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अपराधभारत

कंबोडिया से वापस लाए गए साइबर अपराध में धकेले गए 60 भारतीय

आमिर अंसारी
२४ मई २०२४

भारतीय अधिकारियों ने धोखाधड़ी से कंबोडिया ले जाए गए और तस्करी रैकेट द्वारा साइबर धोखाधड़ी में धकेले गए 60 भारतीयों को बचा लिया है.

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नौकरी का लालच देकर कंबोडिया ले जाए गए थे भारतीय
नौकरी का लालच देकर कंबोडिया ले जाए गए थे भारतीयतस्वीर: Jochen Tack/IMAGO

कंबोडिया में भारतीय दूतावास द्वारा धोखेबाज नियोक्ताओं से बचाए गए 60 भारतीय नागरिक वापस भारत लौट आए हैं. कंबोडियाई अधिकारियों ने धोखाधड़ी वाले रोजगार के 60 पीड़ितों को घर लौटने में सहायता की और कानूनी कागजी कार्रवाई में मदद की.

इन भारतीयों को अधिकारियों ने 20 मई को जिनबेई-4 नाम की जगह से बचाया था. यह ऑपरेशन सिहानोकविले में स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर चलाया गया था.

पासपोर्ट जब्त कर लिए गए

दरअसल, कंबोडिया में लगभग 150 भारतीयों ने देश लौटने के लिए अपने हैंडलर्स से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था. पुलिस के मुताबिक विशाखापत्तनम और आसपास के इलाकों के 150 लोग एक साल से अधिक समय से कंबोडिया में फंसे हुए हैं और उन्हें साइबर अपराध और पोंजी फ्रॉड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

आंध्र प्रदेश पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 300 भारतीयों ने 20 मई को कंबोडिया में अपने हैंडलर्स के खिलाफ "विद्रोह" किया, जिसके बाद कई हैंडलर्स गिरफ्तार किए गए.

विशाखापत्तनम के पुलिस कमिश्नर ए रविशंकर ने कहा कि तस्करी करके लाए गए इन भारतीयों ने जिनबेई और कंपाउंड, सिहानोकविले में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन किए, जो कथित तौर पर साइबर अपराध का केंद्र है.

रविशंकर ने भारतीय मीडिया से कहा, "कई लोगों ने विशाखापत्तनम सिटी पुलिस के व्हाट्सएप नंबरों पर फोन किया और वीडियो भेजे. सोमवार को लगभग 300 भारतीयों ने कंबोडिया में अपने हैंडलर्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर 'विद्रोह' किया था."

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पीड़ितों को कथित तौर पर सिंगापुर में डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसी नौकरियों की पेशकश का लालच दिया गया था, लेकिन उन्हें कंबोडिया ले जाया गया और चीनी हैंडलर्स द्वारा साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया.

मानव तस्करों का जाल

इस सप्ताह की शुरुआत में विशाखापत्तनम पुलिस ने इस घटना से जुड़े तीन लोगों को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोपियों की पहचान चुक्का राजेश, एस कोंडाला राव और एम ज्ञानेश्वर राव के रूप में हुई है. इन पर सिंगापुर में डाटा एंट्री की नौकरियों के वादे के साथ भारतीय युवाओं को लुभाने और अवैध गतिविधियों के लिए उन्हें कंबोडिया में तस्करी करने का आरोप है.

कंबोडिया में भारतीय दूतावास ने फंसे हुए भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, साथ ही उसने कंबोडिया में नौकरी चाहने वाले भारतीयों के लिए अपनी सलाह दोहराई है.

दूतावास ने भारतीयों को अनधिकृत एजेंटों के शिकार न बनने के लिए भी आगाह किया है. दूतावास ने एक बयान में कहा, "भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे उस उद्देश्य के उलट गतिविधियों में शामिल न हों जिसके लिए मेजबान सरकार द्वारा वीजा दिया जाता है, जैसे 'पर्यटक वीजा' पर रोजगार की तलाश करना."

दूतावास ने कहा है कि अब तक 360 भारतीय नागरिकों को बचाया और भारत वापस लाया गया है.

4 अप्रैल को विदेश मंत्रालय ने रोजगार के मकसद से कंबोडिया जाने को लेकर एक अडवाइजरी जारी की थी. विदेश मंत्रालय की इस अडवाइजरी में ये कहा गया कि बीते दिनों ये ध्यान में आया है कि आकर्षक जॉब के अवसरों के लालच में आकर भारतीय मानव तस्करों के जाल में फंस रहे हैं. इसके बाद इन भारतीय नागरिकों को आर्थिक स्कैम और दूसरी अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है.