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समाजभारत

गर्भगृह में रामलला की मूर्ति, कैसे मुमकिन हुआ सूर्याभिषेक?

१७ अप्रैल २०२४

रामनवमी के त्योहार पर अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति का सूर्यतिलक किया गया. वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से सूरज की रोशनी पांच मिनट तक मूर्ति के माथे पर पड़ती रही.

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Indien | Tempel Ram Mandir in Ayodhya
तस्वीर: Ritesh Shukla/Getty Images

रामनवमी पर अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम का सूर्यतिलक किया गया. हजारों भक्त रामनवमी पर रामलला के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे हैं. बुधवार को दोपहर करीब 12:15 बजे रामलला का सूर्याभिषेक किया गया. विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से इसे संभव बनाया और सूरज की रोशनी करीब पांच मिनट तक मूर्ति के माथे पर पड़ती रही.

रामनवमी और सूर्याभिषेक को ध्यान में रखते हुए आयोजन की तैयारियां पहले ही कर ली गई थीं. बुधवार को मंदिर के कपाट सुबह साढ़े तीन बजे खोल दिए गए थे. आमतौर पर कपाट सुबह साढ़े छह बजे खोले जाते हैं. रात में भी साढ़े ग्यारह बजे तक भक्तों के दर्शन करने के इंतजाम किए गए हैं. फिर शयन आरती के बाद कपाट बंद कर दिए जाएंगे.

कब से थी सूर्याभिषेक की योजना

फरवरी 2023 में जब मंदिर निर्माण चल ही रहा था, तब श्रीराम मंदिर निर्माण कमेटी के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने मीडिया से बातचीत में इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था, "पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल इंस्टिट्यूट और रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट के लोगों ने इसका अध्ययन किया है. उन्होंने अगले 19-20 वर्षों का डेटा तैयार किया है, जिसे आप पंचांग ही कहें. उसमें जानकारी है कि अगले 19-20 वर्षों तक सूर्य किस दिशा से, किस कोण से 12 बजे यहां आएगा. फिर उन्होंने देखा कि इसे रिफ्लेक्ट कैसे करें. अपर्चर कहां लिया जाए और किस उपकरण से अपर्चर से रोशनी रिसीव होगी, जिससे वह सीधे भगवान के माथे पर गिरे."

फिर अपने अध्ययन के आधार पर ही विशेषज्ञों ने पीतल के पाइप और लेंस की मदद से यह व्यवस्था बनाई, जिससे सूर्याभिषेक किया गया. सूरज की गोलाकार रोशनी पांच मिनट तक मूर्ति के माथे पर पड़ती रही.

क्या है तकनीक

रामलला की मूर्ति मंदिर के भूतल पर विराजमान है. मंदिर की तीसरी मंजिल पर एक दर्पण और उसके साथ पीतल का पाइप लगाया गया है. सूरज की किरणें दर्पण पर गिरकर पाइप में जाती हैं. फिर रोशनी पाइप में लगे दर्पण से टकराकर 90 डिग्री परावर्तित होती है.

भूतल की ओर जा रहे इस पाइप में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर तीन लेंस लगाए गए हैं. इन लेंस से गुजरने के बाद रोशनी पाइप के गर्भगृह वाले सिरे पर लगे दर्पण से टकराती है. फिर वहां से रोशनी 90 डिग्री परावर्तित होकर और पाइप से निकलकर सीधे मूर्ति के माथे पर पड़ती है.

सिर्फ रामनवमी पर होगा सूर्याभिषेक

भगवान राम के सूर्याभिषेक के लिए 2043 तक का डेटा इकट्ठा किया गया है. हर साल रामनवमी के दिन ही रामलला का सूर्याभिषेक किया जाएगा. इस साल भी रामनवमी को ध्यान में रखते हुए नए कपड़ों और छप्पन भोग जैसी तैयारियां की गई थीं. इस मौके पर रामलला की मूर्ति बनाने वाले कलाकार अरुण योगीराज को भी आमंत्रित किया गया था.

भारत में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर, आंध्र प्रदेश के वेद-नारायण मंदिर, महाराष्ट्र के महालक्ष्मी मंदिर और कर्नाटक के विद्याशंकर जैसे कई मंदिर हैं, जहां सूरज की रोशनी मंदिर में या भगवान की मूर्ति पर सीधे पड़ती है. इसे मान्यताओं और आस्था के साथ-साथ वास्तुशिल्प कौशल और वैज्ञानिक चेतना का भी संकेत माना जाता है.

वीएस/एनआर (एजेंसियां)

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