बजट में बढ़ सकता है सरकारी खर्च
१ फ़रवरी २०२२बजट से एक दिन पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा था कि आने वाले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 8-8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और इस वजह से सरकार के पास खर्च बढ़ाने की गुंजाइश रहेगी.
उम्मीद की जा रही है कि सरकारी खर्च बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था मंदी के असर से बाहर निकल पाएगी. जानकारों का मानना है कि इस समय सरकारी खर्च बढ़ने से अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा और नई नौकरियां भी बनेंगी.
इसके लिए वित्त मंत्री बजट में सड़कों और रेलवे जैसे क्षेत्रों के आबंटन को बढ़ा सकती हैं. इसके अलावा सस्ते घरों के लिए ज्यादा सब्सिडी दी जा सकती है. सिंगापुर की संस्था कैपिटल इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री शीलन शाह कहते हैं, "बजट की घोषणाओं के पहले वित्तीय स्थिति उम्मीद से ज्यादा बेहतर दिख रही है."
आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने भी पत्रकारों को बताया कि सरकार की आमदनी में 67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और इसका मतलब है कि सरकार के पास "जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त समर्थन देने की वित्तीय गुंजाइश" है.
समीक्षकों का अनुमान है कि यातायात और स्वास्थ्य सेवाओं पर 12 से 25 प्रतिशत तक खर्च बढ़ सकता है. नाम ना बताने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, "हम ज्यादा निवेश के जरिए अर्थव्यवस्था में फिर से जान डालने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे जबकि व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट करों को स्थिर रखा जाएगा."
उन्होंने यह भी कहा कि निवेश को आकर्षित करने के लिए सीतारमण और ज्यादा उद्योगों में उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन को बढ़ा सकती हैं. दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने भी बताया कि खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात ऐसे क्षेत्र हैं जिनको इस तरह के प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं.
हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने स्पष्ट कहा है कि 8-8.5 प्रतिशत जीडीपी विकास दर तभी होगी जब फिर से महामारी से जुड़ा कोई आर्थिक उलटफेर नहीं होगा, मॉनसून सामान्य रहेगा, अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा पैसा वापस खींचना तर्कसंगत रहेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 70 से 75 बैरल रहेंगे.
(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)