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समाज

भारत में महामारी के बीच राजनीति

आमिर अंसारी
२८ अप्रैल २०२०

भारत में पीपीई किट हो या फिर आक्रामक जांच प्रक्रिया, कोरोना संकट के समय में विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. चीनी रैपिड टेस्ट किट पर भी जमकर राजनीति हो रही है.

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Slowakei | Coronatest vor Roma-Siedlung in Jánovce
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Klamar

चीनी रैपिड टेस्टिंग किट में खामी पाए जाने के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने इससे कोरोना संक्रमितों की जांच किए जाने पर रोक लगा दी है. राज्यों से ये किट लौटाने को कहा गया है ताकि इन्हें चीन की कंपनियों को वापस किया जा सके. दरअसल कोविड-19 की जांच के लिए चीन की दो कंपनियों से खरीदी 5 लाख टेस्ट किट खराब निकली हैं. केंद्र सरकार ने ऑर्डर रद्द कर किट लौटाने का फैसला किया है. हालांकि रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. विपक्ष किट की ऊंची खरीद पर सवाल भी उठा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब किट की खरीद का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो पता चला कि किट आयात लागत 245 रुपये है लेकिन इसे आइसीएमआर को 600 रुपये प्रति किट के दाम पर बेचा गया. इस हिसाब से भारत में प्रति किट पर 145 फीसदी का मुनाफा कमाया गया. हाईकोर्ट में अर्जी के बाद जज ने प्रति किट का दाम 400 रुपये कर दिया. इस पर भी सप्लायर को 61 फीसदी का मुनाफा मिलता.

इसी पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने टेस्ट किट आयात करने वालों पर भारी मुनाफाखोरी पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए ट्वीट किया, "जब समूचा देश कोविड-19 आपदा से लड़ रहा है, तब भी कुछ लोग अनुचित मुनाफा कमाने से नहीं चूकते. इस भ्रष्ट मानसिकता पर शर्म आती है, घिन आती है. हम PM से मांग करते हैं कि इन मुनाफाखोरों पर जल्द ही कड़ी कार्यवाही की जाए. देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा."

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रैपिड टेस्ट किट वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि अब राज्यों से किट्स वापस मांगी जा रही हैं. केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच कोरोना संकट के दौरान भी कई मामले सामने आए जब दोनों किसी ना किसी मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए. कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई टीम को लेकर भी बड़ा विवाद हुआ था. केंद्र की टीम पश्चिम बंगाल में कोविड-19 का आकलन करने गई थी.

रैपिड टेस्टिंग किट पर विवाद बढ़ने के बाद आईसीएमआर ने सफाई दी कि कंपनी को टेस्टिंग किट के लिए भुगतान नहीं किया गया था और सरकार को एक भी रुपया का नुकसान नहीं हुआ. आईसीएमआर ने अपनी सफाई में कहा कि टेंडर के जरिए चार आवेदन मिले थे जिनमें प्रति किट की कीमत 1204 रुपये, 1200 रुपये, 844 रुपये और 600 रुपये का प्रस्ताव था. आईसीएमआर ने सबसे कम कीमत प्रस्तावित करने वाले सप्लायर को यह आर्डर दिया था. आईसीएमआर का कहना है कि एडवांस राशि नहीं देने की वजह से सरकार को एक भी रुपया का नुकसान नहीं हुआ है.

रैपिड टेस्ट किट और सवाल

राजस्थान समेत कई राज्यों ने रैपिड टेस्ट किट को लेकर सवाल उठाए थे, राज्यों का कहना था कि जो मरीज कोरोना के पॉजिटिव थे वह रैपिड टेस्ट किट में नेगेटिव पाए गए. राजस्थान देश का पहला राज्य था जहां रैपिड टेस्ट किट के जरिए कोरोना वायरस की जांच को मंजूरी दी गई थी. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा था कि रैपिड टेस्ट किट गलत नतीजे दे रही है और इसको लेकर एक रिपोर्ट आईसीएमआर को भी भेजी जा चुकी है.

भारत में चीनी रैपिड टेस्ट किट के इस्तेमाल पर रोक के बाद चीन ने चिंता जाहिर की है. मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक चीनी दूतावास की प्रवक्ता जी रोंग ने कहा, "हम मूल्यांकन नतीजों और आईसीएमआर की तरफ से लिए गए फैसले से काफी चिंतित हैं. चीन निर्यात किए गए चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता को बहुत महत्व देता है." उन्होंने आगे कहा, "कुछ खास व्यक्तियों के लिए चीनी उत्पादों को 'दोषपूर्ण' करार देना अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है. इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नहीं देखना चाहिए." हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि वे किन लोगों के बारे में बात कर रही हैं.

करीब दो हफ्ते पहले भारत ने करीब पांच लाख रैपिड टेस्ट किट्स दो चीनी कंपनियों से खरीदे थे. कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद यह टेस्ट किट्स खरीदने का फैसला लिया गया था. हालांकि किट के नतीजों में गड़बड़ी के बाद इसे राज्यों से वापस मंगा लिया गया है.

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