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बीजेपी-कांग्रेस कैसे करेंगी पर्यावरण का संरक्षण?

१९ अप्रैल २०२४

भारत के दो सबसे बड़े दलों बीजेपी और कांग्रेस ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को अपने घोषणा-पत्र में सबसे आखिर में जगह दी है. बिहार की आरजेडी ने तो इससे जुड़ा कोई वादा ही नहीं किया. पर्यावरण पर कितना सोचते हैं राजनीतिक दल.

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दक्षिण भारतीय शहर बेंगलुरु में पीने के पानी की किल्लत ने एक बार फिर पर्यावरणीय मुद्दों की ओर ध्यान खींचा है
दक्षिण भारतीय शहर बेंगलुरु में पीने के पानी की किल्लत ने एक बार फिर पर्यावरणीय मुद्दों की ओर ध्यान खींचा हैतस्वीर: Idrees Mohammed/AFP/Getty Images

भारत में चुनावी सरगर्मी लगातार बढ़ रही है. राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए अनगिनत वादे और घोषणाएं कर रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने अपने घोषणा-पत्र भी जारी कर दिए हैं. वहीं, कुछ पार्टियों के घोषणा-पत्र सामने आना बाकी है.

बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र और कांग्रेस ने न्याय पत्र नाम दिया है. दोनों पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में ‘युवाओं, किसानों और महिलाओं' को सबसे आगे जगह दी है. वहीं, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को सबसे आखिर में जगह मिली है. इससे दोनों पार्टियों की प्राथमिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

बीजेपी के घोषणा पत्र का अंतिम विषय ‘पर्यावरण अनुकूल भारत' है. इसमें कहा गया है कि पार्टी 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए तेजी से काम करेगी. वहीं, कांग्रेस ने 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर ‘ग्रीन ट्रांजिशन फंड ऑफ इंडिया' की स्थापना करने का वादा किया है.

वायु और जल प्रदूषण कैसे होगा कम

आईक्यू एयर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाला देश है. वहीं, दिल्ली दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी है.

बीजेपी ने घोषणा-पत्र में लिखा है कि उन्होंने 131 शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम' की शुरुआत की है. इसके अलावा पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी क्षेत्रों में इस कार्यक्रम के गुणवत्ता मानकों को हासिल किया जाए. इसके तहत 2029 तक 60 शहरों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा. वहीं, कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम' को मजबूत करने की बात कही है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में देश की 280 नदियां प्रदूषित थीं.

कांग्रेस ने वादा किया है कि वह नदियों में अपशिष्ट पदार्थों के प्रवाह को रोकने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी. साथ ही नदियों में अपशिष्ट प्रवाहित करने पर कानूनन रोक लगाएगी. इसके अलावा, दस सालों के भीतर सभी कस्बों और नगर पालिकाओं में सीवेज के सुरक्षित निपटान का व्यापक कार्यक्रम लागू किया जाएगा.

इस मुद्दे पर बीजेपी ने लिखा है कि वो सभी प्रमुख नदियों को चरणबद्ध तरीके से स्वच्छ बनाएगी. साथ ही उनके बेसिन संरक्षण और पुनर्जीवन में तेजी लाएगी. इसके अलावा, नदियों का प्रदूषण कम करने के लिए राज्य सरकारों की मदद करेगी.

कैसे सुरक्षित होंगे जंगल

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के मुताबिक, 2001 से 2023 के बीच भारत का करीब 23 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण कम हुआ है. इसी दौरान, करीब चार लाख हेक्टेयर आद्र प्राथमिक वन भी कम हुए हैं.

बीजेपी ने वादा किया है कि पार्टी हर क्षेत्र में जैव विविधता की रक्षा और संरक्षण करेगी. साथ ही वृक्ष आवरण को बढ़ाकर कार्बन सिंक के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि वो वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करेगी. साथ ही वनीकरण में स्थानीय समुदायों को शामिल करेगी.

कांग्रेस ने वादा किया है कि पहाड़ी जिलों में भूस्खलन का अध्ययन करने और इन घटनाओं को रोकने के उपाय निकालने के लिए उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करेगी. वहीं, बीजेपी ने हिमालयी राज्यों में आने वाली आपदाओं से बचाव के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है.

साफ ऊर्जा को लेकर क्या है योजना

बीजेपी ने वादा किया है कि वह बिजली उत्पादन में गैर-जीवाश्म स्त्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ाएगी. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देगी. इसके अलावा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता के जरिए देश को 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की बात भी कही है.

बीजेपी ने परमाणु ऊर्जा का उत्पादन, पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का भी वादा किया है. इसके अलावा भारत को पवन, सौर और हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाने की बात भी कही है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने कहा है कि वह हरित ऊर्जा को बढ़ावा देगी. नवीकरणीय ऊर्जा योजनाएं लागू करेगी, जिससे पंचायत और नगर पालिका को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जा सके.

बीजेपी ने 'पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना' के जरिए सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने की बात कही है. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि वह पंचायतों को सौर ग्रिड लगाने और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेगी. साथ ही, पानी निकालने वाले ट्यूबवेलों पर सौर ऊर्जा पैनल लगवाने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करेगी.

बीजेपी ने शहरों को पर्यावरण अनुकूल बनाने, जल निकायों को पुनर्जीवित करने, खुले कचरास्थलों को खत्म करने, ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और ई-वेस्ट मैनेजमेंट मिशन शुरू करने की बात कही है. वहीं, कांग्रेस ने एक स्वतंत्र पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण का गठन करने का वादा किया है. इनके अलावा, दोनों ही पार्टियों ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और तटीय क्षेत्रों के संरक्षण की बात कही है.

पर्यावरण को कैसे देखती हैं यूपी-बिहार की पार्टियां

उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (एसपी) ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि गंगा और जमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे. जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण नियंत्रण पर राष्ट्रीय चार्टर और नीति बनाई जाएगी. इसके अलावा, 2029 तक निर्माण उद्योग के लिए प्राकृतिक संसाधनों के खनन को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाएगा. इसकी जगह पर्यावरण के अनुकूल तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा.

बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपने घोषणा-पत्र में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर कोई वादा नहीं किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडी(यू) और उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी अपना घोषणा-पत्र जारी नहीं करेगी.

डीएमके और सीपीआई(एम) ने कौनसे वादे किए

तमिलनाडु में सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि भारत 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की अपनी महत्वाकांक्षा की घोषणा करेगा. इसके हिसाब से ही कार्य योजनाएं तैयार की जाएंगी. सौर पैनलों पर सरकार द्वारा 80 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर भी सब्सिडी बढ़ाई जाएगी.

तमिलनाडु में कितना रंग लाएंगी बीजेपी की कोशिशें

इसके अलावा, वन संरक्षण अधिनियम जैसे पर्यावरण से जुड़े कई कानूनों की समीक्षा की जाएगी और गैर-जरूरी संशोधनों को वापस लिया जाएगा. तटीय गांवों को आपदा सुरक्षा प्रशिक्षण और उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे. गांव और जिला स्तर पर प्राकृतिक खेती समूह बनाए जाएंगे. उन्हें जरूरी मदद और तकनीक उपलब्ध कराई जाएगी.

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने अपने घोषणा-पत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में संशोधन करने का वादा किया है. राष्ट्रीय जल नीति को दोबारा से तैयार करने, बढ़ते जलसंकट से निपटने और जल निकायों को बढ़ाने की बात भी कही है.

पार्टी ने प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए भी काम करने का वादा किया है. इसके अलावा, अंडमान और निकोबार एवं लक्षद्वीप के लिए घोषित विकास योजनाओं को विनाशकारी और कॉर्पोरेट समर्थक बताया है. साथ ही उन्हें रद्द करने का वादा किया है. पार्टी ने कई नीतिगत बदलाव करने की भी बात कही है.

कुल मिलाकर देखें तो राजनीतिक पार्टियों ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर वादे तो खूब किए हैं. लेकिन पर्यावरण की स्थिति बेहतर तभी होगी, जब इन वादों पर गंभीरता से काम किया जाएगा और इन्हें पूरा किया जाएगा.