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कानून और न्यायभारत

अब हरियाणा में भी आएगा धर्मांतरण विरोधी कानून

चारु कार्तिकेय
९ फ़रवरी २०२२

हरियाणा में भी अब दूसरे कई राज्यों की तर्ज पर सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लाने जा रही है. कई और राज्य पहले से ही ऐसे कानून ला चुके हैं लेकिन इनमें मनमानी कानूनी कार्रवाई की आशंकाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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Manohar Lal Khattar Chief Minister des indischen Bundesstaates Haryana.
तस्वीर: imago images / Hindustan Times

हरियाणा गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध बिल, 2022 के मसौदे को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है. अब विधेयक को मार्च में विधान सभा के मानसून सत्र में लाया जाएगा. 90 सदस्यों के सदन में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन बहुमत में है, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है की विधेयक पास हो जाएगा.

मसौदे का उद्देश्य "बहका कर, जबरन, अनुचित प्रभाव, लालच दे कर, धोखा दे कर, शादी कर या शादी के लिए धर्मांतरण कराने" को अपराध घोषित करना है.

(पढ़ें: गुजरात के धर्म-परिवर्तन कानून पर हाई कोर्ट सख्त

'छिपा हुआ एजेंडा'

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मसौदे में लिखा है, "धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से धर्म बदलने का सामूहिक अधिकार नहीं मिल सकता...इसके बावजूद व्यक्तिगत और बड़ी संख्या में धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं."

मसौदे में यह भी लिखा है कि ऐसे कई "छद्म सामाजिक संगठन हैं जिनका छिपा हुआ एजेंडा है दूसरे धर्मों के कमजोर तबकों का धर्मांतरण करवाना."

विधेयक के मुताबिक "हाल ही में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें कुछ लोग अपने धर्म की शक्ति को बढ़ाने के लिए दूसरे धर्मों के लोगों के साथ धोखे से शादी कर लेते हैं और शादी के बाद दूसरे व्यक्ति को उनका धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर देते हैं."

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प्रमाण देने की जिम्मेदारी

आगे लिखा है कि ऐसे कृत्य "न सिर्फ धर्म परिवर्तन कराए जाने वाले व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं बल्कि हमारे समाज के धर्म निरपेक्ष ताने बाने पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं."

अंतर-धार्मिक विवाह
अंतर-धार्मिक विवाह रद्द भी हो सकते हैंतस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/imago images

विधेयक का सबसे दिलचस्प पहलू शायद यह है कि जिसके खिलाफ धोखे से या जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया जाएगा खुद को बेगुनाह करने की जिम्मेदारी उसी की होगी. भारतीय कानून में सैद्धांतिक रूप से 'बर्डन ऑफ प्रूफ' यानी प्रमाण देने की जिम्मेदारी दावा करने वाले की होती है, न कि जिसके खिलाफ दावा किया गया हो उसकी.

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इसके अलावा नए कानून के तहत एक प्राधिकरण नियुक्त किया जाएगा जिसे हर धर्म बदलने वाले व्यक्ति को यह जानकारी देने होगी कि वो अपनी मर्जी से धर्म बदल रहा है या नहीं.

प्राधिकरण फिर इन दावों की जांच भी करेगा. विशेष रूप से अंतर-धार्मिक शादियों के मामले में धर्मांतरण इस कानून के हिसाब से अवैध पाए जाने पर इस प्राधिकरण के पास शादी को रद्द करने की शक्ति भी होगी.

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