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हाई कोर्ट ने दी पेप्सी और कोका कोला को राहत

२ मार्च २०१७

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों कोका-कोला और पेप्सी को तमिलनाडु में एक नदी का पानी इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता.

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Venezuela Coca Cola Werbung in Caracas
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Barreto

चार महीने पहले इन दोनों कंपनियों को तमीरापरानी नदी का पानी इस्तेमाल करने से रोक दिया गया था. इस मामले में याचिका दायर रखने वाले डीए प्रभाकरण की दलील है कि इन शीतल पेय कंपनियों को नदी का पानी इस्तेमाल करने से इसलिए रोका जाए क्योंकि किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों कंपनियों ने अदालत को बताया कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. उनका कहना है कि वह तिरुनेलवेली जिले में सरकारी औद्योगिक क्षेत्र के तहत आते हैं जहां सभी उद्योगों को तमीरापरानी नदी का पानी मुहैया कराया जाता है.

इस औद्योगिक क्षेत्र में स्थित बोलटिंग प्लांटों को चार महीने से नदी का पानी इस्तेमाल नहीं करने दिया जा रहा है क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित था. याचिकाकर्ता प्रभाकर ने अदालत को बताया कि तमीरापरानी तमिलनाडु के दो जिलों में पीने और सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराती है. उनके मुताबिक, 2005 में तमिलनाडु सरकार ने कोका कोला से जुड़ी कंपनियों को हर रोज नदी से नौ लाख लीटर पाने निकालने की अनुमति दे दी और बाद में इस मात्रा को दोगुना कर दिया गया. याचिका के मुताबिक इन कंपनियों से प्रति एक हजार लीटर 37.50 रुपये ही लिया जा रहा है.

दोनों कंपनियों को हाई कोर्ट से ऐसे समय में राहत मिली है जब स्थानीय व्यापारी संघ भी उनका विरोध कर रहे हैं. फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु ट्रेडर एसोसिएशन के अध्यक्ष टीटी वेलैय्यान कहते हैं, "कोक और पेप्सी जैसे पेय सेहत के लिए ठीक नहीं हैं क्योंकि उनमें शुगर की बहुत अधिक मात्रा और रासायनिक होते हैं. उनके मुकाबले जूस और भारतीय पेय पदार्थ कहीं बेहतर हैं." वेलैय्यान का कहना है कि उन्होंने दुकानों और रेस्तराओं से भी इन कंपनियों के पेय अपने यहां न रखने को कहा है. व्यापारी संघ का कहा है कि कोला और पेप्सी पर लगाए गए उनके प्रतिबंध को राज्य में 15 लाख दुकानदारों का समर्थन मिल रहा है.

इन दो मशहूर अमेरिकी ब्रांड के खिलाफ मैदान में उतरे व्यापारी संघ ने पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले अमेरिकी समूह पेटा को भी निशाना बनाया है. ये लोग जल्लीकट्टू के खिलाफ पेटा की मुहिम से नाराज हैं.

एके/एमजे (डीपीए)