अंग्रेजों के जमाने का मौसम विभााग अब बदलेगा
१० जून २०१६अब आप भारत के मौसम विभाग का मजाक नहीं उड़ा पाएंगे. वह जो बताएगा, सही बताएगा. कम से कम इतनी उम्मीद की जा सकती है क्योंकि छह करोड़ डॉलर खर्च किए जा रहे हैं.
मॉनसून का अनुमान लगाने के लिए जो तरीका भारत में इस्तेमाल किया जाता है, वह 1920 का बना है. आंकड़ों का विश्लेषण करने वाला जेटिसनिंग नाम का यह तरीका ब्रिटिश राज के दौरान लाया गया था. तब से यही चल रहा है. अब भारतीय मौसम विभाग छह करोड़ डॉलर खर्च करके एक नया सुपर कंप्यूटर लगा रहा है जो अगले साल के मॉनसून का सटीक पूर्वानुमान लगाएगा.
नया सिस्टम अमेरिकी मॉडल पर आधारित है. इसमें आंकड़ों का सारा गुणा-भाग करने के लिए बहुत ताकतवर कंप्यूटर की जरूरत होती है. इस मॉडल में आंकड़ों का थ्रीडी विश्लेषण किया जाता है.
मॉनसून का पूर्वानुमान खेती-किसानी से जुड़ी भारत की बहुत बड़ी आबादी के लिए जरूरी है. अगर
सटीक अनुमान मिल जाए तो उत्पादन को 15 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है क्योंकि तब किसानों को पता होगा कि बुआई का सही वक्त क्या होगा. इस लिहाज से देखा जाए तो नया सिस्टम बहुत बड़ी राहत ला सकता है.
भू-विज्ञान मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक एम राजीवन कहते हैं, "सब ठीक रहा तो 2017 तक हम नए मॉडल को लागू कर देंगे."
जून से सितंबर के बीच भारत में बारिश होती है. और यही बारिश न सिर्फ फसलों के लिए सिंचाई का साधन होती है बल्कि देशभर के लाखों छोटे-बड़े तालाबों का जीवन भी इसी पर निर्भर करता है. देश की 70 फीसदी बारिश मॉनसून के दौरान होती है और आज भी बहुत बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए मॉनसून पर निर्भर है.
राजीवन ने यह नहीं बताया है कि नया सिस्टम किस कंपनी की मदद से लगाया जा रहा है लेकिन उन्होंने बताया कि मौजूदा सुपर कंप्यूटर आईबीएम का है और आने वाला सुपर कंप्यूटर इससे 10 गुना तेज होगा. उन्होंने कहा कि अब तक यह सिस्टम इसलिए नहीं अपनाया गया था क्योंकि इससे मॉनसून का अनुमान नहीं लग पाता था. उन्होंने कहा, "इस सिस्टम में मॉनसून का पूर्वानुमान संभव नहीं था इसलिए अब तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था."
भारत में गर्मी का कहर, देखें तस्वीरों में
भारत के मामले में समस्या यह है कि इसका आकार इतना बड़ा है कि कोई एक पूर्वानुमान पूरे देश के लिए सटीक बैठ ही नहीं सकता. उत्तर प्रदेश के एक किसान धर्मेंद्र कुमार के शब्दों में, "जिस दिन वे सिर्फ मेरे राज्य के लिए पूर्वानुमान जारी करेंगे, मुझे बेहद खुशी होगी. इससे जोखिम कम होंगे और हम अपनी फसल की बेहतर योजना बना पाएंगे."
भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में हुई थी. 1886 में उसने पहली बार मॉनसून का पूर्वानान जारी किया था.
वीके/आईबी (रॉयटर्स)