बढ़ती गर्मी, बढ़ते मादा कछुए
३ अगस्त २०२२हाल में आई गर्मी की लहरों में कुछ समुद्री तटों पर रेत इतनी गर्म हो गई कि लगभग हर नवजात कछुआ मादा ही निकली. फ्लोरिडा कीज में मैराथन शहर के टर्टल अस्पताल की प्रबंधक बेटे जरकलबाक कहती हैं, "डराने वाली बात यह है कि फ्लोरिडा में पिछली चार गर्मियां में इतिहास में अभी तक के ज्यादा तापमान दर्ज किए गए हैं."
उन्होंने बताया, "वैज्ञानिकों को कोई भी नर समुद्री कछुआ नहीं मिला है, यानी पिछले चार सालों में सिर्फ मादा कछुओं का जन्म हुआ है." जब एक मादा कछुआ तट पर अपना घोंसला बनाती है, तब रेत का तापमान यह निर्धारित करता है कि अंडों में से निकलने वाले बच्चे नर होंगे या मादा.
जरकलबाक ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में हुए एक अध्ययन में इसी तरह के आंकड़े सामने आये - "कछुओं के नए बच्चों में से 99 प्रतिशत मादा थे."
कैसे होता है लिंग निर्धारण
नैशनल ओशिएनोग्राफिक एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के मुताबिक समुद्री कछुओं और घड़ियालों में लिंग फर्टिलाइजेशन के समय निर्धारित नहीं होता है बल्कि विकसित होते हुए अण्डों के तापमान पर निर्भर करता है.
एनओएए की वेबसाइट के मुताबिक अगर कछुओं के अंडों में से बच्चे 27.7 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर निकलें तो बच्चे नर होंगे, लेकिन अगर वो 31 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर निकलें तो वो मादा होंगे.
माइयेमी चिड़ियाघर में हाल ही में खुले कछुओं के अस्पताल में समुद्री कछुओं की कीपर मेलिसा रोजाले रोड्रिगेज कहती हैं, "साल दर साल आप उनकी आबादी में तेजी से गिरावट देखेंगे क्योंकि उसमें जेनेटिक विविधता है ही नहीं. हमारे पास सफल ब्रीडिंग सेशन कराने के लिए आवश्यक नर-मादा अनुपात नहीं है."
दोनों अस्पताल कछुओं में एफपी नाम के ट्यूमर से भी जूझ रहे हैं. यह दूसरे कछुओं के प्रति संक्रामक होते हैं और अगर इनका इलाज ना किया गया तो जान भी ले सकते हैं. एक तरफ जलवायु कछुओं के भविष्य पर असर डाल रहा है, तो दूसरी तरफ यह बीमारी काफी फैल चुकी है.
ऐसे में जरकलबाक मानती हैं कि हर कछुए को बचाने की और ज्यादा रिहैब केंद्र खोलने की जरूरत है. वो कहती हैं, "टर्टल अस्पताल इस तरह का पहला अस्पताल था. लेकिन दुर्भाग्यवश कहिए या सौभाग्यवश, आज ऐसे अस्पतालों की पूरे फ्लोरिडा में जरूरत है."
सीके/एए (रॉयटर्स)