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रेलवे बना रहा है प्लास्टिक की बेकार बोतलों से टी-शर्ट

२४ जुलाई २०१९

ट्रेन के सफर के दौरान पानी की जो बोतलें मिलती हैं, सफर के अंत में उन्हें क्रश कर के कूड़े में फेंकना होता है. लेकिन अकसर लोग बोतलों को यूं ही छोड़ देते हैं. पर अब हर खाली बोतल के पांच रुपये मिला करेंगे.

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Indien | Lifeline Express
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Vatsyayana

रेलवे स्टेशनों और ट्रेन के डिब्बों में खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतलें अब जल्द ही कल की बात होंगी क्योंकि रेलवे पानी की इन खाली प्लास्टिक की बोतलों से टी-शर्ट और टोपी बना रहा है. इसके लिए बोतलों को इकट्ठा करने का रेलवे ने नायाब तरीका भी खोज निकाला है. प्लास्टिक की बोतलें जमा करने वाले को प्रति बोतल के लिए पांच रुपये दिए जाएंगे. इस कदम से पर्यावरण को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी.

पूर्व मध्य रेलवे के चार स्टेशनों- पटना जंक्शन, राजेंद्रनगर, पटना साहिब और दानापुर स्टेशन पर रिवर्स वेंडिंग मशीन लगाई है, जिसमें पानी की प्लास्टिक की बोतलों को क्रश कर इससे टी-शर्ट और टोपी बनाई जा रही है. पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) राजेश कुमार ने आईएएनएस से कहा, "रेलवे स्टेशनों पर लगी बोतल क्रशर मशीन के प्लास्टिक का इस्तेमाल टी-शर्ट बनाने के लिए होगा. ये टी-शर्ट सभी मौसम में पहनने लायक होंगी."

टी-शर्ट बनाने के लिए रेलवे का मुंबई की एक कंपनी से करार हुआ है. जल्द ही प्लास्टिक की बोतलों से बनी टी-शर्ट बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध होंगी. टी-शर्ट का कपड़ा पॉलिएस्टर जैसा होगा. कुमार ने कहा कि हाल ही में झारखंड की राजधानी रांची में ऐसी ही टी-शर्टो की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. उन्होंने कहा कि इससे स्टेशनों और पटरियों पर छोड़े गए प्लास्टिक कचरे व प्रदूषण से रेलवे परिसर को मुक्ति मिलेगी.

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत सात से आठ किलोग्राम प्लास्टिक खपत होती है. अकेले रेलवे में पानी की बोतल के कुल कचरे का पांच प्रतिशत इसमें योगदान होता है. कुमार ने कहा कि पानी की प्लास्टिक बोतलों का उपयोग करने के बाद इसे क्रश कर देना होता है, लेकिन अज्ञानता के कारण लोग ऐसा नहीं करते और इसे कहीं भी फेंक देते हैं, इससे रेलवे स्टेशनों और रेल पटरियों पर प्रदूषण फैलता है. उन्होंने कहा, "अब यात्रियों को खाली बोतल के लिए पांच रुपये मिलेंगे. यह पांच रुपये उन्हें वाउचर के रूप में रेलवे की एजेंसी बायो-क्रश की ओर से मिलेंगे. इस पैसे का इस्तेमाल कई चुनिंदा दुकानों और मॉल में सामान खरीदने के लिए किया जा सकेगा."

क्रशर मशीन में बोतल डालने के समय मोबाइल नंबर डालना पड़ता है. फिर बोतल क्रश होने पर 'थैंक्यू' मैसेज के साथ राशि से संबंधित वाउचर मिल जाता है. इसे मिसाल के तौर पर 'डॉमिनोज पिज्जा' की दुकानों में इस्तेमाल किया जा सकता है. जल्द ही अन्य दुकानों और शोरूमों में इस वाउचर का उपयोग किया जा सकेगा. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि बोतलों को क्रश कर इसका लिक्विड बनता है, उसके बाद टी-शर्ट और टोपी बनाई जाती है.

आईएएनएस/आईबी

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