कनाडा की सीमा पर सर्दी से जमकर मर जाने वाले भारतीय परिवार के मामले में पुलिस ने अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है. इस संबंध में छह लोगों को हिरासत में लिया गया है.
यह घटना बीते गुरुवार को सामने आई थी जब अमेरिका और कनाडा की सीमा के बीच एक भारतीय परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी. कनाडा के ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग ने बताया है कि यह परिवार गुजरात का रहना वाला था.
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दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
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कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
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सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
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ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
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शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
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एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
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सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
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समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.
मरने वालों में 39 वर्षीय जगदीश बलदेवभाई पटेल, वैशालीबेन जगदीश कुमार पटेल (37), विशांगी जगदीश कुमार पटेल (11) और धार्मिक जगदीश कुमार पटेल (3) शामिल थे. उच्चायोग ने एक बयान में बताया कि इन लोगों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है. उच्चायोग ने कहा कि प्रवासन और आवाजाही को वैध और सुरक्षित बनाए जाने की जरूरत है ताकि ऐसे हादसे दोबारा ना हों.
गांधीनगर में पुलिस अधिकारी एके झाला ने बताया कि एक ट्रैवल और टूरिजम एजेंसी के छह लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा, "अब हम उन लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं जिन्होंने इस परिवार को और अन्य लोगों को अवैध रूप से गुजरात से विदेश भेजा.”
इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों ने फ्लोरिडा में स्टीव शैंड नाम के एक व्यक्ति गिरफ्तार किया था. सोमवार को एक स्थानीय अदालत ने शैंड को सशर्त जमानत दी.
‘झकझोर देने वाली घटना'
कनाडा की रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस का मानना है कि यह परिवार 12 जनवरी को कनाडा आया था. वे लोग पहले टोरंटो पहुंचे थे और 18 जनवरी को वहां से मानीतोबा के इमरसन गए थे. चूंकि उनके पास कोई गाड़ी नहीं मिली थी तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी ने वहां उन्हें छोड़ा था.
अधिकारियों के मुताबिक ये लोग अपने ही गांव के चार अन्य परिवारों के साथ भारत से आए थे. ये लोग अपने 18 लोगों के समूह से अलग हो गए और एक बर्फीले तूफान में फंस गए, जिस कारण इनकी मौत हो गई. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस त्रासदी को झकझोर देने वाली घटना बताया.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
तैर कर यात्रा
करीब 6,000 लोग मोरक्को से स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता चले गए हैं. उनमें से कई तैर कर गए तो कुछ लोगों ने रबर की डिंगियों का इस्तेमाल किया. इन कोशिशों में कम से कम एक व्यक्ति डूब गया.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
छिछले समुद्र में पैदल यात्रा
कुछ स्थानों पर पानी का स्तर इतना कम था कि कुछ लोग सेउता से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित तटों से छिछले पानी में पैदल चल कर ही आ गए.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
यूरोप की सीढ़ी
अफ्रीका से जाने वाले प्रवासी लंबे समय से सेउता को यूरोप जाने की सीढ़ी के रूप में देखते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी इतनी तेजी से लोगों का आगमन नहीं हुआ. स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्पेन के साथ चल रहे एक झगड़े की वजह से मोरक्को ने अपनी सीमाओं पर नियंत्रण ढीले कर दिए हैं. मोरक्को के एक बागी नेता को स्पेन के एक अस्पताल में उपचार की अनुमति मिलने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
मोरक्को में निडेक के तट से शुरू होती है यात्रा
कई प्रवासी अपनी यात्रा की शुरुआत उत्तरी मोरक्को के शहर निडेक की पहाड़ियों पर चढ़ कर करते हैं. 17 मई को जब मोरक्को ने सीमाओं पर नियंत्रण ढीले किए तो सीमा पार करने के इच्छुक लोगों ने मौका लपक लिया.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
पहुंचने पर गिरफ्तार
लेकिन सेउता पहुंचते ही स्पेन के सुरक्षाकर्मियों ने इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. स्पेन मोरक्को के रहने वालों को शरणार्थी दर्जा नहीं देता है. सिर्फ बिना अभिभावकों के आए नाबालिग सरकार की देख-रेख में देश में रह सकते हैं.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
सेउता में मानवीय संकट
हजारों शरणार्थियों के अचानक आ जाने से सेउता में तैनात स्पेन की सेना, सिविल गार्ड और आपातकालीन कर्मियों पर दबाव बढ़ गया है. 85,000 लोगों की आबादी वाले इस शहर में स्पेन की सरकार को अतिरिक्त 200 अधिकारी भेजने पड़े. इनमें दंगा-विरोधी पुलिस दस्ता और सीमा नियंत्रण लागू करने वाले कर्मी भी शामिल हैं.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
तुरंत वापस भेजना चाहता है स्पेन
स्पेन में मोरक्को से आ रहे वयस्कों को एक फुटबॉल स्टेडियम में ले जाया गया. उन्हें वापस मोरक्को भेजा जाएगा और प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें स्टेडियम में ही इंतजार करना पड़ेगा.
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उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
बच्चे और किशोर भी पहुंचे
सेउता पहुंचने वालों में कई नाबालिग बच्चे भी शामिल थे. ऐसे बच्चों को रेड क्रॉस जैसे समूहों द्वारा चलाए जा रहे केंद्रों में भेज दिया गया. (बीट्रीस क्रिस्टोफारु)
मामला तब प्रकाश में आया जब अमेरिकी अधिकारियों ने बाकी लोगों को पकड़ा. पकड़े गए लोगों के सामान में एक बैग था जिसमें बच्चों का सामान था. लेकिन समूह में कोई बच्चा नहीं था जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ. पूछताछ करने पर अलग हो गए लोगों का पता चला और उनकी खोज की गई. अमेरिकी अधिकारियों ने कनाडा के अफसरों को सूचित किया और तब पुलिस ने उन्हें खोजा लेकिन उनके शव बरामद हुए.
गहरी है तस्करी की पैठ
गांधीनगर में झाला कहते हैं कि लोग अमेरिका और कनाडा जाने के लिए अपना घर और जमीन तक बेच रहे हैं. उन्होंने बताया, "मानव तस्करी के गिरोहों की पकड़ बहुत गहरी होती है और अक्सर में स्थानीय नेता तक शामिल होते हैं.”
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने के मामले की गहन जांच के लिए अमेरिकी और कनाडा के अधिकारियों के साथ संपर्क साधा जा रहा है.
आमतौर पर अमेरिका में घुसने के लिए अवैध प्रवासी कनाडा के रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते हैं. अमेरिका में सीमाओं की पहरेदारी करने वाली विभाग के मुताबिक 2009 में कनाडा के रास्ते अमेरिका में घुसने की कोशिश करते 6,806 लोग पकड़े गए थे जिनकी संख्या 2021 में घटकर 916 रह गई थी.
अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले साल इस रास्ते से सीमा पार करते 41 भारतीयों को गिरफ्तार किया था. 2020 में 129 और 2019 में 339 भारतीय पकड़े गए थे. मिनेसोटा स्थित इमिग्रेशन लॉ सेंटर की कार्यकारी निदेशक वीणा अय्यर बताती हैं कि पिछले हफ्ते जो सात लोग पकड़े गए हैं उन्होंने अगर स्टीव शैंड को सजा दिलाने में अधिकारियों की मदद की तो उन्हें अमेरिका का वीजा भी मिल सकता है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)