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भारत चाहता है फेक न्यूज पर ठोस कार्रवाई करे टेक कंपनियां

३ फ़रवरी २०२२

केंद्र सरकार ने फेक न्यूज के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई नहीं करने को लेकर अमेरिकी टेक कंपनियों के साथ बैठक की. फेक न्यूज के मामले में केंद्र सरकार की गूगल, फेसबुक और ट्विटर के साथ तीखी बहस हुई.

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भारतीय अधिकारियों के साथ हुई अमेरिकी टेक कंपनियों की बैठक
सोशल मीडिया कंपनियों के साथ तनावपूर्ण बैठक हुईतस्वीर: Mana Vatsyayana/AFP/Getty Images

बड़ी टेक कंपनियों के साथ सरकार के ताजा विवाद में सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स को पता चला है कि अपने प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों को रोकने को लेकर गूगल, ट्विटर व फेसबुक और केंद्र सरकार के बीच तीखी बहस हुई है. सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने कंपनियों की कड़ी आलोचना की और कहा कि फर्जी खबरों पर कार्रवाई करने के प्रति उनकी निष्क्रियता भारत सरकार को सामग्री हटवाने का आदेश देने के लिए मजबूर कर रही थी, जिसके चलते सरकार को अंतरराष्ट्रीय आलोचना झेलनी पड़ी की वह अभिव्यक्ति की आजादी को दबा रही है.

सोमवार को वर्चुअल बैठक में कार्यवाही से परिचित सूत्रों ने बातचीत को तनावपूर्ण और गर्म बताया, जो अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच संबंधों में एक नई कमी का संकेत देता है.

कंपनियों पर सख्त है सरकार

सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों ने बैठक में कंपनियों को कोई अल्टीमेटम जारी नहीं किया. हालांकि, सरकार तकनीकी क्षेत्र के नियमों को सख्त कर रही है, लेकिन चाहती है कि कंपनियां कॉन्टेंट मॉडरेशन पर और अधिक ध्यान दें. यह बैठक दिसंबर और जनवरी में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा "आपातकालीन शक्तियों" के इस्तेमाल के बाद की गई थी, जिसमें गूगल के यूट्यूब प्लेटफॉर्म, कुछ ट्विटर और फेसबुक खातों पर 55 चैनलों को रोकने का आदेश दिया गया था.

सरकार ने कहा था कि ये चैनल "फर्जी खबर" या "भारत विरोधी" सामग्री को बढ़ावा दे रहे थे और पड़ोसी पाकिस्तान में स्थित खातों द्वारा दुष्प्रचार फैलाया जा रहा था. (यहां पढ़ें- राहुल का आरोप, सरकार के दबाव में ट्विटर ने कम किए फॉलोअर्स)

फर्जी खबरें देश में बड़ी समस्या

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बैठक पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है, जिसमें भारतीय सोशल मीडिया कंपनी शेयरचैट और कू भी शामिल थीं, इन दोनों के देश में लाखों यूजर्स हैं.

फेसबुक, ट्विटर और शेयरचैट ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वहीं बैठक पर टिप्पणी किए बिना अल्फाबेट के गूगल ने एक बयान में कहा कि वह सरकार के अनुरोधों की समीक्षा करता है और "जहां उपयुक्त होता है, हम स्थानीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए सामग्री को प्रतिबंधित या हटाते हैं." दूसरी ओर कू ने कहा कि वह स्थानीय कानूनों का अनुपालन करता है और इसके पास मजबूत सामग्री मॉडरेशन नीति हैं.

पिछले साल फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से पता चला था कि यह वेबसाइट भारत में नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है. भारत में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक और भड़काऊ सामग्री एक बड़ी चिंता का विषय रहा है. फेसबुक या वॉट्सऐप पर साझा की गई सामग्री के कारण हिंसा तक हो चुकी है.

"सामग्री हटवाने में भारत आगे"

इसी साल जनवरी में ट्विटर ने बताया कि दुनिया भर की सरकारों ने बीते साल जनवरी से जून के बीच उसके मंच से कॉन्टेंट को हटाने के लिए 43,387 बार कानूनी आदेश जारी किए. ऐसे देशों की सूची में भारत पांचवें नंबर पर रहा. (पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं-ट्विटर से कॉन्टेंट हटवाने में भारत सरकार पांचवें नंबर पर 26.01.2022)

छह महीनों की इस अवधि में इस तरह के निर्देश 1,96,878 खातों से कॉन्टेंट को हटाने के बारे में दिए गए. ट्विटर ने बताया कि 2012 में जब से कंपनी ने अपनी पारदर्शिता रिपोर्ट जारी करनी शुरू की तबसे लेकर अभी तक एक रिपोर्ट की अवधि में निशाना बनाए गए खातों की यह सबसे बड़ी संख्या है.

रिपोर्ट: आमिर अंसारी (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)