स्वाद बढ़ाने वाली चॉपस्टिक
दुनिया के कई देशों में खाना खाने के लिए चॉपस्टिक का इस्तेमाल होता है. जापानी वैज्ञानिकों ने ऐसी चॉपस्टिक बनाई हैं जो नमकीन स्वाद को बढ़ा देंगी. इसका स्वास्थ्य को भी फायदा होगा.
इलेक्ट्रॉनिक चॉपस्टिक
ये हैं इलेक्ट्रॉनिक चॉपस्टिक, जिन्हें जापान की मेजी यूनिवर्सिटी में होमेई मियाशिता ने एक निजी कंपनी किरीन होल्डिंग्स के साथ मिलकर बनाया है. ये कंप्यूटर आधारित चॉपस्टिक हैं जो नमकीन स्वाद को बढ़ा देती हैं.
स्वास्थ्य के लिए
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये चॉपस्टिक उन लोगों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होंगी जिन्हें स्वास्थ्य कारणों से सोडियम कम खाना है. उन्हें स्वाद भी आएगा और नमक भी नहीं खाना होगा.
कलाई पर कंप्यूटर
ये चॉपस्टिक प्रयोग करते वक्त कलाई पर बैंड बांधना होता है जो एक छोटा कंप्यूटर है. चॉपस्टिक खाने में सोडियम आयन चुनकर उनका स्वाद सीधे मुंह तक पहुंच देती हैं. इससे नमक का स्वाद डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है.
चॉपस्टिक का इतिहास
पारंपरिक तौर पर बांस या लकड़ी की बनी मोटी तीलियों को चॉपस्टिक के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है. ये शांग वंश के साम्राज्य के दौरान 1766 से 1122 ईस्वी के बीच में चीन में विकसित हुईं और फिर पूरे पूर्व एशिया में फैल गईं.
जापान में चॉपस्टिक
कोरिया, वियतनाम और जापान में चॉपस्टिक 500 ईस्वी में पहुंचीं. पहले जापान में इनका इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक क्रियाकलापों में होता था.
चॉपस्टिक के विश्वास
खाने के इस उपकरण के साथ बहुत से मिथक भी जुड़े हैं. जैसे कुछ लोग चांदी की चॉपस्टिक प्रयोग करते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर खाना जहरीला होगा तो ये चॉपस्टिक काली हो जाएंगी और उन्हें पता चल जाएगा. कुछ एशियाई देशों में कहा जाता है कि यदि आप गैर बराबर चॉपस्टिक प्रयोग करते हैं तो आपकी नाव या विमान छूट जाएंगे.