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रूस की तरफ से लड़ रहे 20 भारतीयों के लिए चिंतित सरकार

१ मार्च २०२४

भारत ने कहा है कि वह अपने लगभग 20 नागरिकों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, जो रूसी सेना में 'फंसे हुए हैं.' ऐसी खबरें आई थीं कि कई भारतीय नागरिकों को रूस ने यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा है.

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यूक्रेन युद्ध
यूक्रेन में दो साल से युद्ध जारी हैतस्वीर: Madiyevskyy Vyacheslav/Ukrinform/abaca/picture alliance

भारत रूस में "फंसे" अपने करीब 20 नागरिकों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है. बताया जाता है कि इन लोगों को यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा गया है. भारत कोशिश कर रहा है कि उन्हें रूसी सेना की सेवा से मुक्ति देकर वापस भेज दिया जाए.

दो साल पहले रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और अब तक उसके दसियों हजार सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि युद्ध थमने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं बल्कि हाल के दिनों में रूस ने हमले और तेज कर दिए हैं.

समाचार एजेंसी एएफपी ने खबर छापी थी कि यूक्रेन युद्ध में कई भारतीय भी रूस की तरफ से लड़ रहे हैं. इन सैनिकों ने बताया कि उन्हें बढ़िया तन्ख्वाह और रूसी पासपोर्ट का लालच देकर सेना में भर्ती किया गया और फिर उन्हें मोर्चे पर भेज दिया गया.

अब भारत सरकार इन लोगों को लेकर चिंतित नजर आ रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, "हमारी जानकारी में लगभग 20 लोग वहां फंसे हुए हैं. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें सेवा मुक्ति मिल जाए. इसके लिए हम दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों से संपर्क में हैं."

सहायक कहकर भर्ती किया

पिछले हफ्ते ही विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की थी कि कई भारतीयों ने "बतौर सहायक" काम करने के लिए रूसी सेना में नौकरी की. हालांकि तब मंत्रालय ने संख्या नहीं बताई थी लेकिन कहा था कि कई लोगों को पहले ही सेवा मुक्ति दिलाई जा चुकी है.

भारत और रूस, दोनों ने ही इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि इन लोगों को यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा गया है या नहीं. जायसवाल ने कहा कि "मंत्रालय ने लोगों से कहा था कि यद्ध क्षेत्र में ना जाएं.”

मीडिया से बात करने वाले सैनिकों ने बताया कि उनसे कहा गया था कि उन्हें लड़ाई में हिस्सा नहीं लेना होगा बल्कि असैन्य काम करने होंगे. लेकिन यूक्रेन भेजे जाने से पहले उन्हें क्लाशनिकोव राइफल और अन्य हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई.

इन भारतीयों से एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी दस्तखत कराए गए थे. रूसी भाषा में लिखा यह कॉन्ट्रैक्ट "रशियन फेडरेशन की सेना में सैन्य सेवा” के बारे में है और इसमें "सीधी लड़ाई में हिस्सा लेने” व "बिना किसी सीमा के रूसी लोगों के लिए काम करने” की शर्तें भी हैं.

कई देशों के लोग

विश्लेषक कहते हैं कि भारत से भर्ती किए गए ये लोग रूस के दुनियाभर से सैनिक भर्ती करने के अभियान का हिस्सा भर हैं और अन्य कई देशों के लोगों को रूसी सेना में भर्ती करके यूक्रेन में मोर्चे पर भेजा गया है.

इससे पहले बहुत से नेपाली लोगों के रूस जाकर यूक्रेन में लड़ने की भी खबरें आई थीं. दिसंबर में नेपाल ने बताया था कि यूक्रेन में रूस की ओर से लड़ते हुए उसके छह नागरिक मारे गए. उसके करीब एक हफ्ते बाद नेपाल के अखबार "काठमांडू पोस्ट" ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल के हवाले से लिखा कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले की शुरुआत के बाद से 200 से ज्यादा नेपाली नागरिक रूसी सेना में शामिल हुए हैं. दहल ने यह भी कहा कि नेपाल सरकार के पास जानकारी है कि "यूक्रेन की सेना में भी नेपाली काम कर रहे हैं."

जनवरी में रूसी सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि जो भी विदेशी नागरिक रूसी सेना में भर्ती होगा, वह रूस की नागरिकता पाने के योग्य होगा. वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक रूस के लिए लड़ने वाला सैनिक और उसका परिवार रूस की नागरिकता का हकदार होगा.

एक अनुमान के मुताबिक दो साल में रूस तीन लाख से ज्यादा सैनिक यूक्रेन में खो चुका है और वह ना सिर्फ साज-ओ-सामान बल्कि सैनिकों के लिए भी विदेशों पर निर्भर होता जा रहा है.

वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)

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