जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान के तेवर तल्ख
६ जनवरी २०२०ईरान का कहना है वह बहुपक्षीय परमाणु समझौते के तहत लागू की गईं पाबंदियों का पालन अब नहीं करेगा. अमेरिका पहले ही इस समझौते से अलग हो चुका है और ईरान में अभी भी कई प्रतिबंध लगे हुए हैं. ऐतिहासिक समझौते को बनाए रखने के जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के आग्रह के बावजूद ईरान के सरकारी टीवी के मुताबिक देश अब 2015 के अपने परमाणु समझौते की किसी भी सीमा का पालन नहीं करेगा. टीवी रिपोर्ट के मुताबिक ईरान अब यूरेनियम के संवर्धन को सीमित नहीं करेगा.
2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ ही जर्मनी के साथ परमाणु समझौता हुआ था. हालांकि तेहरान का कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था, आईएईए के साथ सहयोग करता रहेगा. जर्मनी समेत 6 देशों ने ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था, ईरान का कहना है कि अब उनकी यूरेनियम संवर्धन क्षमता की कोई सीमा नहीं है. साल 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस समझौते से एकतरफा बाहर होते हुए ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसी के साथ समझौते के रद्द होने का डर पैदा हो गया था.
ईरान सरकार के प्रवक्ता ने रविवार को कहा है कि अगर अमेरिका मौजूदा प्रतिबंधों को हटा लेता है वह अपने कदम वापस ले लेगा. हालांकि उस प्रवक्ता ने आगे यह नहीं बताया कि वह किस यूरेनियम को संवर्धित करेगा या ईरान के परमाणु अनुसंधान और विकास का स्तर क्या होगा. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दोहराते हुए कहा है कि अगर ईरान कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए कोई कार्रवाई करता है तो अमेरिका जोरदार तरीके से जवाब देगा.
ट्रंप की दोहरी धमकी
दूसरी ओर ईरानी जनरल की मौत के बाद रविवार को इराकी संसद ने अमेरिकी फौज को देश से बाहर निकालने का प्रस्ताव पास किया है. इराकी संसद में इस मुद्दे पर मतदान हुआ और प्रस्ताव पास किया गया कि सरकार अमेरिका से सुरक्षा समझौते खत्म करे. यह समझौता चार साल पहले किया गया था. इराकी सेना को प्रशिक्षण और मदद देने के लिए अमेरिका के करीब 5,200 सैनिक वहां तैनात हैं.
ट्रंप ने इराकी संसद द्वारा पारित प्रस्ताव पर कहा है कि वह इतने कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाएंगे जिसका इराक ने अब तक कभी सामना नहीं किया होगा. साथ ही ट्रंप ने ईरान को भी चेताते हुए कहा है कि अगर वह सुलेमानी की मौत का बदला लेते हुए हमला करता है तो वह भी जोरदार तरीके से बदला लेंगे. रविवार को ईरानी शहर मशहद में जनरल सुलेमानी को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए लोगों ने "अमेरिका मुर्दाबाद" के नारे लगाए.
क्यों अहम है 52 का आंकड़ा
ट्रंप ने ईरान को धमकी देते हुए यह भी कहा कि ईरान के हमले के जवाब में अमेरिका 52 जगहों को निशाना बनाएगा. ट्रंप ने कहा अमेरिका बहुत ही तेजी से और जोरदार तरीके से हमला करेगा. ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी बमबारी में ईरानी सांस्कृतिक विरासत स्थलों को निशाना बनाया जा सकता है. दरअसल ट्रंप ने जिस 52 अंक का जिक्र किया है उसका संबंध 1979 में तेहरान में अमेरिकी दूतावास में बंधक बनाकर रखे गए 52 लोगों की संख्या से है. 1979 में तेहरान में 52 लोगों को एक साल से अधिक समय के लिए बंधक बनाकर रखा गया था. हालांकि आलोचकों का कहना है कि अगर ट्रंप सांस्कृतिक विरासत को निशाना बनाते हैं तो वह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध की श्रेणी में आ जाएगा. एयर फोर्स वन में पत्रकारों से ट्रंप ने कहा, "अगर वह कुछ करते हैं तो बड़ा बदला लिया जाएगा."
अपने ताजा बयान में भी ट्रंप इस बात पर अड़े रहे कि अमेरिकी सेना सांस्कृतिक विरासत को निशाना बना सकती है. ईरान में दो दर्जन से अधिक यूनेस्को हेरिटेज साइट्स हैं. ट्रंप ने कहा, "उन्हें हमारे लोगों को मारने की इजाजत है, हमारे लोगों को टॉर्चर करने और अपाहिज बनाने की इजाजत है. सड़क किनारे बम लगाकर हमारे लोगों को मारने की इजाजत है और हमें उनकी सांस्कृतिक विरासत को छूने की भी इजाजत नहीं है? इस तरीके से काम नहीं होगा."
इराक में तैनाती
सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका के सहयोगी देश इराक में भी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. सुलेमानी की मौत के बाद वहां मौजूद 5,200 सैनिकों की भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई इराकी नागरिकों ने सुलेमानी की मौत पर गुस्सा जाहिर किया है. ईरान सुलेमानी की मदद से ही इराक के भीतर प्रभुत्व कायम कर पाया है. रविवार को बगदाद के ग्रीन जोन में स्थित अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाने के इरादे से दो रॉकेट हमले किए गए थे. शनिवार की रात भी ग्रीन जोन में रॉकेट हमले हुए थे. यह हमला इराक के विदेशी मंत्री द्वारा अमेरिकी राजदूत को तलब करने के कुछ घंटे बाद ही हुआ था.
दूसरी ओर इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अदल अब्दुल मेहदी ने सुलेमानी की हत्या को "राजनीतिक हत्या" करार देते हुए संकेत दिया है कि वह इराक में विदेशी सेना की वापसी का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि विदेशी सेना की वापसी तत्काल हो या फिर एक समय सीमा के तहत होनी चाहिए. ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि अगर दबाव डालकर सेना की वापसी होती है तो जो प्रतिबंध लगे हुए हैं, उनसे भी कठोर प्रतिबंध ईरान पर लगाए जाएंगे जिसका असर ईरान की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी होगा. ट्रंप ने कहा, "अगर वह हमें इराक छोड़ने को कहते हैं और हम दोस्ताना तरीके से ऐसा नहीं करते हैं तो हम ऐसे प्रतिबंध लगाएंगे जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा होगा." ट्रंप ने कहा कि इराक में अमेरिका का मुख्य बेस "असाधारण रूप से बेहद महंगा" है. उन्होंने कहा, "हम तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक वह इसका भुगतान नहीं करते."
हिज्बुल्लाह की धमकी
लेबनान के हिज्बुल्लाह समूह ने भी कहा है कि अमेरिकी सेना को सुलेमानी को मारने की "कीमत" चुकानी पड़ेगी. इसके बाद इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड के पू्र्व प्रमुख ने धमकी दी कि अगर अमेरिका ईरान पर हमला करता है तो इस्राएली शहर हाइफा और तेल अवीव "धूल" में तब्दील हो जाएंगे. जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने तनाव को कम करने की अपील की है. जर्मनी सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने फोन पर बात की है और सभी नेता साथ मिलकर क्षेत्र में तनाव कम करने की कोशिश करेंगे."
जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने इस मुद्दे पर सहयोगी ईयू मंत्रियों के साथ आपात बैठक बुलाने की मांग की है. मास ने एक बयान में कहा, "यूरोपीय होने के नाते हमने सभी पक्षों से संवाद बिठाने की कोशिश की है. जिसका हमें इस स्थिति में पूरा इस्तेमाल करना चाहिए. हम चाहेंगे कि हाल के तनाव की वजह से इराक की स्थिरता और एकता को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए."
एए/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)
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