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अपराधभारत

नाबालिग चालक से हादसा होने पर क्या कहता है मोटर वाहन अधिनियम

आमिर अंसारी
२३ मई २०२४

पुणे में पोर्शे कार से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जान लेने के नाबालिग आरोपी की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बुधवार को जमानत रद्द कर दी और उसे पांच जून तक बाल सुधार गृह भेज दिया.

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ट्रैफिक
ट्रैफिकतस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

पोर्शे कार से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कुचलने वाले नाबालिग आरोपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हादसे के बाद जिस तरह से उसे कोर्ट ने जमानत दी उस पर बहस छिड़ गई. जब लोगों ने जमानत देने पर सवाल उठाया तो पुलिस ने फिर से मामला दर्ज किया. हादसा 19 मई की सुबह हुआ था और इसमें दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीष अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी. नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल पुणे के जानेमाने बिल्डर हैं.

पुणे के इस हादसे के बाद जिस तरह से लोगों ने पुलिस के रवैये और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले पर सवाल उठाया तो मजबूरन पुलिस को कड़े कदम उठाने पड़े और पुलिस ने आरोपी के पिता और बार के दो मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया. पुणे सेशन कोर्ट ने नाबालिग आरोपी के पिता को 24 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है. पिता पर नाबालिग बेटे को कार चलाने देने का आरोप है.

क्या कहता है मोटर वाहन अधिनियम

पुणे के इस हादसे ने एक बार फिर ऐसी किसी भी घटना के होने पर माता-पिता, अभिभावकों या वाहन मालिक की जवाबदेही को दोबारा सुर्खियों में ला दिया है.

मोटर वाहन अधिनियम, जिसमें अब नाबालिग अपराधियों पर एक अलग धारा है, उसमें स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे मामलों में अभिभावक या वाहन मालिक को दोषी ठहराया जाएगा और तीन साल तक की जेल की सजा दी जाएगी और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

नाबालिग ड्राइवरों द्वारा गाड़ी चलाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह प्रावधान शामिल किया था. इसमें कहा गया है अगर माता-पिता, अभिभावक या वाहन मालिक यह साबित कर सकते हैं कि अपराध उनकी जानकारी के बिना किया गया था या उन्होंने ऐसे अपराध को रोकने के लिए सभी उचित प्रयास किए थे, तो उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

अभिभावक की जिम्मेदारी

हालांकि, उन्हें यह साबित करना होगा, क्योंकि कानून में बताया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत यह मान लेगी कि नाबालिग ड्राइवर द्वारा गाड़ी का इस्तेमाल अभिभावक या मालिक की सहमति से किया गया था. मोटर वाहन अधिनियम के मुताबिक किसी भी दुर्घटना या अपराध में शामिल किशोरों द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों का रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा.

पुणे मामले में नाबालिग लड़के पर आरोप है कि वह नशे की हालत में कार चला रहा था. पुणे पुलिस ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.