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पुलिस को चाहिए 'पिज्जा ब्वॉय' सी तेजी

विश्वरत्न श्रीवास्तव२ जून २०१६

अधिकतर मौकों पर पुलिस घटना स्थल पर देरी से पहुंचती है. इससे अपराध का ग्राफ बढ़ता है. पुलिस की इस हीलाहवाली पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि पुलिस को "पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय" की तरह समय का पाबंद होना चाहिए.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Sharma

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को हिदायत देते हुए रिस्पॉन्स टाइम में सुधार लाने को कहा है. महिला सुरक्षा पर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्य प्रणाली पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उच्च न्यायलय ने कहा कि पुलिस को घटनास्थल पर वैसे ही पहुंचना चाहिए जैसे पिज्जा ब्वॉय डिलीवरी देने के लिए तय समय पर पहुंचते हैं.

पुलिस दल के रिस्पॉन्स टाइम पर चिंता जताते हुए न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आरके गौबा की बेंच ने कहा कि पुलिस को अपनी कार्य प्रणाली में सुधार लाना चाहिए. अदालत ने दिल्ली पुलिस को कहा कि उसे रिस्पॉन्स टाइम यानी प्रतिक्रिया समय में चुस्ती लानी होगी. लोगों का भरोसा हासिल करने के लिए अदालत ने इसे जरूरी बताया.

बेंच ने कहा, "हम अपराध स्थल पर पहुंचने में पुलिस दल के रिस्पॉन्स टाइम पर चिंतित हैं. उन्हें दिल्ली के नागरिकों को यह गारंटी देने के लिए जल्दी पहुंचना चाहिए कि वे यहां सुरक्षित हैं." बेंच का कहना है कि पुलिस को जनता का यह भरोसा जीतना होगा कि वे जरूरत के समय में हमेशा उनके साथ हैं.

रिस्पॉन्स टाइम की अहमियत

अदालत ने रिस्पॉन्स टाइम को कार्य क्षमता आंकने में महत्वपूर्ण बताते हुए पिज्जा डिलीवरी करने वालों के समय की पाबंदी का उल्लेख किया. अदालत ने कहा कि जिस तरह पिज्जा ब्वॉय आधे घंटे के गारंटी वाले समय से भी तेज पहुंचता है, उसी तरह दिल्ली पुलिस को दस मिनट के वर्तमान रिस्पॉन्स टाइम से पहले अपराध स्थल पर पहुंचना चाहिए.

अदालत ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है. अदालत ने कहा, "पुलिस के रिस्पॉन्स टाइम के बारे में लोगों को भी पता होना चाहिए ताकि उन्हें यह भरोसा हो कि किसी भी मामले में वह तय समय पर पहुंच जाएगी."

अदालत ने दिल्ली पुलिस की ओर से अपराधों की जांच के तौर तरीकों पर भी सवाल खड़े किए. अदालत ने कहा कि अपराधी कई बार सजा के बिना ही छूट जाते हैं क्योंकि पुलिस क्राइम सीन की सटीक तस्वीरें और अन्य झरूरी तथ्य नहीं जुटा पाती. दिल्ली पुलिस में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की कमी को भी अदालत ने जांच प्रक्रिया में बाधा बताया. अदालत ने कहा कि पुलिस को नियमति अंतराल पर यह बताना चाहिए कि कैसे क्राइम इन्वेस्टिगेशन को सुधारा जा सकता है और राजधानी महिलाओं के लिए सुरक्षित बनायी जा सकती है.

नस्लभेदी घटनाओं पर चिंता

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हाल ही में हुई घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि दिल्ली अब नस्लभेदी होती जा रही है. लोगों के कानून अपने हाथ में लेने पर चिंतित न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आरके गॉबा की बेंच ने कहा कि अफ्रीकी नागरिकों पर हमले बढ़े हैं. उन्होंने कहा, "अब दिल्ली नस्लभेदी होती जा रही है. अफ्रीकी नागरिकों पर हमले हो रहे हैं. हम नहीं समझ पा रहे कि आखिर शहर में हो क्या रहा है." अदालत ने सरकार से उचित कदम उठाने को भी कहा है.

हाईकोर्ट 16 दिसंबर 2012 के गैंगरेप मामले के बाद दायर की गयी एक जनहित याचिका पर सुनवायी कर रहा है. इसी सुनवायी के दौरान अदालत राष्ट्रीय राजधानी में अपराध की जांच और महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के संबंध में पुलिस को समय-समय पर निर्देश दे रही है.

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