गर्मी के कारण होने वाली मौत के लिए जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेदार
शोधकर्ताओं का कहना है कि एक तिहाई से अधिक गर्मी से संबंधित मौतें जलवायु परिवर्तन के कारण होती हैं. उन्होंने बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण और अधिक मौतों की चेतावनी दी है. ताजा शोध नेचर क्लाइमेट चेंज में छपा है.
तीन में से एक मौत के लिए जिम्मेदार
पू्र्व के शोधों में जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है इस पर ध्यान दिया गया था. गर्म हवा के थपेड़े, सूखा, जंगल की आग और जलवायु परिवर्तन से बदतर होने वाली अन्य चरम घटनाओं से भविष्य के जोखिमों का अनुमान लगाया जाता रहा है. नए शोध में कहा गया है कि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन, पिछले तीन दशकों में गर्मी की वजह से होने वाली सभी मौतों में एक तिहाई से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है.
मानवजनित जलवायु परिवर्तन
70 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया यह अध्ययन स्वास्थ्य पर पहले ही पड़ चुके प्रभाव को जानने वाला पहला और सबसे बड़ा शोध है. नेचर क्लाइमेट पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक गर्मी की वजह से होने वाली सभी मौतों के औसतन 37 प्रतिशत मौतों के लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है.
732 स्थानों से जुटाए आंकड़े
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 43 देशों में 732 स्थानों से आंकड़े लिए हैं जो पहली बार गर्मी की वजह से मृत्यु के बढ़ते खतरे में मानवजनित जलवायु परिवर्तन के वास्तविक योगदान को दिखाता है.
जलवायु परिवर्तन और हम
शोध के वरिष्ठ लेखक अंटोनियो गसपर्रिनी कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन दूर के भविष्य की चीज नहीं है." वे कहते हैं कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य खतरों को लेकर अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है. गसपर्रिनी कहते हैं, "हम पहले से ही स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों को माप सकते हैं."
मानवजनित जलवायु के गंभीर परिणाम
लेखकों ने कहा कि उनके तरीके अगर दुनिया भर में विस्तारित किए जाते हैं तो हर साल एक लाख से अधिक गर्मी से संबंधित मौतें जुड़ जाएंगी. यह मौतें मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण होंगी.
दो अहम क्षेत्र के आंकड़े उपलब्ध नहीं
इस संख्या को कम करके आंका जा सकता है क्योंकि जिन दो क्षेत्रों के लिए डेटा काफी हद तक उपलब्ध नहीं था वह है दक्षिण एशिया और मध्य अफ्रीका. ये दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जो विशेष रूप से अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं.
भविष्य की चिंता
अध्ययन की प्रथम लेखिका एना एम विसेडो-कैबेरा कहती हैं, "हमें आशंका है की अगर हमने जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ नहीं किया तो इससे मौत के प्रतिशत में और इजाफा होगा."
स्थिति चिंताजनक
अगर 95 प्रतिशत आबादी के पास एयर कंडीशनिंग है, तो मृत्यु दर कम होगी. लेकिन अगर वह उनके पास नहीं है, या फिर किसान को 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए बाहर काम करना पड़ता है, तो प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं. यहां तक कि धनी राष्ट्र भी असुरक्षित होते हैं. 2003 में, पश्चिमी यूरोप में एक निरंतर गर्मी ने 70,000 लोगों की जान ले ली थी.