सबसे बड़े रेगिस्तान में 250 किलोमीटर लंबी दौड़
सहारा के विशाल रेगिस्तान में हर साल मैराथन देस साबलेस होती है. अल्ट्रामैराथन कही जाने वाली 250 किलोमीटर लंबी रेस कुछ लोगों की जान भी ले चुकी है.
दुनिया भर के धावक पहुंचे
मोरक्को में हो रही 36वीं मैराथन देस साबलेस में 43 देशों के लोग शामिल हुए. धावकों की संख्या करीब एक हजार के आस पास है. सहारा रेगिस्तान को धरती की सबसे दुश्वार जगहों में गिना जाता है. प्रतिभागी इसी चुनौती पर जीत हासिल करने की कोशिश करते हैं.
ट्रैक का कोई पता नहीं
हवा और रेत लगातार पैरों के निशान मिटाते रहते हैं. ऐसे में ज्यादातर प्रतिभागी पहले पांच दिन साथ-साथ दौड़ना पंसद करते हैं. ये सुरक्षा के लिहाज से भी अहम है. पहले दिन आम तौर पर 33.8 किलोमीटर की दूरी नापी जाती है.
पैदल चलना भी जरूरी
छह दिन की इस रेस में कई बार प्रतिभागियों को पैदल चलकर लंबी दूरी पार करनी पड़ती है. गर्मी और दुश्वार माहौल में हर वक्त दौड़ते रहना बहुत कठिन है. कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां प्रतिभागियों की औसत स्पीड तीन किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाती है.
पीठ्ठू का बोझ
आयोजक प्रतिभागियों को सिर्फ पानी और मेडिकल सप्लाई मुहैया कराते हैं. बाकी सामान जैसे, अपने कपड़े, खाना, टूल्स प्रतिभागियों को खुद ढोने पड़ते हैं. पहले दिन के बाद यही सामान बोझ सा बन जाता है, जिसे अगले 217 किलोमीटर तक लादे रखना पड़ता है.
आराम का कोई नामोनिशान नहीं
रेगिस्तान में दिन में तीखी धूप लगती है तो रात को हाड़ कंपाने वाली सर्दी. रेस के दौरान प्रतिभागियों को बेस कैप में जमीन पर सोना पड़ता है. एक व्यक्ति को दो वर्गमीटर का एरिया अलॉट होता है. रेस में सबसे मुश्किल चौथा और पांचवां दिन होता है, इन दो दिनों में प्रतिभागियों को आम तौर पर 81.5 और 42.2 किलोमीटर भागना पड़ता है.
पत्थरों में छुपा खतरा
रेगिस्तान में गर्मी से बचने के लिए सांप और बिच्छू पत्थरों में छुपे रहते हैं. अल्ट्रा मैराथन के दौरान प्रतिभागियों को पथरीले रास्तों से भी गुजरना पड़ता है. धारदार पत्थरों की वजह से चोट लगने का खतरा भी बना रहता है.
हांफती जिंदगी के बीच हैप्पी बर्थडे
स्पेन के मुहम्मद द्रीस (दाएं) ने अल्ट्रामैराथन के दौरान ही अपना 16वां जन्मदिन मनाया. दो दिन और एक रात गुजारने के बाद मुहम्मद 86 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर चुके हैं. मुहम्मद के पिता इस्माइल द्रिस (बाएं) छठी बार मैराथन देस साबलेस में हिस्सा ले रहे हैं.
मौत से मुकाबला
ये अल्ट्रामैराथन इंसान की शारीरिक क्षमता का कड़ा इम्तिहान लेती है. 2021 में गर्मी की वजह से रेस को अप्रैल से शिफ्ट कर अक्टूबर में आयोजित कराया गया. मैराथन देस साबलेस में अब तक तीन प्रतिभागियों की मौत हो चुकी है.
चैंपियन की जिंदगी
मोरक्को की अजीजा राजी ने 2021 में ये अल्ट्रा मैराथन जीती. इस बार वह फिर से रेस में हिस्सा ले रही हैं. अजीजा हर शाम सूखी झाड़ियां और लकड़ी के टुकड़े जमा कर अपने लिए खाना पकाती हैं.
हर बूंद की कीमत
हर दिन रेस शुरू होने से पहले सभी प्रतिभागियों को बराबर मात्रा में पानी दिया जाता है. अब इसी पानी के सहारे पूरे दिन उन्हें खुद को ठंडा भी रखना होगा और प्यास भी बुझानी होगी. (रिपोर्ट: नेले येंष/ओएसजे)