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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

इंसान के शरीर में पहली बार सूअर के दिल को किया ट्रांसप्लांट

११ जनवरी २०२२

अमेरिकी सर्जनों ने एक 57 वर्षीय व्यक्ति में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर के दिल को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है. मेडिकल इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. इससे अंग दान की कमी को हल करने में मदद मिल सकती है.

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तस्वीर: Tom Jemski/University of Maryland School of Medicine/picture alliance

यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड मेडिकल स्कूल ने एक बयान में कहा है कि यह "ऐतिहासिक" प्रक्रिया शुक्रवार को हुई. हालांकि यह तय नहीं है कि मरीज कितने दिनों तक जीवित रह पाता है लेकिन यह शल्य चिकित्सा पशुओं के अंगों के इंसान में प्रत्यारोपण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी.

मरीज डेविड बेनेट को मानव प्रत्यारोपण के लिए अपात्र पाया गया था. एक निर्णय जो अक्सर तब लिया जाता है जब प्राप्तकर्ता का स्वास्थ्य बहुत खराब होता है. बेनेट अब ठीक हो रहे हैं और यह निर्धारित करने के लिए उनकी सावधानीपूर्वक निगरानी की जा रही है कि नया अंग कैसा प्रदर्शन करता है.

सर्जरी के एक दिन पहले मेरीलैंड के रहने वाले बेनेट ने कहा था, "या तो मैं यह ट्रांसप्लांट कराता हूं या मर जाता हूं. मैं जीना चाहता हूं. मैं जानता हूं कि यह अंधेरे में तीर चलाने जैसा है." बेनेट पिछले कई महीनों से हार्ट-लंग बायपास मशीन के सहारे बिस्तर पर पड़े थे. उन्होंने कहा, "मैं ठीक होने के बाद बिस्तर से बाहर निकलने के लिए उत्सुक हूं."

USA | Erstmals Schweineherz-Transplantation für einen Menschen
57 साल के मरीज में लगाया गया सूअर का दिलतस्वीर: Tom Jemski/University of Maryland School of Medicine/picture alliance

अमेरिका के दवा नियामक एफडीए ने इस सर्जरी के लिए नए साल की पूर्व संध्या पर मंजूरी दी थी. बेनेट के लिए यह अंतिम कोशिश थी क्योंकि उनका पारंपरिक रूप से हृदय प्रत्यारोपण नहीं हो सकता था. शल्य चिकित्सा से सूअर के दिल का प्रत्यारोपण करने वाले बार्टले ग्रिफिथ ने कहा, "यह एक सफल सर्जरी थी और हमें अंग की कमी के संकट को हल करने के लिए एक कदम और करीब लाती है."

उन्होंने आगे कहा, "हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हम आशावान हैं कि दुनिया में इस तरह की पहली सर्जरी भविष्य में रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण नया विकल्प प्रदान करेगी." यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड मेडिकल स्कूल के कार्डियक जेनोट्रांसप्लांटेशन कार्यक्रम की सह-स्थापना करने वाले मोहम्मद मोहिउद्दीन ने कहा सर्जरी वर्षों या शोध की परिणति थी, जिसमें सुअर से लंगूर में प्रत्यारोपण शामिल थे, जिसमें जीवित रहने का समय नौ महीने से अधिक था.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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