सुप्रीम कोर्ट ने दी इतालवी सैनिक को घर लौटने की इजाजत
२६ मई २०१६गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में इटली के नौसैनिक सल्वातोरे जिरोने को इटली वापस जाने की इजाजत दे दी. जिरोने के अनुरोध का भारत सरकार ने 'मानवीय आधार' पर समर्थन किया था. इस रिहाई में कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. मसलन, जिरोने को एक निश्चित पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी. साथ ही, इटली में रहते हुए भी भारत के सुप्रीम कोर्ट के सारे आदेश मानने होंगे.
यह मामला 2012 का है. इटली के दो नौसैनिकों ने भारतीय समुद्री सीमा में केरल के दो मछुआरों को गोली मार दी थी. उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था. उनमें से एक मासिमिलियानो लातोरे पहले ही स्वदेश जा चुके हैं. उन्हें 2014 में दौरा पड़ा था. उसके बाद इलाज के लिए उन्हें घर जाने दिया गया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लातोरे को सितंबर तक लौट आना है.
इटली की सरकार का कहना है कि उसके सैनिकों ने इरादतन हत्या नहीं की थी बल्कि नौसैनिक एक तेल टैंकर की सुरक्षा में तैनात थे और भारतीय मछुआरों को उन्होंने समुद्री डाकू समझ लिया था.
इटली इसके लिए यूएन की अदालत में भी चला गया था. इसी महीने की शुरुआत में यूएन की कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि भारत को जिरोने को रिहा करना चाहिए. जिरोने अब तक जमानत पर थे. वे पिछले चार साल से इटली के दूतावास में रह रहे हैं. द हेग में यूएन कोर्ट ने कहा कि जिरोने को घर लौटने देना चाहिए लेकिन उन्हें भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निश्चित की गईं जमानत की शर्तों का पालन करना होगा. बीते साल इस मामले में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी (ITLOS) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सारी कानूनी कार्रवाई को स्थगित कर दिया था.
इस मामले को लेकर न सिर्फ भारत और इटली के संबंधों में तनाव था बल्कि यूरोपीय संघ के साथ भी खिंचाव देखा जा सकता था. यह पूरा मामला एक कूटनीतिक संकट में बदलता जा रहा था. भारत और इटली में इस बात को लेकर खींचतान हो रही थी कि मुकदमा चलाने का अधिकार किसे है. इटली का कहना था कि भारत को इस मामले में मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं है. इसीलिए उसने अंतरराष्ट्रीय अदालत में गुहार लगाई थी. भारत ने यूएन कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही.
इटली का कहना है कि घटना के वक्त उसके सैनिक यूएन के समुद्री डकैतों के खिलाफ चलाए गए मिशन पर थे और जब उन्होंने मछुआरों पर गोली चलाई तब वे भारतीय सीमा में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे. इसलिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. भारत इस रुख का विरोध करता रहा है.
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह स्थिति थोड़ी असहज हो सकती है क्योंकि सरकार ने जिरोने के स्वदेश लौटने पर सुप्रीम कोर्ट में सहमति दी है. यूपीए सरकार के दौरान जब इन नौसैनिकों को क्रिसमस की छुट्टियां मनाने के लिए घर जाने की इजाजत मिली थी तो तत्कालीन विपक्षी दल बीजेपी ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी.
वीके/एमजे (एपी)