गर्भपात को ले कर दुनिया में कहां क्या है कानून?
भारत में महिलाएं यह कल्पना भी नहीं कर सकतीं कि "अनचाही" प्रेग्नेंसी से पीछा छुड़ाना चाहें और डॉक्टर कहे कि आपको बच्चा पैदा करना ही होगा क्योंकि गर्भपात का आपको कोई अधिकार नहीं. लेकिन बहुत से देशों में ऐसा होता है.
पूरी तरह वर्जित
दुनिया में 26 देश ऐसे हैं जहां किसी भी हाल में गर्भपात की अनुमति नहीं है, फिर चाहे मां या बच्चे की जान पर ही खतरा क्यों ना हो. यानी यहां गर्भवती होने के बाद महिला का अपने शरीर पर कोई हक ही नहीं रह जाता. दुनिया की कुल पांच फीसदी यानी नौ करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें इराक, मिस्र, सूरीनाम और फिलीपींस शामिल हैं.
महिला को बचाने के लिए
ऐसे 39 देश हैं जहां गर्भपात केवल उसी हालत में किया जा सकता है जब गर्भवती महिला की जान को खतरा हो. ऐसे में गर्भपात का फैसला सिर्फ डॉक्टर ही ले सकते हैं, महिला खुद नहीं. दुनिया की 22 फीसदी यानी 35 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें ब्राजील, मेक्सिको, ईरान, अफगानिस्तान और यूएई शामिल हैं.
स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से
56 देशों के कानून महिलाओं को गर्भपात की इजाजत देते हैं अगर वे साबित कर सकें कि गर्भावस्था उनकी सेहत के लिए बुरी है. इनमें 25 देश मानसिक स्वास्थ्य को भी अहमियत देते हैं. दुनिया की 14 फीसदी यानी 24 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें पोलैंड, पाकिस्तान, सऊदी अरब और थाईलैंड शामिल हैं.
आर्थिक या सामाजिक कारणों से
मात्र 14 देश ऐसे हैं जो महिला को अपनी स्थिति के अनुसार तय करने का अधिकार देते हैं कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं. दुनिया की 23 फीसदी यानी 38 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें भारत, ब्रिटेन, फिनलैंड और जापान शामिल हैं. अधिकतर मामलों में यहां वजह सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए ही पूछी जाती है.
पहले 12 हफ्तों में
कुल 67 देशों में गर्भपात के लिए कोई वजह नहीं बतानी पड़ती. लेकिन बच्चे और मां के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां गर्भपात के वक्त को सीमित किया गया है. अधिकतर मामलों में पहले तीन महीनों के अंदर ही गर्भपात की अनुमति दी जाती है. इसके बाद भ्रूण का विकास तेजी से होने लगता है. दुनिया की 36 फीसदी यानी 59 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें अमेरिका, कनाडा, चीन और रूस शामिल हैं.
अपने हक के लिए प्रदर्शन
पोलैंड में सरकार गर्भपात से जुड़े नियमों को और सख्त कर रही है. केवल बलात्कार, इनसेस्ट या फिर मां की जान को खतरे की हालत में ही इसकी इजाजत दी जाएगी. देश में महिलाएं इन नए नियमों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं प्रधानमंत्री माटेउस मोरावीस्की का कहना है कि कोरोना काल में प्रदशन कर वे अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रही हैं.
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