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कलाविश्व

'मीटू' के बाद नई रोशनी में देखा जा रहा है पिकासो को

७ अप्रैल २०२२

पाब्लो पिकासो का महिलाओं के प्रति जैसा रिकॉर्ड था उसकी वजह से आज वो महिलावाद के आदर्श तो बिल्कुल भी नहीं होते. लेकिन 'मीटू' आंदोलन के बाद शुरू हुए विमर्श में उनकी विरासत संभालने वालों के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पिकासो की दो पत्नियां, कम से कम छह मिस्ट्रेस और अनगिनत प्रेमिकाएं थीं. इसके अलावा उनकी प्रवृत्ति महिलाओं के बीमार होने पर उन्हें छोड़ देने की थी. वो वेश्याओं के पास भी बहुत ज्यादा जाते थे और जब उन्होंने 79 वर्ष की उम्र में दोबारा शादी की तो उस समय उनकी दूसरी पत्नी की उम्र 27 साल थी.

उनकी कुछ बातें अगर आज किसी ने कही होतीं तो हो सकता है ट्विटर पर उन्हें लेकर आग ही लग जाती. मिसाल के तौर पर, एक बार उन्होंने कहा था, "मेरे लिए दुनिया में सिर्फ दो ही किस्म की महिलाएं हैं: देवियां और पायदान."

(पढ़ें: जर्मनी में पिकासो की प्रदर्शनी)

चर्चा को प्रोत्साहन

इसमें कुछ भी नया नहीं है. 1973 में पिकासो की मौत के तुरंत बाद से ही इस पर कई लेख और किताबें भी लिखी जा चुकी हैं. लेकिन 'मीटू' के बाद के इस युग में यह पिकासो की विरासत की देखरेख करने वालों के लिए एक चुनौती है.

पाब्लो पिकासो
फ्री जर्मन युथ युवा संगठन के सदस्यों के लिए डिजाइन किए हुए कपड़ों पर हस्ताक्षर करते पिकासोतस्वीर: Succession Picasso/VG Bild-Kunst, Bonn 2021

पेरिस के पिकासो संग्रहालय की निदेशक सेसिल देब्रे ने बताया, "मीटू ने स्पष्ट रूप से उस कलाकार को कलंकित किया."  लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "ये हमले बेशक इतने ज्यादा हिंसक इसलिए भी हैं क्योंकि पिकासो मॉडर्न आर्ट में सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय किरदार हैं - वो एक ऐसे आदर्श हैं जिसे तोड़ा जाना जरूरी है."

लेकिन इस मुद्दे को रफा दफा नहीं किया जा रहा है. पेरिस संग्रहालय ने हाल ही में महिला कलाकारों को इस बहस में अपना योगदान देने के लिए कहा है. बार्सिलोना में भी उसी संग्रहालय की शाखा मई में कला इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों के साथ इसी मुद्दे पर चर्चाओं और वर्कशॉप का आयोजन कर रही है.

(पढ़ें: अदालत पहुंचा 'मीटू' के खलनायक वाइनस्टाइन का रेप केस)

हालांकि जानकार पिकासो पर हाल ही में किए गए कुछ हमलों की आलोचना कर रहे हैं. फ्रांस में इसी विषय पर एक पुरस्कृत पॉडकास्ट ने इस बहस को फिर से छेड़ दिया है. पॉडकास्ट 2017 में आई पत्रकार सोफी शोवो की किताब "पिकासो, द मीनोटॉर" पर आधारित है. मीनोटॉर एक ग्रीक पौराणिक चरित्र है जिसका शरीर इंसान का और सिर वृषभ का है.

पिकासो, एक राक्षस?

शोवो के मुताबिक पिकासो "हिंसक...ईर्ष्यालु...विकृत...विनाशकारी थे." देब्रे कहती हैं कि इन लोगों के दावों में से कुछ उस समय के हिसाब से नहीं हैं" और "बिना ऐतिहासिक संदर्भ के अटकलों से भरे हुए हैं."

पाब्लो पिकासो
पिकासो का बनाया चित्र "यंग वुमन"तस्वीर: Gloria Imbrogno/ZUMA/picture alliance

लेकिन उन्होंने फिर भी चुनौती का स्वागत यह कर किया है, "हमारे समय के और नई पीढ़ियों के सवालों से कला के इतिहास का पोषण होता है." कलाकार को कला से अलग करना आसान भी नहीं है.

पिकासो की पोती मरीना पिकासो ने एक बार उनके जीवन में आई महिलाओं के बारे में लिखा था, "वो उन्हें अपनी पाश्विक सेक्सुअलिटी के आगे झुका देते थे, उन्हें अपने अधीन कर लेते थे, उन पर जादू कर देते थे और उन्हें अपने कैनवास पर मसल देते थे."

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लेकिन पिकासो के नाती ओलिविएर पिकासो कहते हैं कि पिकासो को एक राक्षस की तरह दिखाने में खतरा यह है कि जो महिलाएं उनसे प्रेम करती थी आप उनसे उनकी स्वेच्छा छीन लेंगे.

पेचीदा रिश्ते

उन्होंने बताया कि इनमें से मारी-थेरेसे वॉल्टर जैसी कुछ महिलाएं युवा और कमजोर थीं जो उनकी कला की प्रेरणा बनती थीं और फिर बाद में खुद को अलग हटाया हुआ महसूस करती थीं. वॉल्टर ने बाद में आत्महत्या कर ली थी.

फ्रांसोआ गिलो
चित्रकार और पिकासो की पूर्व पार्टनर फ्रांसोआ गिलोतस्वीर: Wolfgang Thieme/dpa/picture alliance

लेकिन इनमें कुछ और महिलाएं फ्रांसोआ गिलो जैसी भी थीं जिन्हें अच्छी तरह से मालूम था कि उन्हें पिकासो से क्या मिल रहा है और उन्हें बाद में उनसे दूर जाने में कोई कष्ट नहीं हुआ. ओलिविएर कहते हैं, "कुछ महिलाओं के लिए सब ठीक रहा, लेकिन औरों के लिए यह काफी खराब रहा...यह सब काफी पेचीदा है. ये महिलाएं एक जैसी नहीं हैं."

यह पेचीदगी पिकासो के चित्रों में भी नजर आती है. ओलिविएर ने बताया, "कुछ चित्र हिंसक हैं, कुछ नाजुक हैं, बहुत मुलायम हैं...हर बार, जब उनकी प्रेरणा खत्म हो जाती है, तो वो किसी और चीज की तरफ बढ़ जाते हैं. महिलाएं उनकी कृतियों के लिए आवश्यक थीं और उनके बिना कुछ न कुछ कमी रह जाती."

सीके/एए (एएफपी)

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