हरे भरे नखलिस्तान में बदल गया दूसरे विश्वयुद्ध का बंकर
जर्मनी के हैंबर्ग में सेंट पाउली डिस्ट्रिक्ट के एक बंकर को नया रूप दे कर ग्रीन बंकर बना दिया गया है. दूसरे विश्वयुद्ध की एक निशानी अब शहर में हरियाली की नई पहचान बन गई है.
हैंबर्ग की नई शानदार पहचान
कंक्रीट का एक विशाल ढांचा हैंबर्ग सेंट पाउली डिस्ट्रिक्ट के आकाश में बहुत दूर से ही नजर आ जाता है. हाल तक मीडिया बंकर कहा जाता रहा यह ढांचा अब ग्रीन बंकर के नाम से मशहूर हो रहा है. दूसरे विश्वयुद्ध की यह निशानी शहर की नई पहचान के रूप में उभर रही है. 50 मीटर ऊंचा यह बंकर जर्मनी में बचे गिने चुने विमानरोधी बंकरों में से एक है.
हरे भरे रास्तों से ऊपर तक चढ़ाई
विमान रोधी बंकर के बाहरी हिस्से में 560 मीटर लंबा एक पैदल रास्ता जोड़ा गया है. इसकी सीढ़ियां और रैंप सीधे बंकर की छत पर ले जाते हैं. ऊपर लगभग 1,400 वर्ग मीटर में एक नया गार्डन तैयार किया गया है. इसमें 23,000 पौधे हैं जो बंकर को एक कुदरती नखलिस्तान में बदल देंगे. यह हरियाली किसी प्राकृतिक एयर कंडीशनर जैसा काम करेगी.
पौधों को बढ़ने में समय लगेगा
आलोचकों का कहना है कि कंक्रीट का बंकर पर्याप्त रूप से ग्रीन नहीं है. हालांकि इस परियोजना पर काम कर रहे डेवलपर मात्सेन इममोबिलियन के प्रवक्ता ने इसे खारिज किया है. जुलाई में इसके उद्घाटन के वक्त प्रवक्ता ने कहा कि पौधों को विकसित होने में समय लगेगा. उनका कहना था, "निश्चित रूप से कुल मिला कर इसका स्वरूप तब तैयार होगा जब पेड़ और लताएं उस आकार में पहुंच जाएं जिसका लक्ष्य रखा गया है."
नए होटल, रेस्त्रां और एक स्मारक
असल में यह केवल 38 मीटर ऊंचा था. हाल के वर्षों में इसमें पांच मंजिलें और जोड़ी गईं. छत पर ले जाने वाले हरे भरे रास्ते के अलावा बंकर में अब एक होटल, रेस्त्रां और एक बड़ा हॉल भी है जिसका इस्तेमाल खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए हो सकता है. इसके साथ ही इसमें एक स्मारक भी बनाया गया है, जिसमें बंकर का इतिहास है. इसे 1942 में बंधुआ मजदूरों से बनवाया गया था.
दूसरे विश्वयुद्ध में हैंबर्ग का एयर डिफेंस
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यह बंकर हैंबर्ग के दो विमानरोधी बंकरों में से एक था. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से एयर डिफेंस के लिए होता था. पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि शहर पर बमबारी के दौरान 25,000 लोगों ने जान बचाने के लिए इस बंकर में शरण ले रखी थी.
जर्मन टेलीविजन की शुरुआत
युद्ध के बाद कुछ क्रिएटिव लोगों ने इस बंकर का इस्तेमाल शुरू किया. दिसंबर 1952 में नॉर्डडॉयचर रुंडफुंक यानी एनडब्ल्यूआर ने अपने दैनिक समाचार कार्यक्रम का प्रसारण इसी जगह से शुरू किया. तस्वीर में बाईं तरफ नजर आ रहा है कमांड एंड कंट्रोल बंकर 1974 में ढहा दिया गया.
क्रिएटिव सेंटर
मित्र सेना युद्ध के आखिर में शहर के बंकरों को मिटा देना चाहती थी. हालांकि सेंट पाउली का बंकर अपने विशाल ढांचे की वजह से बचा लिया गया. बाद में इसे संरक्षित इमारत घोषित कर दिया गया और जल्दी ही यह कला और संस्कृति से जुड़े संगठनों के लिए क्रिएटिव सेंटर बन गया.
शहरों के लिए मिसाल
बंकर के इतिहास में ताजा बदलाव इसकी पिरामिड जैसी संरचना में पांच मंजिलें और हैंगिंग गार्डेंस ऑफ हैंबर्ग को जोड़ने से आया. इसकी निगरानी लैंडस्केप साइंटिस्ट कर रहे हैं. तकरीबन 6 करोड़ यूरो की यह परियोजना जलवायु अनुकूलन और टिकाऊ शहरी योजना के लिहाज से दुनिया भर के शहरों के लिए मिसाल है.
कमजोर दिल वालों के लिए नहीं
ऊपर जाने के बाद नीचे की ओर देखने पर कुछ लोगों का दिल घबराने लगता है. करीब 6 मीटर चौड़ा पैदल रास्ता जमीन पर बंकर के उत्तरी हिस्से से शुरू होता है. यह पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों की सैर कराता हुआ ऊपर तक ले जाता है. कुल मिला कर इसकी ऊंचाई अब 58 मीटर हो गई है. यह रास्ता पब्लिक सिटी गार्डन में ले जाता है.
शानदार नजारे
ऊपर के बाग से इस पुराने शहर के चारों तरफ का शानदार नजारा दिखता है. हैंबर्ग की पहचान मानी जाने वाली कई इमारतें ऊपर से दिखाई देती हैं. खासतौर से पास ही मौजूद मिलर्नटोर स्टेडियम, जो एफसी सेंट पाउली फुटबॉल क्लब का घरेलू मैदान है.
हैंबर्ग का सबसे ऊंचा टैरेस गार्डन
हैंबर्ग आने वाले सैलानियों को एल्बफिलहार्मोनी, द मिषेल और हार्बर से बढ़िया नजारा कहीं और का नहीं लगता. हालांकि यह नया गार्डन शायद आने वाले समय में तस्वीर बदलेगा. फ्लैक टावर के गार्डन में एक समय पर 900 लोग जा सकते हैं.