क्या "ग्लोबल हंगर इंडेक्स" का भारत का आकलन गलत है
२८ नवम्बर २०२४लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को ही गलत बताया है और कहा है कि यह भारत की सही स्थिति नहीं दिखाता. राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बांभानिया ने लोकसभा को बताया कि इस सूचकांक के चार में से तीन सूचक बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और आबादी में भूख के स्तर को मापने के लिए उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
सरकार के बयान के मुताबिक यह सूचक हैं स्टंटिंग या बौनापन, वेस्टिंग या अवरुद्ध विकास और बाल मृत्यु दर. हालांकि एक तरफ सरकार इस सूचकांक को ही गलत बता रही है और दूसरी तरफ यह भी कह रही है कि 2023 के मुकाबले 2024 में इस सूचकांक पर भारत की स्थिति में सुधार हुआ है.
क्या है भूख सूचकांक
वैश्विक क्षुधा सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) एक वार्षिक रिपोर्ट है जिसे तीन निजी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मिल कर निकालती हैं. ये संस्थाएं हैं कंसर्न वर्ल्डवाइड, वेल्ट हंगर हिल्फ और इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल लॉ ऑफ पीस एंड आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट (आईएफएचवी).
इन संस्थाओं का दावा है कि इस सूचकांक को व्यापक रूप से वैश्विक, प्रांतीय और देशों के स्तर पर भूख के स्तर को मापने और ट्रैक करने के लिए बनाया गया है. इसका लक्ष्य है दुनियाभर में भूख के स्तर को नीचे लाने के लिए कदम उठाए जाने की कोशिश करना.
इसमें ऊपर लिखे तीन पैमानों के अलावा अल्पपोषण या अंडरनरिशमेंट के आधार पर देशों को रैंक दी जाती है. 2024 में इस सूचकांक पर 127 देशों का आकलन किया गया और भारत को इनमें 105वें स्थान पर रखा गया. भारत का स्कोर 27.3 पाया गया जिसके आधार पर कहा गया कि भारत में भूख का स्तर गंभीर श्रेणी में है. इस श्रेणी में 20 से 34.9 स्कोर तक के देशों को डाला जाता है.
गंभीर श्रेणी में भारत के अलावा 35 और देश हैं. इनमें से अधिकांश देश अफ्रीका में हैं. एशिया में भारत के अलावा इस श्रेणी में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया और उत्तर कोरिया हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 13.7 प्रतिशत आबादी अल्पपोषित है, पांच साल से कम उम्र के 35.5 प्रतिशत बौनेपन से ग्रसित हैं, इसी उम्र के 18.7 प्रतिशत बच्चे अवरुद्ध विकास से प्रभावित हैं और 2.9 प्रतिशत बच्चों की पांच साल की उम्र से पहले ही मौत हो जाती है.
सूचकांक पर कैसा रहा है भारत का प्रदर्शन
2000 से 2024 तक भारत के प्रदर्शन में लगातार सुधार देखा गया है. जहां 2000 में भारत का स्कोर 38.4 था और खतरनाक श्रेणी में था लेकिन 2024 में यह बेहतर होकर 27.3 पर आ गया. हालांकि सभी पैमानों में एक जैसा सुधार नहीं देखा गया है. बाल मृत्यु दर में लगातार सुधार देखा गया है.
बौनेपन में भी लगातार सुधार देखा गया है, लेकिन 2016 के बाद से सुधार की रफ्तार कम हो गई है. अल्पपोषण में 2016 तक सुधार देखा गया, लेकिन उसके बाद स्थिति फिर से बिगड़ने लगी. अवरुद्ध विकास में भारत का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है.
भारत सरकार इन पैमानों को ही गलत बता रही है लेकिन इन्हीं पैमानों पर सरकारी आंकड़े सूचकांक के आंकड़ों से मिलते जुलते ही हैं. अगस्त 2024 में लोकसभा में ही दिए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में बौनेपन का स्तर 35.5 प्रतिशत है, अवरुद्ध विकास का 19.3 प्रतिशत और बच्चों का वजन कम होने का स्तर 32.1 प्रतिशत है.