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लोगों की निजी जानकारियां नहीं रख पायेंगी टेलिकॉम कंपनियां

२० सितम्बर २०२२

लोगों के इंटरनेट ट्रैफिक और लोकेशन के बारे में बेरोकटोक आंकड़े जमा नहीं कर सकेंगी टेलिकॉम कंपनियां. यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस ने इसे मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन माना है और इनसे जुड़े कानूनों को अनुचित करार दिया है.

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यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस ने असीमित डाटा जमाम करने को गैरकानूनी माना है
यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस यूरोपीय संघ के लिये फैसले करती हैतस्वीर: Patrick Scheiber/imago images

जर्मनी में टेलिकॉम कंपनियों के पास ग्राहकों से जुड़ी निजी जानकारियां लंबे समय तक रखने के लिये एक कानून बनाया गया था. यूरोपीय अदालत ने उसे यूरोपीय कानून का उल्लंघन माना है और अब इस वजह से नियमों को बदला जायेगा.

जर्मनी की टेलिकॉम डॉएचलांड और स्पेसनेट ने जर्मन कानून को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों के इंटरनेट ट्रैफिक और लोकेशन के आंकड़े कई हफ्तों तक सुरक्षित रखें. जर्मन अदालत ने यूरोपीय अदालत से इस मामले में राय मांगी जिसके बाद अदालत की तरफ से यह बयान आया है. बयान में कोर्ट की तरफ से इस मामले पर पहले के फैसलों की पुष्टि करते हुए जारी बयान में कहा गया है, "यूरोपीय संघ का कानून आमतौर पर और बेरोकटोक फोन और लोकेशन डाटा को जमा रखने को पर रोक लगाता है."

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डाटा से निजी जिंदगी की जानकारी

जर्मनी के शीर्ष प्रशासनिक अदालत ने दलील दी थी कि इस डाटा के आधार पर लोगों की निजी जिंदगी के बारे में नतीजे निकालने की संभावना सीमित है और इसके लिये पर्याप्त सुरक्षा के उपाय भी किये गये हैं. हालांकि ईसीजे का कहना है कि इंटरनेट ट्रैफिक 10 हफ्ते तक और लोकेशन की जानकारी चार हफ्ते तक रखने से बहुत "व्यापक तौर पर जानकारी" मिलती है. यूरोपीय अदालत का कहना है, "जिस व्यक्ति का डाटा जमा किया जा रहा है उसकी निजी जिंदगी के बारे में इसके आधार पर बहुत सटीक नतीजे निकाला जा सकता है और खासतौर से उन लोगों की प्रोफाइल बनाई जा सकती है."

कोर्ट का कहना है कि इससे लोगों की रोजमर्रा की आदतें, उनके सामाजिक संबंधों के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है. यूरोपीय अदालत का कहना है कि इस तरह से लोगों का प्रोफाइल बनाना उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत का कहना है कि खास मामलों की बात और है लेकिन बेरोकटोक डाटा जमा करना उचित नहीं है.

यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस ने असीमित डाटा जमाम करने को गैरकानूनी माना है
यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस लग्जमबर्ग में हैतस्वीर: picture alliance/dpa

असीमित डाटा जमा करना गैरकानूनी

जर्मन कानून को गंभीर आपराधिक मामलों में लोगों पर अभियोग चलाने और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खतरों से बचाने के मकसद से बनाया गया था. अदालत का कहना है कि "निरोधक आधार" पर इस तरह के उपायों की अनुमति नहीं दी जा सकती. अदालत ने यह भी कहा है कि जिन मामलों में यूरोपीय संघ के देश "राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई गंभीर खतरा" देखते हैं जो "असल और वर्तमान" हैं तो टेलिकॉम प्रोवाइडरों को आंकड़े जमा करने का आदेश दिया जा सकता है. इस तरह के निर्देश की समीक्षा होनी चाहिये और सिर्फ उतने ही समय के लिये लागू किया जाना चाहिये जितना जरूरी है.

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जर्मन सरकार में कानून मंत्री मार्को बुशमान ने फैसले के बाद इसे "नागरिक स्वतंत्रता के लिये अच्छा दिन करार दिया है." उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "हम अब तुरंत और निश्चित रूप से बिना कानूनी आधार के आंकड़े जमा करने को तुरंत खत्म करेंगे." कानून मंत्री उदारवादी एफडीपी पार्टी के नेता हैं और इस पार्टी ने अपनी नीतियों में डाटा की सुरक्षा को प्रमुख जगह दी है.

सुरक्षा के नाम पर निजता का उल्लंघन नहीं

जर्मनी के लिये आंकड़ो की निजता एक संवेदनशील मुद्दा है. यहां की आदालतों ने इससे पहले कई ऐसे आदेश दिये हैं जिसमें सुरक्षा सेवाओं की लोगों के निजी जानकारियों तक पहुंच को सीमित किया गया है.  ईसीजे ने जिस कानून के बारे में राय दी है वह 2017 में बनाया गया था. अब इसे लागू होना था लेकिन उसके पहले ही यूरोपीय अदालत ने इसे अनुचित करार दे दिया. यूरोप के कई और देशों ने भी इस तरह के कानून बनाने की कोशिश की थी. मंगलवार को ही फ्रांस के एक इसी तरह के कानून के बारे में भी अदालत ने यही बात कही. फ्रांस आर्थिक अपराधों की जांच के लिये अपने देश में यह कानून लाना चाहता था.

सरकारें लोगों की निजी जानकारियां जमा करना चाहती हैं
डाटा प्रोटेक्शन की दिशा में कोर्ट का फैसला अहम माना जा रहा हैतस्वीर: oxinoxi - stock.adobe.com

यूरोपीय संघ के सदस्य देश बार बार ईसीजे में यह दलील देते हैं कि छानबीन के लिये उन्हें संचार से जुड़े डाटा की जरूरत है. हाल के वर्षों में फ्रांस, ब्रिटेन, बेल्जियम और दूसरे देशों में आतंकवादी हमलों के बाद कई बार यह मांग उठी. जर्मन सरकार की दलील थी कि टेलिकॉम कंपनियां अगर ये डाटा जमा करके रखें तो उन्हें जांच और इस तरह के हमलों को रोकने में मदद मिल सकती है.

यूरोपीय अदालत ने हमेशा इस तरह के कदमों के खिलाफ ही फैसला दिया.  2020 में ही लग्जमबर्ग में स्थित अदालत ने यह फैसला दे दिया था कि वास्तविक कंटेंट शामिल ना हो तो भी लोगों के कम्युनिकेशन से जुड़े डाटा को जमा करना संघ में गैरकानूनी है. इससे पहले 2016 में भी ईसीजे ने एक और मामले में फैसला सुनाया था कि संचार से जुड़े डाटा को जमा करना गैरकानूनी है. सदस्य देशों को सुरक्षा को गंभीर खतरे की स्थिति में सिर्फ सीमित समय के लिए इस रोक को निलंबित करने का अधिकार दिया था.

एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)