हर बोली संग बदले होली
भारत में होली के इतने रंग और रूप हैं कि यह त्योहार संस्कृतियों की विविधता का अनूठा प्रतीक है. देखिए, कहां कैसी होली मनाई जाती है...
होली की पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने गुस्से में अपने बेटे को जलाने के लिए उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बिठा दिया. लेकिन विष्णु की कृपा से कहानी में प्रह्लाद बच जाता है और होलिका जल जाती है.
लठ्ठमार होली
लट्ठमार होली की परंपरा कृष्ण भगवान के समय से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंदगांव से बरसाना जाते थे और वहां पहुंचकर राधा के साथ होली खेलते थे. लट्ठमार होली में महिलाएं पुरुषों को लट्ठ से पीटती हैं और पुरुष लट्ठ से बचने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं.
कान्हा के गांव
भगवान कृष्ण के जन्मस्थल मथुरा में कई दिन होली चलती है. इस दिन विशेष पूजा के साथ रंग गुलाल, अबीर खेला जाता है और राधा-कृष्ण वाले होली गीत गाए जाते हैं.
चाय नाश्ता, मिठाई, रंग और भांग
होली के दिन महिला, पुरुष, बच्चे बूढ़े सभी शामिल होते हैं. दोस्तों के घर जा कर उन्हें रंग लगाना. चाय नाश्ता, मिठाई इस दिन का खास होता है. कई राज्यों में इस मौके पर भांग पीने की परंपरा भी होती है.
खेलने का तरीका
पारंपरिक तौर पर केसर या पलाश या टेसू के फूलों से रंग बनाया जाता था. सूखे गुलाल, हल्दी, के अलावा पिचकारी में रंगीन पानी भर कर भी होली खेली जाती है. हाल के वर्षों में हर्बल रंग का इस्तेमाल बढ़ा है
कोलकाता में डोल यात्रा
डोल का अर्थ है बसंत. इस बात को ध्यान में रखते हुए रबींद्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में भी बसंत उत्सव मनाना शुरू किया था. बीते दो साल में कोरोना के चलते लोग यह उत्सव धूमधाम से नहीं मना पाए थे.
रॉल्स रॉयस में भगवान
सत्यनारायण पार्क का मंदिर कोलकाता की विरासत है. बीते137 सालों से भगवान की प्रतिमा को रॉल्स रॉयस में बिठाया जाता है. फिर बसंत की फेरी के बाद फिर से मंदिर ले जाया जाता है.
कोरोना की चिंता भूलकर जश्न
कोलकाता में कोविड की चिंता एक किनारे रखकर लोग जश्व मना रहे हैं. बीते 2 साल में कड़ी पाबंदियों के बीच होली मनाई गई थी.
पंजाब में होला मोहल्ला
सिख समुदाय भी जोर-शोर से होली का त्योहार मनाता है. सिखों के पांच तख्तों में से एक श्री आनंदपुर साहिब में बड़े स्तर पर होला मोहल्ला मनाया जाता है. आनंदपुर के इलाके में सिखों के आखिरी गुरु गोबिंद सिंह लंबे समय तक रहे थे.
महाराष्ट्र में रंग पंचमी
महाराष्ट्र में होली को रंग पंचमी के तौर पर मनाया जाता है. यहां रंगों की जगह दुलेंदी का इस्तेमाल किया जाता है.