बहुत स्मार्ट होता है घोड़ा, सीख सकता है खेल जीतने की तरकीब
इंसानों की पुरानी दुनिया में घोड़े बड़े काम आए हैं. खेती में, आवाजाही में, लड़ाई के मैदान पर इस जीव ने अहम भूमिका निभाई है. हम जानते हैं कि वो बलिष्ठ होते हैं, तेज दौड़ते हैं, लेकिन क्या वो अक्लमंद भी होते हैं?
एक घोड़ा कई मर्जों का इलाज
इंसान ने जब घोड़े से दोस्ती की, उसे पालतू बनाया, तो उसने अपनी आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी बड़ी आसान कर दी. एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना हो या शिकार, या दुश्मन से लड़ाई, या माल ढुलाई. घोड़ा इंसानों के बड़े काम आया.
जंगली घोड़ों को किसने बनाया पालतू
अनुमान है कि करीब 5,500 साल पहले आधुनिक कजाकिस्तान में रहने वाले शिकारी मानवों ने पहले-पहल जंगली घोड़ों को पालतू बनाना शुरू किया. हालांकि, उनकी यह कला दूसरे इलाकों के इंसान नहीं सीख पाए.
इंसान को पहली बार मिली इतनी रफ्तार
जून 2024 में नेचर जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक, करीब 4,200 साल पहले दक्षिणी रूस में फलती-फूलती कांस्ययुगीन सिंटाश्टा संस्कृति के लोग एकबार फिर घोड़ों को पालतू बना सके. वो घुड़सवारी करने लगे.
यूरोप और एशिया में फैलने लगे घोड़े
घोड़ों के कारण वो बहुत तेजी से बहुत दूर तक जा सकते थे. यह गतिशीलता मानवों को पहले कभी नहीं मिली थी. इसकी मदद से वे पूरे यूरेशिया में फैलने लगे. इसके बाद इंसानों और घोड़ों के बीच जो रिश्ता बना, वह तो इतिहास है.
बहुत स्मार्ट होते हैं घोड़े
हालांकि, इस सदियों पुराने इस संबंध के बावजूद हमने घोड़ों की गिनती कभी बहुत ज्यादा होशियार जीवों में नहीं की. माना जाता था कि इनका दिमाग किसी घटना या स्थिति के लिए रणनीति बना पाने में सक्षम नहीं है. अप्लाइड एनिमल बिहेवियर साइंस नाम के जर्नल में छपे एक नए शोध की मानें, तो घोड़े हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा स्मार्ट होते हैं.
खेल और इनाम का रोचक प्रयोग
नॉटिंगम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में पाया कि घोड़े खेल के बदलते नियमों के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं. इस रिसर्च में 20 घोड़े शामिल थे. उन्हें अपनी नाक से एक कार्ड को छूना था. ऐसा करने पर उन्हें कोई मनपसंद ट्रीट खाने को दी जाती थी.
स्टॉप लाइट लाने पर घोड़ों ने क्या किया
खेलनुमा प्रयोग के अगले चरण में रिसर्चरों ने नियमों में थोड़ी तब्दीली की और एक रुकने के संकेत के तौर पर एक लाइट लाए. अब घोड़ों को तभी ट्रीट दिया जाता, जब वह लाइट बंद रहते हुए कार्ड छूते. इस लाइट का घोड़ों के बर्ताव पर कोई असर नहीं पड़ा. लाइट जली हो कि ना जली हो, वो कार्ड छूते रहे.
कम हो गईं गलतियां
आखिरी चरण में शोधकर्ता एक तरह के जुर्माने का सिस्टम लाए. अब लाइट जली होने पर अगर घोड़े कार्ड छूते, तो उन्हें 10 सेकेंड तक ना तो खेलने दिया जाता, ना ही ट्रीट दी जाती. इस चरण में शोधकर्ताओं ने देखा कि घोड़ों का बर्ताव बदल गया. वो नियमों के मुताबिक खेलने लगे. अब वो लाइट बंद होने पर ही कार्ड को छू रहे थे. वो पहले की तुलना में काफी कम गलती कर रहे थे और ट्रीट पा रहे थे.
योजना बना सकते हैं घोड़े
शोधकर्ताओं के मुताबिक, शुरुआत में लगा कि घोड़े खेल को समझ नहीं पा रहे हैं. जबकि यह सही नहीं था. नुकसान होता देख घोड़ों ने जल्दी ही रणनीति बदल ली. इससे संकेत मिलता है कि घोड़े भविष्य के बारे में सोच सकते हैं. योजना बनाकर उसपर अमल कर सकते हैं. यह भी संकेत मिलता है कि अगर उन्हें यकीन हो जाए कि कोई काम करने से इनाम मिलेगा, तो वे काम को सही तरीके से कर लेंगे.