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वायुसेना को 48,000 करोड़ रुपये के 83 तेजस विमान मिलने जा रहे हैं. भारत में बने इस फाइटर प्लेन के बारे में आप कितना जानते हैं?
पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस मार्क 1ए वर्जन तेजस विमान की खरीदारी की बात पर मुहर लगाई थी.
अब सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 73 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान और 10 एलसीए तेजस एमके-1 ट्रेनर विमान की खरीद को मंजूरी दे दी है.
एचएएल के साथ डिजाइन और विनिर्माण क्षेत्रों में एमएसएमई सहित लगभग 500 भारतीय कंपनियां काम करेंगी.
एलसीए-तेजस आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है.
तेजस को बनने में 30 साल लगे. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिडेट ने तीन दशक तक काम करके यह हल्का लड़ाकू विमान बनाया.
तेजस का जेट इंजन अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाया है. और भी कई तरह के उपकरण कई देशों से लिए गए हैं.
तेजस की कीमत है 2.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर. जिस सुखोई की इसने जगह ली उसकी कीमत है 3.5 से 4 करोड़ डॉलर.
तेजस पहला भारतीय लड़ाकू विमान नहीं है. एचएएल ने एचएफ-24 मारूत बमवर्षक बनाया था जो 1990 तक भारतीय सेना का हिस्सा रहा.
चीन और पाकिस्तान ने मिलकर पीएसी जेफ-17 थंडर बनाया था. बहुत से लोग कहते हैं कि तेजस उसी का जवाब है.
चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बीच मंजूरी तो दी गई है लेकिन वायुसेना को तेजस मिलने में अभी भी काफी वक्त लगेगा.
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चीन और पाकिस्तान से सीमा विवाद के केंद्र सरकार ने वायुसेना के लिए 48 हजार करोड़ रुपये में 83 तेजस फाइटर जेट खरीदने का रास्ता साफ कर दिया है.