रंजीत सिंह डिस्ले जब पहली बार स्कूल पहुंचे तो वहां गाय, भैंसें बंधी थीं. छात्र संख्या सिर्फ चार थी और पढ़ाई का कोई माहौल नहीं था. कुछ सालों बाद इसी स्कूल से किताबों में क्यूआर कोड प्रिंट करने की शुरुआत हुई. गांव और शिक्षा को बदलने वाले डिस्ले को 2020 में ग्लोबल टीचर प्राइज से नवाजा गया. चलिए, उसी स्कूल में डिस्ले और उनके छात्रों से मिलने.