रखेंगे. शोधकर्ताओं को तीन सेंकंड लंबे एक रेडियो सिग्नल का इंतजार रहेगा जो कि घोषणा करेगा कि ​अभियान सफल रहा.

जूनो को बृहस्पति की सतह से महज 5000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है. वहां यह 20 महीने तक बृहस्पति की कक्षा में 37 चक्कर लगाएगा. बृहस्पति के बारे में माना जाता है कि सौर मंडल में सबसे पहले यही ग्रह बना. साथ ही यह भी माना जाता है कि सूर्य से अलग होने के क्रम में उसके कई तत्व और गैसें इसमें शेष रह गई.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस अभियान के जरिए अतीत की खिड़की से पीछे झांकने का मौका मिलेगा और सौरमंडल के निर्माण प्रक्रिया के कुछ साक्ष्यों का पता लगेगा. इस अभियान का खर्च 1.1 अरब डॉलर है. इस अंतरिक्ष यान में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति के घुमावदार बादलों की परत के नीचे झांकने में भी कामयाब होंगे.

सबसे पहले बृहस्पति के वातावरण में पानी की मौजूदगी को मापने पर ध्यान दिया जाएगा जिससे ग्रह की बनावट के तरीके की जांच की जा सके. पिछले अभियान में बृहस्पति के वातावरण में पानी की कोई मौजूदगी नहीं पाई गई थी और वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ था कि ऐसा कैसे हो सकता है.

जूनो बृहस्पति के कोर का पता लगाने के लिए उसके चुंबकीय और गुरुत्वीय क्षेत्रों का नक्शा खींचेगा. साथ ही यह ग्रह की बनावट, तापमान और बादलों को भी मापेगा और पता लगाएगा कि कैसे इसकी चुंबकीय शक्ति वातावरण को प्रभावित करती है.

दो दशक पहले गैलिलियो नाम का पहला और एकमात्र अं​तरिक्ष यान बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किया जा सका था. उम्मीद की जा रही है कि जूनो उन सवालों के जवाब तलाशने में कामयाब रहेगा जो पिछले अभियान में छूट गए थे. बृहस्पति की पहली यात्रा 1973 में पायनियर 10 ने की थी.

आरजे/आईबी (डीपीए, एपी)