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फिलीपींस में रिसाइक्लिंग करने वाला एक समूह बोतल, सिंगल यूज प्लास्टिक, चॉकलेट रैपर आदि का इस्तेमाल निर्माण सामग्री के लिए कर रहा है. वह देश में प्लास्टिक के कचरे को नदियों में जाने से रोकने की कोशिश में जुटा है.
प्लास्टिक फ्लेमिंगो या "द प्लाफ" जैसा कि वह आमतौर पर जाना जाता है, कचरे को इकट्ठा करता है. समूह के कर्मचारी इसे काटते हैं और फिर इसे "इको-लम्बर" नामक ईंट और तख्तों में ढालते हैं. इस तरह से इसका उपयोग बाड़ लगाने, सजावट या यहां तक कि आपदा वाले राहत शिविरों को बनाने के लिए किया जा सकता है.
द प्लाफ की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिका रेयेस कहती हैं, "यह 100 प्रतिशत अपसाइकल सामग्री है, 100 फीसदी प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ से बना है, हम कुछ एडिटिव्स और रंग भी शामिल करते हैं. यह सड़न-मुक्त, रखरखाव-मुक्त और किरच मुक्त है."
अब तक 100 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने के बाद सामाजिक उद्यम एक स्थानीय समस्या का समाधान करने के लिए अपना काम कर रहा है. सिर्फ फिलीपींस ही नहीं प्लास्टिक के कचरे से फिलहाल पूरी दुनिया प्रभावित है.
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के अवर वर्ल्ड इन डेटा की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक महासागरीय प्लास्टिक का लगभग 80 फीसदी एशियाई नदियों से आता है और अकेले फिलीपींस इसमें एक तिहाई योगदान देता है.
फिलीपींस के पास अपनी प्लास्टिक समस्या से निपटने के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है और इसके पर्यावरण विभाग ने कहा है कि वह कचरे के प्रबंधन के तरीकों की पहचान करने के लिए निर्माताओं के संपर्क में है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) का कहना है कि हर साल 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. यह वह समस्या जो महामारी से और विकराल हो गई है. महामारी के दौरान प्लास्टिक की फेस शील्ड, दस्ताने, खाने के पैकेट और ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने से बबल रैप पैकिंग में वृद्धि हुई है.
द प्लाफ के मार्केटिंग सहयोगी एलिसन टैन के मुताबिक, "लोग इस प्लास्टिक का निपटारा करने के तरीके से अनजान हैं." वे कहते हैं, "हम वह रास्ता देते हैं कि इसे लैंडफिल या महासागरों में डालने के बजाय आप इसे हमारे जैसे रिसाइक्लिंग केंद्रों को दें और हम उन्हें बेहतर उत्पादों में बदल देंगे."
अपशिष्ट समस्याओं से निपटने के साथ-साथ समूह का कहना है कि वह अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ बातचीत कर रहा है ताकि उनकी टिकाऊ निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करके चक्रवात से नष्ट हुए घरों के पुनर्निर्माण में मदद मिल सके.
एए/वीके (रॉयटर्स)