बाढ़ से सूखे तकः प्रलय के मंजर
पिछले करीब दो महीनों में मौसम ने ऐसा कहर बरपाया है कि प्रलय से दृश्य नजर आए हैं. एक नजर उस मंजर पर जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है...
यूरोप में अचानक बाढ़
दो महीने की बरसात के बराबर पानी जब दो दिन में बरस गया तो यूरोप की नदियों की हदें टूट गईं और जर्मनी व बेल्जिय में 209 लोगों की बलि चढ़ गई. सदियों पुराने गांव एक ही रात में बह गए.
1,000 साल का रिकॉर्ड टूटा
चीन के हेन्नान प्रांत में ऐसी बारिश हजार साल में पहली बार हुई है. दर्जनों लोग मारे गए. सबवे में पानी भर गया और जिंदगी जहां थी वहीं थम गई.
महाराष्ट्र में कहर
भारत के महाराष्ट्र में भारी बारिश ने दर्जनों गांव डुबो दिए. डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई. गांव के गांव देश के बाकी हिस्सों से कट गए.
कनाडा और अमेरिका में गर्मी
कनाडा और अमेरिका के कुछ राज्यों में हफ्ते भर तक ऐसी गर्मी रही कि लोगों की हालत खराब हो गई. अमेरिका के वॉशिंगटन और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हीट डोम बनने से हवा एक ही जगह फंस गई और तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया.
जंगल की आग
अमेरिका के ऑरेगन में लगी जंगल की आग ने दो हफ्ते में ही लॉस एंजेलेस शहर के बराबर इलाका भस्म कर दिया. यह आग इतनी बड़ी है कि इसने अपना अलग वातावरण बना लिया है और इसका धुआं न्यू यॉर्क तक पहुंच रहा है.
अमेजन खात्मे की ओर
ब्राजील का मध्यवर्ती इलाका सौ साल में सबसे बुरा सूखा झेल रहा है. इस कारण जंगलों की आग खतरा बढ़ गया है जो अमेजन के जंगलों को भी स्वाहा कर सकती है.
भुखमरी की नौबत
मैडागास्कर में सालों से जारी सूखे और अकाल ने 11 लाख से ज्यादा लोगों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है. हालत ऐसी है कि लोग जंगली पेड़ों के पत्ते खाकर जी रहे हैं.
घर से बेघर
2020 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण बेघर होने वाले लोगों की संख्या दस साल में सबसे ज्यादा रही है. 5.5 करोड़ लोगों को घर छोड़ अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा. करीब ढ़ाई करोड़ लोग दूसरे देशों में चले गए.