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विपक्षी इंडिया गठबंधन और मोदी की रैली में खास बात क्या रही?

समीरात्मज मिश्र
१ अप्रैल २०२४

31 मार्च को बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने जहां मेरठ से चुनावी शंखनाद किया, वहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने विपक्षी एकजुटता की मिसाल दी और सरकार पर विपक्ष के उत्पीड़न का आरोप लगाया.

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31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित इंडिया गठबंधन की 'लोकतंत्र बचाओ रैली'
इंडिया गठबंधन की तरफ से पांच मांगें रखी गई हैं. इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रिहा किए जाने की मांग भी शामिल है.तस्वीर: P. Mishra/DW

रविवार का दिन था और मार्च महीने की आखिरी तारीख. राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. 'लोकतंत्र बचाओ रैली' नाम की इस रैली में शामिल नेताओं ने लोगों से अपील की कि वो लोकसभा चुनावों में गणतंत्र और संविधान बचाने के लिए बीजेपी के खिलाफ मतदान करें.

रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, सीपीआई एमएल के दीपांकर भट्टाचार्य, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी से तेजस्वी यादव और टीएमसी से डेरेक ओ ब्रायन मौजूद रहे.

लेकिन रैली में जो खास मौजूदगी चर्चा में रही, वो थी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन. दोनों ही महिलाओं ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि इसी दुरुपयोग के चलते उनके पति गिरफ्तार किए गए हैं.

'लोकतंत्र बचाओ' रैली में इंडिया गठबंधन की तरफ से पांच मांगें रखी गईं, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिहाई की मांग भी शामिल है.

विपक्ष की मांग

इंडिया गठबंधन की ओर से की गई पांच सूत्रीय मांगें हैं: 

- चुनाव आयोग को लोकसभा चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करना चाहिए.

- चुनाव आयोग को चुनाव में हेराफेरी करने के उद्देश्य से विपक्षी दलों के खिलाफ जांच एजेंसियों की ओर से की जानी वाली कार्रवाई रोकनी चाहिए.

- हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को तुरंत रिहा किया जाए. 

- चुनाव के दौरान विपक्षी राजनीतिक दलों का आर्थिक रूप से गला घोंटने की जबरन कार्रवाई तुरंत बंद होनी चाहिए.

- चुनावी चंदे का उपयोग कर बीजेपी द्वारा बदले की भावना, जबरन वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन होना चाहिए.

विपक्षी दलों द्वारा 31 मार्च को रामलीला मैदान में आयोजित रैली.
इंडिया गठबंधन की रैली में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी शामिल हुईं. तस्वीर: P. Mishra/DW

रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने 400 पार का नारा दिया है, लेकिन सच्चाई कुछ और है. उन्होंने कहा, "हमारे सामने लोकसभा का चुनाव है. हमारी टीम में से मैच शुरू होने से पहले दो खिलाड़ियों को गिरफ्तार करके अंदर कर दिया गया. ये जो उनका 400 पार का नारा है, वो बिना मैच फिक्सिंग के 80 पार भी नहीं हो सकता है. कांग्रेस पार्टी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है. हमारे सभी बैंक अकाउंट बंद कर दिए गए हैं. हमारे सारे संसाधनों को बंद कर दिया गया. ये कैसा चुनाव हो रहा है? नेताओं को जेल में डाला जाता है... ये मैच फिक्सिंग करने की कोशिश की जा रही है." राहुल गांधी का कहना था, "यह चुनाव सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है."

मेरठ में नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली

दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर मेरठ में एनडीए के यूपी के घटक दलों ने भी एकजुटता दिखाते हुए एक चुनावी रैली की. रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. विपक्षी नेताओं को भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हुए मोदी ने कहा, "इन लोगों ने मिलकर इंडी गठबंधन बनाया है. इन्हें लगता है कि मोदी इनसे डर जाएगा, लेकिन मेरे लिए मेरा भारत मेरा परिवार है."

खासतौर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आज बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत नहीं मिल रही है. इन बेईमानों ने जो धन लूटा है, वो धन मैं गरीबों को लौटाऊंगा."

मेरठ की इस चुनावी रैली में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के अलावा एनडीए घटक दलों के दूसरे नेता भी मौजूद रहे. इनमें अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के अध्यक्ष ओपी राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी शामिल हुए. हालांकि, संजय निषाद गठबंधन से नाराज बताए जा रहे हैं, लेकिन मेरठ की रैली में वो शामिल रहे.

31 मार्च को मेरठ में आयोजित एनडीए की चुनावी रैली के दौरान मंच पर मौजूद नरेंद्र मोदी
मेरठ में आयोजित एनडीए की चुनावी रैली में बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया. तस्वीर: SA Rizvi/DW

विपक्ष ने भी उठाया भ्रष्टाचार पर सवाल

मेरठ की रैली में पीएम मोदी एलान कर रहे थे कि "भ्रष्टाचारी कान खोलकर सुन लें, मोदी पर चाहे जितने भी हमले करो, ये मोदी है रुकने वाला नहीं है. भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, एक्शन होगा और जरूर होगा. जिसने देश को लूटा है उसे लौटाना ही पड़ेगा. ये मोदी की गारंटी है." वहीं दूसरी ओर दिल्ली के रामलीला मैदान से विपक्ष यह जानने की कोशिश कर रहा था कि "भ्रष्टाचार के आरोप में सने उन नेताओं का भ्रष्टाचार कहां चला जाता है, जो बीजेपी में शामिल हो जाते हैं." विपक्ष का यह सवाल पीएम मोदी तक पहुंचा तो जरूर होगा क्योंकि यह सवाल अक्सर पूछा जाता है, लेकिन पीएम की तरफ से उन्हें इसका जवाब मिलेगा इसमें संदेह है.

लोकसभा चुनाव के सिलसिले में एनडीए की ये पहली बड़ी रैली थी. हालांकि, इससे पहले अब तक पीएम मोदी समेत कई अन्य नेताओं की यूपी समेत कई जगहों पर सभाएं और रैलियां हो चुकी हैं. वहीं दूसरी ओर, विपक्ष अभी भी सामूहिक तौर पर किसी चुनावी तैयारी को अंतिम रूप नहीं दे पाया है. इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों के समझौते को लेकर बातचीत भले ही फाइनल हो चुकी हो, लेकिन कई जगह पर सीटों को लेकर अभी भी विवाद सामने आ रहे हैं.

हालांकि गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए गठबंधन में भी स्थितियां वैसी ही हैं. उड़ीसा में तो बीजू जनता दल के साथ गठबंधन बनते-बनते टूट गया और यूपी में भी अभी गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हुई है.

फिर भी, तैयारियों के लिहाज से एनडीए गठबंधन, इंडिया गठबंधन की तुलना में कहीं आगे है. यही वजह है कि एनडीए गठबंधन जब चुनावी रैलियां कर रहा है, तब इंडिया गठबंधन को अपनी एकजुटता दिखाते हुए लोगों को यह बताना पड़ रहा है कि सरकार उन्हें हर तरह से चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश कर रही है.

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