परमाणु कार्यक्रम पर ईरान और यूरोपीय देशों की बातचीत
२९ नवम्बर २०२४गोपनीयता का आलम यह है कि बैठक जिनेवा में हो रही है यह तो बताया गया है लेकिन किस जगह यह नहीं. बैठक परमाणु कार्यक्रम पर है इतना बताया गया है लेकिन क्या बातचीत होगी यह नहीं. बैठक में शामिल देशों के विदेश मंत्रालयों ने बहुत थोड़ी जानकारी ही दी है. इसमें ईरान के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हो रहे हैं. ईरानी राजनयिक तख्त रावानची और विदेश मंत्री अब्बास अरागची बैठक में ईरान की तरफ से हिस्सा ले रहे हैं.
ईरान ने किया सबसे आधुनिक मिसाइलों का इस्तेमाल
गुरुवार को इसकी जमीन तैयार करने के लिए तख्त रावानची और कानूनी तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप विदेश मंत्री काजेम गरीबाबादी ने यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के उप महासचिव एनिक मोरा से मुलाकात की. मुलाकात के बाद मोरा ने एक्स पर लिखा कि उन्होंने, "ईरान के रूस को सैन्य सहयोग जिसे रोकना होगा, परमाणु मुद्दा जिसका राजनयिक समाधान निकालना होगा और क्षेत्रीय तनाव और मानवाधिकारों पर खुल कर बातचीत की है."
ईरान और यूरोपीय देशों में तनाव
शुक्रवार की बैठक मध्यपूर्व में ईरान के सहयोगियों और इस्राएल के बीच अत्यधिक तनाव की वजह से भी अहम है. इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को कहा कि इस्राएल तेहरान को परमाणु बम हासिल करने से रोकने के लिए "सबकुछ" करेगा. इससे पहले अरागची ने चेतावनी दी थी कि अगर पश्चिमी देशों ने फिर प्रतिबंध लगाए तो वह हथियार विकसित करने पर लगे प्रतिबंधों को खत्म कर सकता है.
खुद का परमाणु बम बनाने के कितना करीब है ईरान?
पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान रूस को विस्फोटकों वाले ड्रोन की सप्लाई दे रहा है, जिनका यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल हो रहा है. उधर अपने पहले कार्यकाल में ईरान के खिलाफ अत्यधिक दबाव की नीति अपनाने वाले अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अगले 20 जनवरी को व्हाइट हाउस में लौट रहे हैं. इन बातों की छाया शुक्रवार की बातचीत पर गहरा असर डाल सकती है.
यूरोपीय देश अमेरिका के साथ मिल कर परमाणु ऊर्जा आयोग, आईएईए के जरिए ईरान को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले हफ्ते आईएईए की गवर्निंग बॉडी ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें असहयोग के लिए ईरान की निंदा की गई. ईरान ने इस कदम को "राजनीति से प्रेरित" बताया. इसके जवाब में ईरान ने "उन्नत सेंट्रीफ्यूज" का इस्तेमाल शुरू करने की बात कही जो उसके संवर्धित यूरेनियम के भंडार को बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं. हालांकि ईरानी अधिकारियों ने उसके बाद ऐसे संकेत दिए हैं कि ट्रंप की वापसी से पहले वो दूसरे देशों के साथ आना चाहते हैं.
ईरान की परमाणु नीति पर आशंकाएं
ईरान जोर देकर कहता है कि वह परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करना चाहता है. हालांकि आईएईए के मुताबिक वह बगैर परमाणु हथियार वाले देशों में अकेला ऐसा है जो यूरेनियम को 60 फीसदी तक संवर्धित कर रहा है. गुरुवार को गार्जियन अखबार को दिए एक इंटरव्यू में अरागची ने चेतावनी दी कि प्रतिबंध हटाने जैसे वादे पूरे नहीं होने की वजह से देश में यह बहस चल रही है कि क्या ईरान को अपनी परमाणु नीति बदल लेनी चाहिए. अरागची ने कहा, "कुछ समय के लिए हमारा इरादा 60 फीसदी से ऊपर जाने का नहीं है, और यह फिलहाल हमारी यही प्रतिबद्धता है."
2015 दुनिया के प्रमुख ताकतवर देशों और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते का मकसद ईरान को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से राहत देना था और बदले में उसके परमाणु कार्यक्रम को सीमित कर उसे हथियार बनाने की क्षमता हासिल करने से रोकना था. विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के लिए पश्चिमी देशों से बातचीत का मकसद ट्रंप और यूरोपीय सरकारों के दबाव से पैदा होने वाली "दोहरी मुसीबतों" से बचना है. राजनीतिक विश्लेषक मोस्तफा शिरमोहम्मदी ने ध्यान दिलाया है कि यूरोप में ईरान का समर्थन इन आरोपों के बाद घट रहा है कि उसने रूस को यूक्रेन पर हमले में सैन्य सहायता दी है. ईरान ने इन आरोपों से इनकार किया है और यूरोप से संबंध सुधारने की उम्मीद जताई है.
एनआर/आरपी (एएफपी)