वैक्सीन को मंजूरी और कंपनियों के बीच "जुबानी जंग"!
भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने 3 जनवरी 2021 को दो टीकों के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. भारत में बनी कोवैक्सीन और कोविशील्ड को मंजूरी के साथ ही कंपनियों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई.
वैक्सीन को मंजूरी
3 जनवरी को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. इसी के साथ ही भारत एक साथ दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर देश में तैयार किया है. वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसको भारत बायोटेक ने तैयार किया है.
वैक्सीन पर बयानबाजी
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा है कि वैक्सीन पर राजनीति हो रही है और ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है. उन्होंने दावा किया कि कौवैक्सीन 200 फीसदी तक सुरक्षित है.
"पानी जैसी वैक्सीन"
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था अब तक सिर्फ तीन ही वैक्सीन की प्रभावशीलता साबित हुई है. उन्होंने कहा था फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एक्स्ट्राजेनेका ही प्रभावशाली है बाकी सभी वैक्सीन सिर्फ "पानी की तरह सुरक्षित" हैं.
कोवैक्सीन का बचाव
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि कंपनी के पास वैक्सीन बनाने का अनुभव है और लोग ट्रायल पर सवाल ना उठाएं. उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "हम सिर्फ भारत में ही क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं. हमने ब्रिटेन समेत 12 से ज्यादा देशों में ट्रायल किए हैं."
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
कोवैक्सीन पर हेल्थ एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल मध्य नवंबर तक शुरू नहीं हुआ था. जानकारों का कहना है कि कोविड वैक्सीन शॉट्स को लेकर डाटा का अध्ययन करना और उसे नियामक के पास जमा करना नामुमकिन है. भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है कि उसने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए अब तक 23,000 प्रतिभागियों का सफलतापूर्वक पंजीकरण कर लिया है.
कोवैक्सीन बैकअप!
भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है. भारत बायोटेक का कहना है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है. वहीं एम्स दिल्ली के निदेशक के मुताबिक कोवैक्सीन के टीके का इस्तेमाल बैकअप के रूप में हो सकता है. इसपर एल्ला कहते हैं, "यह एक वैक्सीन है, ना कि बैकअप, लोगों को इस तरह के बयान से पहले सोच लेना चाहिए." उन्होंने एम्स के निदेशक का नाम नहीं लिया.
"मिलकर करेंगे काम"
भारत की वैक्सीन कंपनियों ने विवाद के बाद 5 जनवरी को एक साझा बयान जारी कर कहा है कि वे देश और दुनिया तक वैक्सीन पहुंचाने का प्रण लेती हैं. बयान में कहा गया, "हमारे सामने अधिक महत्वपूर्ण काम देश और दुनिया की आबादी और आजीविका को बचाना है."
सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी में जुटा है. टीकाकरण को लेकर पिछले दिनों ड्राई रन भी किया गया था. टीकाकरण के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों और मृत्यु दर के उच्च जोखिम वाले लोगों का टीकाकरण होना है.