भारत में बैठ अमेरीकियों को ठगते 70 गिरफ्तार
६ अक्टूबर २०१६पुलिस का कहना है कि ये लोग भारत में बैठकर अमेरिकी नागिरकों को ठग रहे थे. अमेरिका के टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी बनकर ये अमेरिकी नागरिकों को फोन करते और उनसे पैसे ऐंठते थे.
बुधवार को हुई कार्रवाई में कुल 772 कर्मचारी हिरासत में लिए गए थे. इसके लिए मुंबई और इसके आसपास के नौ कॉल सेंटरों पर छापे मारे गए थे. एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बताया कि शुरुआती पूछताछ के बाद 630 लोगों को रिहा कर दिया गया जबकि 70 को गिरफ्तार कर लिया गया. रिहा किए गए 630 कर्मचारियों को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.
डीसीपी पराग माणेरे ने बताया, "इन लोगों का मकसद पैसा कमाना था. ये लोग खुद को अमेरिका की इंटरनल रेवेन्यू सर्विस का अधिकारी बताते थे और गैरकानूनी तरीके से पैसे ऐंठते थे." हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया है कि ये कॉल सेंटर किस कंपनी के थे. यह भी उजागर नहीं किया गया है कि कॉल सेंटर चलाने वाली कोई बड़ी कंपनी तो इस धोखाधड़ी में शामिल नहीं है. पुलिस अभी यह भी जाहिर नहीं कर रही है कि इस छापेमारी और जांच-पड़ताल में अमेरिकी जांच एजेंसियों की क्या भूमिका है.
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माणेरे ने कहा कि आरोपी अमेरिकी लोगों को फोन करके एक कार्ड खरीदने को कहते थे. ये लोग अमेरिकी नागरिकों को फोन करके कहते कि उनका कर बकाया है और उसे चुकाने के लिए प्रीपेड कैश कार्ड खरीदना पड़ेगा. जो नागरिक आनाकानी करता, उसे गिरफ्तारी की धमकी दी जाती थी.
ऐसा पहली बार नहीं है जब भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकों को इस तरह ठगा है. बीते साल अमेरिका के पेनसिल्वेनिया में एक व्यक्ति को ऐसे ही फ्रॉड का दोषी पाया गया था. उसे 14.6 साल की कैद हुई है. उस मामले में भी अमेरिकी अधिकारी बनकर भारत के कॉल सेंटर कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों को फोन करते और उनसे पैसे ऐंठते थे.
भारत के कॉल सेंटर उद्योग के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. दुनियाभर की कंपनियां अपना काम भारतीय कॉल सेंटरों को सौंपती हैं. अमेरिका और यूरोप की दर्जनों कंपनियों का काम भारतीय कॉल सेंटरों के जरिए होता है. भारत में भी दर्जनों छोटी-बड़ी कंपनियां यह काम कर रही हैं जिनके हजारों कॉल सेंटर हैं. इन कॉल सेंटरों में कस्टमर सर्विस से लेकर क्रेडिट कार्ड बिलों की प्रोसेसिंग तक हर तरह का काम होता है. भारत में काम कराना पश्चिमी देशों की कंपनियों को सस्ता पड़ता है. लेकिन पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में इस मुद्दे पर राजनीति भी होती है. विरोधी राजनेता इस बात से खुश नहीं हैं कि उनके देशों की नौकरियां भारत को दी जाएं.
वीके/एके (रॉयटर्स)