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आतंकवादपाकिस्तान

पाकिस्तान में पांव पसारता आईएस

१९ अप्रैल २०२२

तालिबान ने इस्लामिक स्टेट को दबाने और अफगानिस्तान में फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आईएस के लड़ाके पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर बढ़ने लगे.

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तस्वीर: Muhammad Sajjad/AP/picture alliance

पिछले साल अगस्त में जब तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में लौटा, तो उसे अन्य चुनौतियों के अलावा, आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट से निपटने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. तालिबान ने उसे दबाने और देश में फैलने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आईएस के लड़ाके पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर बढ़ने लगे.

बशीर एक युवा तालिबान लड़ाका था, जब पूर्वी अफगानिस्तान के एक गांव पर लगभग आठ साल पहले इस्लामिक स्टेट ने कब्जा कर लिया था. वह मुश्किल से बीस वर्ष का था जब वह इस्लामिक स्टेट समूह के चंगुल में फंस गया. उसके गांव में आईएस के लड़ाके ऐसे किसी भी व्यक्ति को पकड़ लेते जो तालिबानी होता. और उसे मौत के घाट उतार देता. आईएस के लड़ाके तालिबान के सदस्यों का सिर कलम करते और यह सजा उनके परिवारों के सामने दी जाती थी. इतने खतरनाक जाल में फंसने के बावजूद बशीर किसी तरह भागने में सफल रहा और आने वाले कई सालों तक छिपने में कामयाब रहा.

जैसे ही आईएस ने नंगरहार प्रांत के कई जिलों पर अपना नियंत्रण खोना शुरू किया, बशीर का नाम उभरने लगा और वह तालिबानी रैंकों में एक प्रमुख व्यक्ति बन गया. उसके बाद वह जल्द ही एक प्रमुख तालिबान नेता बन गया.

बशीर, अब इंजीनियर बशीर के रूप में जाना जाता है और अब पूर्वी अफगानिस्तान के लिए खुफिया प्रमुख है और आईएस के खिलाफ तालिबान के अभियान में एक प्रमुख व्यक्ति बन गया है. वह अपने गृह जिले कोट में आईएस लड़ाकों के अत्याचारों को नहीं भूला है. नंगरहार की राजधानी जलालाबाद में समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में बशीर ने आईएस के क्रूर अत्याचारों और भयावह पलो को याद किया और बताया, "मैं उनके अत्याचारों के बारे में बता नहीं सकता. आप उनके अत्याचारों की प्रकृति की कल्पना नहीं कर सकते."

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पाकिस्तान में बढ़ता आतंकवाद

पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है. पेशावर में एक शिया मुस्लिम मस्जिद पर 4 मार्च के आत्मघाती हमले के बाद हुए रक्तपात के निशान अभी भी दीवारों पर दर्ज हैं. इस आतंकी हमले में 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हमले के कई हफ्ते बाद आईएस ने आत्मघाती हमलावर की पहचान एक अफगान के रूप में करने का दावा किया था.

पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक स्वतंत्र थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज के कार्यकारी निदेशक आमिर राणा के मुताबिक पाकिस्तान में पिछले एक साल में आतंकवादी हमले बढ़े हैं और अब तेज हो रहे हैं.

थिंक टैंक के मुताबिक इस साल मार्च के अंत तक पाकिस्तान में 52 आतंकवादी हमले हुए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 35 आतंकवादी हमले हुए थे. इस साल के आतंकवादी हमले पिछले साल की तुलना में अधिक भयावह और घातक साबित हुए. पिछले साल के 68 की तुलना में इस साल अब तक इन हमलों में 155 लोग मारे गए हैं.

सबसे खराब हमले का दावा इस्लामिक स्टेट खोरासान (आईएस-के) ने किया, जो इस्लामिक स्टेट से संबद्ध अफगान प्रांत खोरासान का एक समूह है. समूह पहली बार 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में सामने आया था. 2019 तक यह नंगरहार प्रांत के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र पर कब्जा कर पड़ोसी प्रांत कुनार में प्रवेश कर गया था.

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खतरनाक है इस्लामिक स्टेट खोरासान 

अमेरिकी सेना ने इस्लामिक स्टेट खोरासान के खिलाफ एक बड़ा हवाई अभियान शुरू किया था और एक संदिग्ध आईएस ठिकाने को निशाना बनाया, जिसमें सबसे बड़े पारंपरिक अमेरिकी बम का इस्तेमाल शामिल था, जिसे "मॉदर ऑफ ऑल बम" के रूप में जाना जाता है. लेकिन हमले में आईएस बच गया और इसने तालिबान के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती पेश की.

सत्ता में आने के बाद तालिबान ने आईएस के संदिग्ध लड़ाकों के खिलाफ अपनी जवाबी कार्रवाई शुरू की है, उसके गढ़ों पर हमला किया है. पिछले साल अक्टूबर और नवंबर में कई क्षेत्रों के निवासियों ने दर्जनों शव पेड़ों से लटके होने की सूचना दी. उन्हें बताया गया कि मारे गए लोग आईएस के लड़ाके थे.

बशीर का कहना है कि तालिबान आईएस पर लगाम लगाने में कामयाब रहा है. बशीर कहता है, "हमने उन सभी क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया है, लेकिन कुछ लड़ाकों के अपने घरों में छिपे होने की संभावना है, लेकिन अब कोई भी क्षेत्र उनके नियंत्रण में नहीं है."

एए/सीके (एपी)

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