1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

म्यांमार सेना के हवाई हमलों से मिजोरम में दहशत का माहौल

प्रभाकर मणि तिवारी
३१ जनवरी २०२३

म्यांमार सेना की ओर से विद्रोही चिन नेशनल आर्मी के शिविरों पर हवाई हमले का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है. लेकिन इन हमलों पर लंबे समय तक केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी की वजह से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है.

https://p.dw.com/p/4MuO6
म्यांमार की सीमा से लगे भारतीय राज्य मिजोरम में है ये गेट
म्यांमार की सीमा से लगे भारतीय राज्य मिजोरम में है ये गेट तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

इन हमलों के दौरान कम से कम एक बम भारतीय सीमा में मिजोरम के चंफई जिले की तिआऊ नदी के पार गिरा. इससे एक ट्रक को क्षति पहुंची. भारतीय सीमा में बम गिरने की खबर सबसे पहले स्थानीय लोगों के हवाले ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन' ने छापी थी. लेकिन सेना ने इसे तुरंत खारिज कर दिया. उसके बाद कुछ स्थानीय अखबारों में इस बारे में छोटी-सी खबर छपी.

अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने रक्षा मंत्रालय से आठ सप्ताह के भीतर इस घटना पर समुचित कार्रवाई करने को कहा है. दूसरी ओर, पहली बार विदेश मंत्रालय ने भी इस पर चुप्पी तोड़ते हुए माना है कि वह बम तिआऊ नदी में गिरा था. इस नदी को ही भारत और म्यांमार की सीमा माना जाता है.

ये नदी ही दोनों देशों के बीच की प्राकृतिक सीमा है
ये नदी ही दोनों देशों के बीच की प्राकृतिक सीमा है तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

म्यांमार के साथ मिजोरम की सीमा 1,624 किलोमीटर लंबी है. चिन नेशनल आर्मी का मुख्यालय कैंप विक्‍टोरिया मिजोरम के फरकावन गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर है. म्यांमार ने यह हवाई हमले बीती 10 जनवरी को किए थे. इन हमलों के धमाके मिजोरम के खाबुंग और फरकावन गांवों तक गूंजे थे. लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार ने लगातार चुप्पी साध रखी थी.

मिजोरम के ताकतवर संगठन यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) ने भारत सरकार से हमलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है. संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हम भारतीय हवाई क्षेत्र के उल्लंघन करने के लिए म्यांमार की सैन्य सरकार की कड़ी से कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं. भारत सरकार को भविष्य में ऐसे हमले रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.”

दूसरी ओर, मिजोरम के पांच गैर-सरकारी संगठनों को लेकर बनी एनजीओ समन्वय समिति (एनजीओसीसी) ने केंद्र सरकार से म्यांमार वायु सेना की ओर से भारतीय हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की रिपोर्ट पर सक्रिय कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

अब इस घटना के करीब तीन सप्ताह बाद इस मामले पर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है. मंत्रालय के एक प्रवक्ता का कहना था, "हम ऐसी किसी भी कार्रवाई को गंभीरता से लेते हैं. हमने इस विषय को म्यांमार सरकार के साथ उठाया है. साथ ही चिंता जताई है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.” विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि म्यांमार सेना के हवाई हमलों से भारत की सीमा में कोई नुकसान नहीं हुआ.

मिजोरम से सटी म्यांमार की सीमा में करीब पांच किमी भीतर चिन नेशनल आर्मी का मुख्यालय है जिसे कैंप विक्टोरिया कहा जाता है. म्यांमार ने उसी को निशाना बना कर हवाई हमले किए थे. स्थानीय लोगों का दावा है कि उनमें से एक बम तिआऊ नदी पार कर भारतीय सीमा में गिरा था जिससे बालू ढोने वाला एक ट्रक क्षतिग्रस्त हो गया.

मिजोरम के सीमावर्ती फरकावन गांव के लोग बमबारी की आवाज सुनकर आतंकित हो गए और नदी के तट पर भारतीय इलाके में खेतों में काम करने वाले लोग भाग कर अपने घरों में छिप गए. शुरुआत में कई दिनों तक इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी. इससे इलाके में आतंक जस का तस रहा.

फरकावन गांव के लोगों ने घटना के बाद असम राइफल्स के जवानों को इलाके का निरीक्षण करते देखा था. एक स्थानीय निवासी बताते हैं, बम का गोला भारतीय सीमा में नदी के तट से 30 मीटर की दूरी पर गिरा. पहली बार हुई ऐसी घटना से इलाके में दहशत का माहौल है और लोग बेहद डरे हुए हैं."

एनजीओसीसी के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई करने के लिए गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन भेजा गया है. समिति ने दावा किया कि 10 और 11 जनवरी को भारत-म्यांमार सीमा पर लोकतंत्र समर्थक ताकतों के खिलाफ अपने हवाई हमले के दौरान म्यांमार सेना ने न केवल भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया, बल्कि भारतीय सीमा में बम भी गिराए. ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय इलाके में बमबारी से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत संभवतः म्यांमार से बेहतर रिश्ते बनाने की कवायद के तहत इस मामले को तूल नहीं देना चाहता था. लेकिन मीडिया में इन खबरों के सामने आने के बाद उसे सफाई देनी पड़ी है.

एक विश्लेषक वी. लालजाओमा कहते हैं, "हो सकता है कि म्यांमार सेना के हमले में बम संभवतः गलती से सीमा पार गिर गया हो. शायद इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए सरकार इस मामले को तूल नहीं देना चाहती हो. लेकिन अब उसने म्यांमार की सैन्य सरकार के समक्ष इस मामले को उठाने का भरोसा दिया है. संभवतः सीमावर्ती इलाके में इस घटना के बाद फैले आतंक को ध्यान में रखते हुए ही सरकार अब ऐसा कह रही है.”