भारत के स्कूलों में नहीं हैं मूल सुविधाएं
भारत सरकार की एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के स्कूलों में बड़े पैमाने पर बिजली, शौचालय, किताबें, कंप्यूटर आदि जैसी मूल सुविधाएं नहीं हैं. अच्छी खबर है कि इसके बावजूद स्कूलों में नामांकन बढ़ रहा है.
पहले अच्छी खबर
शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई +) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2019-20 में प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर पर नामांकन कराने वाले बच्चों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 1.6 प्रतिशत (42.3 लाख) की बढ़ोतरी हुई. विशेष रूप से लड़कियों का नामांकन भी काफी बढ़ा है.
सुविधाएं गायब
लेकिन नामांकन की यह सकारात्मक तस्वीर सुविधाओं के अभाव को ढक नहीं पाई. यहां तक कि करीब 17 प्रतिशत स्कूलों में बिजली तक नहीं है.
किताबें
रिपोर्ट के मुताबिक 84.1 प्रतिशत स्कूलों में लाइब्रेरी या किताबें पढ़ने के लिए एक कमरा है, लेकिन किताबें सिर्फ 69.4 प्रतिशत स्कूलों में हैं.
कंप्यूटर
शहरों की तस्वीर देख कर शायद आपको लगे कि सोशल मीडिया के इस जमाने में स्कूलों में कंप्यूटर तो होंगे ही. लेकिन असलियत ये है कि आज भी 61 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में कंप्यूटर नहीं हैं.
इंटरनेट
इंटरनेट की उपलब्धता की तस्वीर और ज्यादा खराब है. देश के करीब 78 प्रतिशत स्कूलों में इंटरनेट नहीं है. जहां कंप्यूटर नहीं हैं वहां तो इंटरनेट होने का सवाल पैदा ही नहीं होता, लेकिन कई ऐसे भी स्कूल हैं जहां कंप्यूटर होने के बावजूद इंटरनेट नहीं है.
विकलांगों के लिए सुविधाएं
स्कूलों में विकलांग छात्रों के लिए भी सुविधाओं का भारी अभाव है. करीब 30 प्रतिशत स्कूलों में व्हीलचेयर चढ़ाने के लिए रैंप नहीं है और लगभग 79 प्रतिशत स्कूलों में विकलांगों के लिए अलग से शौचालय तक नहीं है.