इंडोनेशिया के माउंट सेमेरू में ज्वालामुखी विस्फोट
इंडोनेशिया के पूर्वी जावा प्रांत में माउंट सेमेरू के ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बड़े पैमाने पर राहत और बचाव का अभियान शुरू किया गया है. इंडोनेशिया के इस द्वीप पर बड़ी संख्या में लोग रहते हैं.
राख ही राख
इंडोनेशिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वत में विस्फोट के बाद 4 दिसंबर को राख का ढेर 1500 मीटर की ऊंचाई तक आकाश में फैल गया. आस पास के गांव पर गिरती राख की चादर बिछ गई है. अब तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
बारिश के बाद ज्वालामुखी विस्फोट
भारी बारिश के कारण 3,676 मीटर ऊंचे ज्वालामुखी के ऊपर पड़े लावा के गुंबद को पहले कमजोर किया और भी ढहा दिया इसके बाद वहां से गैसों और लावा के साथ भूस्खलन हुआ और लावा बह कर पास की नदी तक पहुंचने लगा.
राहत और बचाव अभियान
ज्वालामुखी से सबसे ज्यादा प्रभावित सुंबरवुलुह और सुपितुरांग गांव में सैकड़ों की संख्या में राहतकर्मियों को भेजा गया है. यहां के घरों और मस्जिदों की छत पर कई-कई टन राख और कचरा जमा हो गया है.
खतरनाक पर्वत है सेमेरू
सेमेरू को महामेरू भी कहा जाता है. पिछले 200 सालों में यह कई बार फटा है इसके बावजूद दसियों हजार लोग इसके आसपास के इलाके में रहते हैं और उनके लिए कभी भी खतरे की घंटी बज सकती है.
गैसों का गुबार
धीरे धीरे गैसें ठंडी हो कर राख के साथ पहाड़ों के अगल बगल नीचे गिरने लगीं. कई गांव तो पूरी तरह इनमें समा गये. हाल ही में दोबारा बना एक पुल भी इस सैलाब में ध्वस्त हो गया.
दो हफ्ते का आपातकाल
अधिकारियों ने अगले दो हफ्ते के लिए इलाके में आपातकाल की घोषणा की है और लोगों को मास्क और दूसरी चीजें बांटी जा रही हैं ताकि वो नई स्थिति का सामना कर सकें.
मवेशी बचायें या टीवी फ्रिज
सुरक्षित ठिकानों की ओर जाने वाले कुछ लोग अपने मवेशियों को बचाने की फिक्र कर रहे थे तो कुछ लोग टीवी फ्रीज जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान
भागे लोग
पिछली बार के भयानक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लोग डरे और जागरुक हुए हैं. खतरे की आहट देख बहुत से लोगों ने पहले ही यहां से निकल जाना ठीक समझा, जिसके हाथ जो लगा वह उसे लेकर निकल गया.
राहत और बचाव अभियान
ज्वालामुखी से सबसे ज्यादा प्रभावित सुंबरवुलुह और सुपितुरांग गांव में सैकड़ों की संख्या में राहतकर्मियों को भेजा गया है. यहां के घरों और मस्जिदों की छत पर कई-कई टन राख और कचरा जमा हो गया है.
डेंजर जोन
माउंट सेमेरु में पिछले साल भी ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था और तब 51 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2970 घरों को डेंजर जोन से बाहर निकाला गया था. 4 दिसंबर के विस्फोट के बाद डेंजर जोन का दायरा 8 किलोमीटर और बढ़ाया गया है.
सुरक्षित ठिकाने पर
2000 से ज्यादा लोगों को उनके घरों से निकाल कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है. इन लोगों ने स्कूलों और कम्युनिटी हॉल में शरण ले रखी है.