1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रांची हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाने पर विवाद

आमिर अंसारी
१६ जून २०२२

रांची में 10 जून को हुई हिंसा को लेकर पुलिस द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों के पोस्टर जारी करने को लेकर एसएसपी से जवाब मांगा गया है.

https://p.dw.com/p/4Clh8
रांची में 10 जून को हुई थी हिंसा
रांची में 10 जून को हुई थी हिंसातस्वीर: Rajesh Kumar/AFP/Getty Images

झारखंड की राजधानी में 10 जून को हुई हिंसा को लेकर रांची पुलिस द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों के पोस्टर जारी करने को लेकर एसएसपी से जवाब मांगा गया है. रांची के विभिन्न स्थानों पर पोस्टर लगाने के बाद पुलिस ने "तकनीकी त्रुटि" बताकर इन्हें वापस ले लिया था.

पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद रांची में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस हिंसा के दौरान 15 साल के मुदस्सिर आलम और 21 साल के मोहम्मद साहिल की मौत गोली लगने से हुई थी. पुलिस के साथ झड़प में दो दर्जन से अधिक लोग घायल भी हुए थे.

रांची पुलिस ने प्रदर्शन के कथित आरोपियों की तस्वीरों वाला पोस्टर जारी किए जाने के एक दिन बाद राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण इक्का ने बुधवार शाम वारिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से इस कथित "गैरकानूनी" गतिविधि पर स्पष्टीकरण मांगा है. रांची के अलग-अलग स्थानों पर पोस्टर लगाने के बाद पुलिस ने "तकनीकी त्रुटि" के कारण इन्हें हटा दिया था. पुलिस ने कहा था कि वह त्रृटि को ठीक कर पोस्टर दोबारा जारी करेगी.

राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण इक्का ने रांची के एसएसपी सुरेंद्र झा को लिखे पत्र में कहा, "यह कानून सम्मत नहीं है और 9 मार्च 2020 को माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन है."

पत्र में आगे कहा गया, "माननीय न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य को सड़क के किनारे कानूनी अधिकार के बिना व्यक्तियों की निजी जानकारी वाले पोस्टर नहीं लगाने का निर्देश दिया था. यह मामला लोगों की निजता में अनुचित हस्तक्षेप के अलावा और कुछ नहीं है. इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है."

रांची पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप शामिल करीब 30 लोगों के बारे में जानकारी मांगते हुए पोस्टर जारी किए थे.

राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में डीजीपी नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने के एक दिन बाद यह कदम उठाया गया था. राज्यपाल ने सवाल किया था कि प्रदर्शन के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए निवारक उपाय या कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

रांची पुलिस का कहना है कि हिंसक प्रदर्शन को लेकर अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि शहर के कुछ हिस्सों में धारा 144 अभी भी लागू है और राजधानी में तनाव बना हुआ है. रांची में सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है.

उत्तर प्रदेश: तीन नियम जो बुलडोजर चलाने में तोड़े गए

हिंसा पर राजनीति

रांची में हुई हिंसा को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम के नेता भी पोस्टर लगाए जाने पर सवाल उठा रहे हैं. पार्टी के एक नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर पुलिस को किसी के खिलाफ कार्रवाई करनी है तो उनकी पहचान करे और जेल भेजे. उन्होंने कहा कि किसी को भी सार्वजनिक तौर पर बदनाम करना सही नहीं है.

इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बुधवार को हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और हिंसक प्रदर्शन की एनआईए जांच की मांग की. हिंसा की जांच के लिए मुख्यमंत्री सोरेन ने 11 जून को दो सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की थी.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी